Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

पर्यावरण को लेकर 10 दिनी मंथन की शुरुआत, जस्टिस पाठक बोले – स्टॉकहोम अधिवेशन के समझौते का हम सभी को करना होगा पालन

पर्यावरण को लेकर 10 दिनी मंथन की शुरुआत, जस्टिस पाठक बोले – स्टॉकहोम अधिवेशन के समझौते का हम सभी को करना होगा पालन

Share this:

राजधानी रांची से तालाब और जंगल गायब हो रहे हैः डॉ. रामेश्वर उरांव

  • प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे संस्थान पैसा उगाही के केंद्रः सीपी सिंह

-खुद से इनिशिएटिव लेकर पर्यावरण को बचाना होगाः सरयू राय

Ranchi, Jharkhand news : झारखण्ड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डॉ. एस.एन. पाठक ने कहा है कि 1972 में हुए स्टॉकहोम अधिवेशन में हुए समझौते का अधिकांश देश पालन नहीं कर रहे हैं। भारत में भी ऐसा ही हो रहा है। यह बेहद चिंतनीय है। जिस तरह से दामोदर नदी का कायाकल्प हुआ है, वैसी ही अन्य नदियों पर भी कार्य करने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण चेतना एवं पर्यावरण आंदोलन के प्रारंभिक सम्मेलन के रूप में 1972 में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने स्टॉकहोम (स्वीडन) में दुनिया के सभी देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया था। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 119 देशों ने भाग लिया और एक ही धरती के सिद्धांत को सर्वमान्य तरीके से मान्यता प्रदान की गई। डॉ. पाठक मोरहाबादी में आयोजित 10 दिनों तक चलने वाले पर्यावरण मेले का उद्घाटन करने के बाद अपने विचार रख रहे थे।

रांची से तालाब और जंगल गायब हो रहे हैः डॉ. उरांव

उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि और मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि उनका रांची से ना 1963 से नाता रहा है। उस समय जून में भी रात को कंबल ओढ़ना पड़ता था। उस समय रांची के घरों एवं कार्यालयों में पंखे का कोई कंसेप्ट नहीं था। पहले घने जंगल थे, तालाब और सरोवरों की बहुलता थी। आज ये दोनों ही रांची में अपना अस्तित्व खो रहे हैं। आज फरवरी में ही गर्मी का आभास हो रहा है। धूप चुभ रही है। यह परिस्थिति हमने ही बनाई है।

उपज पर प्रतिकूल असर

डॉ. उरांव ने कहा कि मौसम की अनियमितता के कारण फसलों की उपज पर बेहद प्रतिकूल असर पड़ा है। अगर ऐसा ही रहा तो मानव के सामने खाद्यान्न का संकट खड़ा हो जायेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब हमें प्रकृति से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। पहले के ऋषि-मुनि भी प्रकृति की उपासना एवं संरक्षण करते थे। आज के युग में आदिवासी ही प्रकृति के सच्चे संरक्षक हैं। वे जंगलों को काटते नहीं है, बल्कि उन्हें खेती के उद्देश्य से केवल साफ करते हैं। ऐसे आयोजनों से ही लोगों में प्रकृति के प्रति रूचि बढ़ेगी और वे पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होंगे। उन्होंने इस आयोजन के लिए विधायक सरयू राय को धन्यवाद दिया।

पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे संस्थान इन दिनों पैसा उगाही के केंद्र बन कर रह गए हैं : सीपी सिंह

विशिष्ट अतिथि, राँची के विधायक सीपी सिंह ने कहा कि पहले जब हम सुबह धनबाद, रामगढ़ जैसे कोयला वाले क्षेत्रों में जाते थे तो शाम से पहले ही ऐसा लगता था कि हम कोयला से नहाये हुए हैं। कोयले के कण वायुमंडल में इस कदर मिले रहते थे कि हमारी सांसों में घुल जाते थे। आज भी लगभग यही स्थिति कोलियरी क्षेत्रों की है। भारत सरकार का नियम है कि कोलियरी क्षेत्रों में पानी का प्रतिदिन सुबह-शाम छिड़काव किया जाय, लेकिन यह नहीं हो रहा है। यह नियम केवल फाइलों तक ही सीमित है। कोल क्षेत्र के लोग स्वास्थ्य संबंधी एवं पर्यावरणीय समस्याओं का सामना कर रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे संस्थान इन दिनों पैसा उगाही के केंद्र बन कर रह गए हैं।

