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देश में बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है। रोजगार की तलाश में आये दिन यहां के मजदूर दूसरे देश पलायन करते हैं। अपने वतन को छोड़ कर हजारों किलोमीटर दूर कमाने के लिए जाते हैं, ताकि अपनी और अपने परिवार के लोगों का भरण-पोषण अच्छे से कर सकें। लेकिन, आये दिन खबर मिलती रहती है कि कम्पनी वाले गरीब मजदूरों को बुला
कर शोषण करते हैं। इसी कड़ी में सऊदी अरब में झारखंड के गिरिडीह, बोकारो और हजारीबाग के 45 मजदूर फंसे हुए हैं।
सप्ताह भर बीत जाने के बाद भी नहीं मिला सहारा
सप्ताह भर बीत जाने के बाद भी इनकी वतन वापसी का गतिरोध अब तक दूर नहीं हो पाया है। इस वजह से परेशान होकर मजदूरों ने फिर से वीडियो बना कर राज्य एवं केन्द्र सरकार से वतन वापसी की गुहार लगायी है। उन्होंने बताया है, ‘पिछले 11 मई 2023 को मोबाइल टावर खडे करनेवाली कमर्शियल टेक्नोलॉजी पल्स नामक कम्पनी में काम करने के लिए सऊदी अरब गये थे। हम लोग 55 हजार रुपये कमीशन देकर यहां आये थे। भारत से सऊदी अरब ले जाते समय हमारे साथ एग्रीमेंट किया गया था कि लाइनमैन को 1500 रियाल,ओवरटाइम का 700 रियाल मिलेंगे। हम यहां सात महीने से काम कर रहे हैं, जिसमें से हमें सिर्फ दो महीने का वेतन दिया गया है। हमें बकाया नहीं दिया जा रहा है।
हमसे जबरदस्ती काम कराया जाता है
अगर हम उनसे बकाये की मांग करते हैं, तो हमसे जबरदस्ती काम कराया जाता है और जेल में डालने की धमकी दी जाती है। इस कारण हम सभी मजदूर दाने-दाने को मोहताज हो गये हं।’ इधर, मजदूरों के परिजन भी परेशान हैं। प्रवासी मजदूरों के हित में काम करनेवाले व मजदूरों की आवाज उठानेवाले समाजसेवी सिकन्दर अली का कहना है कि सरकार कम्पनी पर दबाव बना कर मजदूरों को बकाया मजदूरी और वतन वापसी का टिकट दिलाये। मजदूर के परिजन यहां बिलख रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह कोई पहली घटना नहीं है जब काम की तलाश में मजदूर विदेश जाते हैं, तब उन्हें वहां कई तरह की यातनाएं झेलनी पड़ती हैं और बड़ी मुश्किल से वे वतन लौट पाते हैं। इसके बावजूद प्रवासी मजदूर पुरानी घटनाओं से सबक नहीं ले रहे है। ऐसे में सरकार को इस पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है।