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राजकमल में वार्षिकोत्सव के पहले दिन रंगारंग आयोजन में भैया-बहनों ने दिखलाई अद्भुत कलाकृति 

राजकमल में वार्षिकोत्सव के पहले दिन रंगारंग आयोजन में भैया-बहनों ने दिखलाई अद्भुत कलाकृति 

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प्रत्येक राष्ट्र भारतवर्ष की ओर देख रहा है :  राम अवतार नारसरिया

Dhanbad news, Rajkamal Saraswati Vidya Mandir Ashoknagar Dhanbad: राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर अशोकनगर धनबाद में वार्षिकोत्सव का पहला दिन सम्पन्न हुआ। इस अवसर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उप-निदेशक आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के डॉक्टर धीरज कुमार, क्षेत्रीय मंत्री विद्या भारती उत्तर पूर्वी क्षेत्र के राम अवतार नारसरिया, विद्यालय के संरक्षक शंकर दयाल बुधिया, अध्यक्ष विनोद कुमार तुलस्यान, उपाध्यक्ष रवीन्द्र कुमार पटनिया, सचिव संजीव अग्रवाल, सहसचिव दीपक रुइया, कोषाध्यक्ष चंद्रशेखर अग्रवाल, प्राचार्य सुमन्त कुमार मिश्रा ने दीप प्रज्वलन कर सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। इस मौके पर विद्यालय के प्राचार्य सुमन्त कुमार मिश्रा ने अतिथियों का परिचय कराने के क्रम में कार्यक्रम की भूमिका भी दी। उन्होंने कहा कि राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर प्रत्येक वर्ष वार्षिकोत्सव का कार्यक्रम आयोजित करता है। इसके पीछे का उद्देश्य बिलकुल स्पष्ट है। विद्यालय चाहता है कि बच्चों में छुपी हुई प्रतिभा निकल कर आगे आये और उनकी पहचान समाज में बने। ऐसे कार्यक्रम में बच्चे तराशे जाते हैं और उनके गुण भी सामने आते हैं। सीखना और सिखाना जीवन का लक्ष्य होना चाहिए।

पंखों से नहीं हौसलों से उड़ान भरिए : डॉ. धीरज

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉक्टर धीरज कुमार आईआईटी आईएसएम धनबाद ने कहा कि पंखों से नहीं हौसलों से उड़ान भरे जाते हैं। समाज में लोग आपको पहचान सकें, ऐसा काम करें। नयी शिक्षा नीति में शिक्षा से सम्बन्धित जो बातें कही गयी हैं, वे सभी शिक्षा राजकमल में पहले से दी जा रही हैं।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राम अवतार नारसरिया जी ने कहा कि गुरु के लिए सबसे खुशी की बात तब होती है, जब उसका शिष्य सफल हो जाता है। संस्कार युक्त शिक्षा देना राजकमल का पहला उद्देश्य है। हर राष्ट्र आज भारत की ओर टकटकी लगाये देख रहा है। भ्रष्टाचार शिष्टाचार बनता जा रहा है, इस सोच में परिवर्तन लाना आवश्यक है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने चरित्र निर्माण पर ध्यान रखना चाहिए।

अधिकारियों का हार्दिक अभिनन्दन किया गया

इस अवसर पर विद्यालय के उपाध्यक्ष रवीन्द्र कुमार पटनिया ने सबों का स्वागत किया एवं अपने उद्बोधन द्वारा मंचासीन अधिकारियों का हार्दिक अभिनन्दन किया। सचिव संजीव कुमार अग्रवाल ने वार्षिक प्रतिवेदन को रखा एवं विद्यालय की उपलब्धियां गिनायीं। उन्होंने इस अवसर पर शैक्षणिक, खेल, संस्कृति, विज्ञान आदि विषयों पर विशेष चर्चा की और राजकमल विद्यालय उपलब्धियाों से जाना जाता है यह बताया। यहां पढ़नेवाले छात्र केवल किताब नहीं पढ़ते, संस्कार सीखते हैं। यह गुण राजकमल को अन्य विद्यालय से अलग करता है। वहीं, विद्यालय के अध्यक्ष विनोद कुमार तुलस्यान जी ने सभी को नमन एवं अभिनन्दन किया। धन्यवाद ज्ञापन सह मंत्री दीपक रुइया ने किया। इस मौके पर विद्यालय प्रबंध समिति के केशव हाड़ोदिया, अनन्तनाथ सिंह, शरद दुदानी, सुधा खेतान, जयप्रकाश खेतान, शंभुनाथ अग्रवाल, मुरलीधर पोद्दार, अयोध्या प्रसाद, संजय मोर एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे। इन्हीं के साथ विद्यालय के प्राचार्य सुमंत कुमार मिश्रा, उप प्राचार्या उमा मिश्रा, उप प्राचार्य मनोज कुमार ने कार्यक्रम पर अपनी पैनी नजर रखी।

कार्यक्रम की शुरुआत बहनों ने मंगलाचरण से किया

रंगमंचीय कार्यक्रम की शुरुआत बहनों ने मंगलाचरण से किया, जिसमें सौम्या, मंजरी, प्रांजल, शगुन, प्रिया, मुस्कान, शिवानी, प्रियौनी, अदिति, तरुणी सुहानी, सृजनी, शरण्या थीं।

भारत की विशेषता को प्रकट करते हुए ‘एकता में बल’ विषय पर कक्षा प्रथम और द्वितीय के भैया बहनों द्वारा मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया गया, जिसमें खुशी, उन्नति, आर्यन, प्रकृति, जिया, अनन्या, अंशिका, काव्या, रिया, प्रियांशी, श्रेया, आराध्या, सृष्टि, अदिति, वैष्णवी, अर्पिता, रिद्धिमा, जायद, अभिजय, रौशनी आदि शामिल थे। 

इन्होंने की कार्यक्रम में शिरकत

अभिनय गीत का प्रदर्शन बहन प्रिया, साक्षी, आशिता, स्तुति, मुस्कान, नैना, किट्टू, श्रुति, वर्षा, सिया अंजलि, बाती, अनामिका, स्वाति, पल्लवी, आकांक्षी ने किया।

बागवान समूह नृत्य प्रस्तुत कर भैयाओं ने सामाजिक समस्याओं को उजागर किया, जिसने माता-पिता और बच्चों के बीच की दूरियों को नजदीकियों में बदल दिया। इस नृत्य में भैया सूर्यांश, हरिओम, मयूर, धर्मजीत, अंश, आयुष, विराज आदि शामिल थे।

शिशु वाटिका के नन्हे-मुन्ने बच्चों ने ‘बम-बम भोले मस्ती में डोले’ गीत पर समूह नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों के मन को जीत लिया। इसमें सुमित, काव्या, इंद्रजीत, प्रज्ञा, तृषा, अद्वितीय, आराध्या, पूर्वी, शीतांशु, इशिका, कृष्णा, परी, आस्था, आकृति, पलक, रिद्धि, मयंक, श्रेष्ठ, आद्या, आशी, मधुरिमा, आरव, अनन्या, आर्यन, दिव्यांशी, अंकित, यशस्वी, अंशराज आदि शामिल थे।

भारतीय इतिहास के वीर क्रांतिकारी खुदीराम बोस के सम्मान में भैयाओं द्वारा हिन्दी नाटक की प्रस्तुति हुई, जिसमें अमित, नीलकमल, आयुष, सचिन, हर्ष, अंकित, सान्निध्य, हर्षित, वीर, प्रभुदेव, देवयांश, प्रिंस, सूर्यांश शामिल थे।

मैशअप लोक नृत्य बहन प्रिया, राधिका, साक्षी, भूमि प्रियौनी, सुहाना, अनुष्का, सोनम, मानसी, निशिता, निष्ठा, सिद्धि द्वारा प्रस्तुत किया गया।

झांकी गीत में भैया अर्पित, शुभम, सत्यम, दीपांशु, पीयूष, आतिफ, युवराज, अभिनव, आदित्य, शौर्य, अंशुमन, आरव, मृदुल शामिल थे।

नारी शक्ति को प्रदर्शित करते हुए बहनों ने एक समूह नृत्य प्रस्तुत किया, जिसमें शताक्षी,अदिति, आराध्या, रीत, भाषा, सिद्धि, रिद्धि, परी, प्रियशी, सानवी, सौम्या, मानवी, आकृति थीं।

अभिभावकों की बच्चों से बहुत ज्यादा उम्मीदें कभी-कभी हानिकारक सिद्ध होती हैं। इस विषय को प्रदर्शित करने हेतु बहनों द्वारा अंग्रेजी नाटक की प्रस्तुति हुई। इसमें कृति, ऋषिका, अदिति, प्रांजल, तनिष्का, इशिका, सन्निधि, आयुषी, नंदिनी, कनिका, अनुष्काश्री, शिवांगी शामिल थीं।

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डांडिया नृत्य प्रस्तुत कर बहनों ने गुजरात की एक झलक प्रस्तुत की, जिसमें बहन शरण्या, मंजरी, सौम्या, मुस्कान, प्रांजल, अदिति, तान्या, वर्षा, शगुन, सुहानी, मिली शामिल थीं। इसी के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ।

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