Ranchi, Jharkhand news : बगैर सूचना (without information) ड्यूटी से गायब रहनेवाले झारखंड के सरकारी डॉक्टरों (government doctors) को बर्खास्त (dismissed) करने के साथ-साथ उनका निबंधन रद (registration cancel) करने का झारखंड सरकार (Jharkhand government) फैसला कर चुकी है। इस फैसले पर वह अड़ी हुई है। इधर, झारखंड हेल्थ सर्विसेज एसोसिएशन (Jharkhand health services association) सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध कर रहा है। इस बीच झारखंड सरकार (Jharkhand government) ने तीन अन्य ऐसे चिकित्सकों की पहचान कर उन्हें बर्खास्त (dismissed) करने और नेशनल मेडिकल कमीशन (National medical commission) तथा झारखंड मेडिकल काउंसिल (Jharkhand medical council) से निबंधन रद (registration cancel) करने की अनुशंसा करने का निर्णय लिया है।
इन डॉक्टरों के खिलाफ होगी कार्रवाई
राज्य सरकार (state government) जिन चिकित्सकों के विरुद्ध यह कार्रवाई करने जा रही है, उनमें गढ़वा (Garhwa) के पीएचसी, रहेला में पदस्थापित चिकित्सा पदाधिकारी डा. इक्फत रसूल, बोकारो के चंदनकियारी (Bokaro ChandanKiyari) स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित डा. रिंकू कुमारी और सदर अस्पताल, गिरिडीह में पदस्थापित डा. फरहाना शामिल हैं। डा. इफ्फत रसूल छह जनवरी 2020, डा. डॉ रिंकू कुमारी 20 नवंबर 2015 तथा डा. फरहाना तीन अगस्त 2021 से लगातार बिना सूचना के ड्यूटी से गायब (absent from duty without notice) हैं। स्वास्थ्य विभाग (health department) ने उक्त कार्रवाई का निर्णय लेते हुए निर्धारित प्रक्रिया के तहत इनसे दूसरी बार स्पष्टीकरण (show cause) पूछा है। स्पष्टीकरण का संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर यह कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार अबतक ऐसे एक दर्जन से अधिक चिकित्सकों के विरुद्ध कार्रवाई कर चुकी है।
इन डॉक्टरों पर भी कसी गई नकेल
इधर, गुमला जिले के भरनो स्थित पीएचसी में पदस्थापित डा. ज्योति कुजूर (Dr Jyoti kujur) 13 मार्च 2020 से 30 सितंबर 2021 तक बिना किसी सूचना के गायब थी। इस आरोप में इनके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही (department action) चलाई गई, जिसकी जांच रिपोर्ट के आधार पर उक्त अवधि का वेतन और भत्ता नहीं देने का निर्णय सरकार ने लिया है। उक्त अवधि की गणना उनके पेंशन अवधि (pension period) में नहीं की जाएगी तथा इसे सेवा में टूट माना जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने जामताड़ा के तत्कालीन सिविल सर्जन डा. महावीर प्रसाद गोपालिका की पेंशन की राशि (pension amount) से 10 प्रतिशत की कटौती पांच वर्षों तक करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में निर्धारित प्रक्रिया के तहत दोनों चिकित्सकों से दूसरी स्पष्टीकरण पूछा (show cause) गया है। डा. गोपालिका के विरुद्ध कार्रवाई का निर्णय विभिन्न आरोपों में विभागीय जांच रिपोर्ट के आधार पर की जा रही है।
छुट्टी के लिए मेडिकल बोर्ड की अनुमति का विरोध
राज्य के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सक राज्य सरकार के उस आदेश का भी विरोध (oppose) कर रहे हैं, जिसमेें बीमारी के आधार पर छुट्टी के लिए मेडिकल बोर्ड की अनुमति को अनिवार्य किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में यह निर्णय लेते हुए सिविल सर्जनों की अध्यक्षता में प्रत्येक जिले में मेडिकल बोर्ड का गठन किया (medical board) है। झारखंड हेल्थ सर्विसेज एसोसिएशन ने इसके विरोध में 13 अक्टूबर को बैठक बुलाई है।