दामोदर को प्रदूषण मुक्त करने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया : सरयू राय

मेले के संरक्षक सरयू राय ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पहल उस समय आरंभ हुआ, जब पहली बार वर्ष 2004 में लोकसभा चुनाव के समय हमलोग दामोदर नद के आस-पास के इलाकों में घूम कर चुनाव प्रचार कर रहे थे। हम लोगों ने देखा कि दामोदर की दशा अत्यंत दयनीय हो चली थी। नद में पानी कम और छाई ज्यादा था। डीवीसी एवं अन्य औद्योगिक इकाईयों का कचरा दामोदर नद में सीधे गिर रहा था। नद प्रदूषित हो गया था। तब हमने नद को औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त करने की ठानी और इसके लिए जन-जागरूकता अभियान चलाया। हमने नद के उद्गम स्थल से लेकर डीवीसी के मुख्यालय, कोलकाता तक धरना-प्रदर्शन किया। तब युगांतर भारती सहित कई अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं ने सहयोग किया। दामोदर, गंगा नदी से भी अधिक पुराना है। नदी को साफ करने के लिए कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं करना है। नदी प्रत्येक मानसून में स्वतः साफ हो जाती है। बाकी के आठ महिनों में नदी को हमलोग ही गंदा करते है। वर्ष 2017 में जब मैंने प्रधानमंत्री से मुलाका की तो उन्होंने कहा कि गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के उद्देश्य से नमामि गंगा एवं अन्य कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं, जिसमें हजारों करोड़ खर्च हो रहे हैं। इस पर मैंने कहा कि हमने तो एक रुपया खर्च कये बिना ही दामोदर नद को औद्योगिक प्रदूषण से लगभग मुक्त कर लिया है। यह सुनकर पीएम चकित रह गये। हमें नदी को गंदा करनेवाले तत्वों को रोकना होगा, जिससे नदी का प्रदूषण नियंत्रित रहेगा। उन्होंने कहा कि आज दामोदर औद्योगिक प्रदूषण से लगभग 90 प्रतिशत से अधिक साफ हो चुका है। आज नदियों एवं जलाशयों के लिए नगरीय प्रदूषण एक बहुत बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रही है। जल-मल एवं सीवरेज का गंदा पानी बिना साफ किये हुए नदियों, जलाशयों में सीधे गिर रहा है और पानी को अत्यधिक गंदा कर रहा है। घरों में आपूर्ति होनेवाले जल में कीड़े भी मिलने की बातें सामने आ रही है। राज्य के लिए यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि भारत सरकार ने रामगढ़, फुसरो और धनबाद के तीन स्थानों पर तीन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने पर अपनी स्वीकृति दे दी है। अब नदियों में औद्योगिक प्रदूषण के साथ नगरीय प्रदूषण पर भी अंकुश लग जायेगा।
राज्य के विकास आयुक्त अरूण सिंह ने कहा कि पर्यावरण पर मानवीय हस्तक्षेप के कारण ऋतु चक्र बिगड़ गया है। इस कारण जोशीमठ, उत्तराखंड, केदारनाथ जैसी त्रासदी सामने आ रही है। ओजोन परत का क्षय हो रहा है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में तेजी आयी हैं। आज संसार को असमय ही अनावृष्टि तो कभी अतिवृष्टि का सामना करना पड़ रहा है। ग्लेशियर पिघल रहे है, समुद्र का पानी बढ़ रहा है, जिससे छोटे-छोटे द्वीप और समुद्री किनारे समुद्र में समाहित हो जा रहे है।
सीसीएल के सीएमडी पी.एम. प्रसाद ने कहा कि एक टन कोयला उत्पादन में ढ़ाई टन कार्बन डाईआक्साईड और तीस कि.ग्रा. सल्फर डाईआक्साइड का उत्सर्जन होता है, जो ग्लोबल वार्मिंग का एक बहुत बड़ा कारण है। 2050 तक हम अक्षय ऊर्जा में आत्मनिर्भर हो जायेंगे। झारखण्ड में जमीन मिलने पर सीसीएल 20 मेगावाट का सोलर पार्क लगायेगा।

Share this: