Ranchi news: बिहार राज्य निर्माण निगम लिमिटेड के 1256 पूर्व कर्मियों के बकाया वेतन, पारिश्रमिक व सेवांत लाभ आदि के भुगतान पर बिहार और झारखंड के बीच सहमति बन गई है। बुधवार को पटना में दोनों राज्यों के अधिकारियों की सम्मिलित बैठक में यह सहमति बनी कि आपसी समन्वय बनाकर पूर्व कर्मियों के वेतन एवं अन्य लंबित भुगतान की प्रक्रिया तेज की जाएगी।
झारखंड के 575 कर्मी का मामला
सिंचाई भवन सभागार में हुई बैठक में बिहार की टीम का नेतृत्व जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल ने किया। झारखंड की टीम वहां के जल संसाधन विभाग के सचिव प्रशांत कुमार के नेतृत्व में थी। जिन कर्मियों की देयता लंबित है, उनमें 658 नियमित और 598 दैनिक वेतनभोगी हैं। उनमें झारखंड अंतर्गत कुल 575 कर्मी (247 नियमित व 328 दैनिक वेतनभोगी) हैं। शेष 681 कर्मी (411 नियमित व 270 दैनिक वेतनभोगी) बिहार के अंतर्गत चिह्नित किए गए हैं।
झारखंड के बंटवारे के समय से ही लटका था मामला
बिहार राज्य निर्माण निगम लिमिटेड अब अस्तित्व में नहीं है। वर्ष 1974 में तत्कालीन सिंचाई एवं विद्युत विभाग (वर्तमान में जल संसाधन विभाग) के प्रशासनिक नियंत्रण में उसका गठन हुआ था। वर्ष 2000 में बंटवारे के बाद रांची, गुमला, जमशेदपुर, डाल्टेनगंज और देवघर स्थित निगम के कार्यालय झारखंड के हिस्से में चले गए। कार्यभार में निरंतर कमी के कारण निगमकर्मियों के वेतन, पारिश्रमिक एवं भत्ते आदि का भुगतान लंबित होता गया। कर्मी पटना उच्च न्यायालय की शरण में पहुंचे। दिसंबर 2002 में हाई कोर्ट के आदेश के बाद निगम के परिसमापन की प्रक्रिया शुरू की गई। इसके बाद परिसमापन की प्रक्रिया के विरुद्ध मामला हाई कोर्ट पहुंचा। कर्मियों के समायोजन एवं उनकी बकाया भुगतान की गुहार लगी। 2015 में पटना हाई कोर्ट और 2023 में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के आलोक में निगमकर्मियों के बकाया व देनदारी के बंटवारे की प्रक्रिया शुरू की गई।