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सहायक अभियोजन सेवा के लिए चयनित 107 सहायक लोक अभियोजकों को मुख्यमंत्री ने सौंपा नियुक्ति पत्र

सहायक अभियोजन सेवा के लिए चयनित 107 सहायक लोक अभियोजकों को मुख्यमंत्री ने सौंपा नियुक्ति पत्र

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Ranchi news, Jharkhand news: मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा है कि आप सभी अब सरकार के अभिन्न अंग के रूप में न्यायिक व्यवस्था से जुड़ कर कार्य करने जा रहे हैं। न्याय कैसे सरल, सुलभ और कम खर्चीला हो? लम्बित वादों का तेजी से कैसे निपटारा हो? गरीबों और आम जनों को कैसे न्याय मिले?  इसमें आपकी अहम भूमिका होने जा रही है। सीएम ने बुधवार को झारखंड मंत्रालय में आयोजित समारोह में सहायक अभियोजन सेवा के लिए चयनित 107 सहायक लोक अभियोजकों को नियुक्ति पत्र सौंपने के बाद अपने सम्बोधन में ये बातें कहीं। मुख्यमंत्री ने सभी नवनियुक्त सहायक लोक अभियोजकों से कहा कि न्यायिक व्यवस्था में आप पर आम लोगों का भरोसा और विश्वास कैसे बना रहे, यह सब कुछ आपके कार्यों पर निर्भर करेगा। मुझे पूरी उम्मीद है कि आप अपने दायित्व निर्वहन से न्यायपालिका के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होंगे।

आपके सामने होंगी कई चुनौतियां 

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड अलग राज्य बनने के बाद पहली बार सहायक लोक अभियोजकों की नियुक्ति हुई है। ऐसे में न्यायालयों में वादों के त्वरित निष्पादन की दिशा में आपके सामने कई चुनौतियां होंगी।  सबसे बड़ी चुनौती आपके लिए आमजन और विशेषकर गरीबों को न्याय दिलाना है। इसके अलावा जो बेगुनाह किसी न किसी वजह से जेलों में बंद हैं, उन्हें कैसे न्याय मिले, इस दिशा में आपकी अहम भूमिका होने जा रही है। 

लंबित वादों से जेलों में कैदियों की बड़ी संख्या

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी इस बात से भली-भांति वाकिफ हंै कि यहां न्याय मिलने में कितना वक्त लगता है। वर्षों तक अदालतों में मामलों पर सुनवाई होती रहती है।  इस वजह से लम्बित केसों की संख्या लगातार बढ़ रही है।  इसी वजह से जेलों में भी कैदियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।  यह हमारे देश और हमारे राज्य के लिए बेहतर नहीं है। लोगों को जल्द से जल्द कैसे न्याय मिले, इस दिशा में हम सभी को विशेष तौर पर कार्य करने की जरूरत है।

बेगुनाह आर्थिक अभाव में नहीं लड़ पा रहे मुकदमा 

मुख्यमंत्री ने कहा कि कई गरीब और बेगुनाह लोग पैसे के अभाव में अदालतों का खर्च वहन नहीं कर पाते हैं।  इस कारण वे जेलों में ही बंद रहने को मजबूर हैं।  हमारी यही कोशिश हो रही है कि लम्बे समय से छोटे-छोटे वादों में जो भी लोग जेलों में बंद हैं, उन्हें रिहा करने की दिशा में सभी कानूनी सुविधाएं सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जायें। इस कड़ी में गरीब और जरूरतमंदों को सरकार द्वारा वकील भी उपलब्ध कराया जा रहा है। आप सभी लोगों को इस बात की जरूर जानकारी दें, ताकि कोई भी व्यक्ति वकील के अभाव में न्याय मिलने से वंचित ना रहे।

कानूनी जागरूकता को दें बल 

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में गरीब, आदिवासी, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यकों का एक ऐसा वर्ग है, जिनमें अधिकांश को कानून की जानकारी नहीं होती है।  ऐसे में उनको न्याय दिलाना कितना कठिन होगा, इसे सहज समझा जा सकता है। आप सभी ऐसे लोगों को कानूनी रूप से जागरूक करें और उन्हें सरकार द्वारा मिलनेवाली कानूनी सहायता की जानकारी दें, ताकि वे न्याय से वंचित ना हो पायें।

प्रशिक्षण में दी जायेगी स्थानीय भाषा की भी जानकारी 

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड का जो भौगोलिक परिवेश है, उसमें हर जिले में अलग-अलग भाषा-भाषी, रहन-सहन और बोल-चाल देखने को मिलता है। विशेषकर ग्रामीण इलाकों में हिन्दी से ज्यादा स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाएं बोली और समझी जाती हैं। ऐसे में आप जब तक स्थानीय भाषा और बोल-चाल को नहीं समझेंगे, उनके साथ ना तो अच्छे से संवाद कर पायेंगे और ना ही न्याय दिला सकेंगे। आपका स्थानीय भाषा को जानना-समझना बेहद जरूरी है।  इस सम्बन्ध में आपको प्रशिक्षण के दौरान स्थानीय और क्षेत्रीय  भाषा की भी जानकारी मिले, इस दिशा में पहल की जायेगी।

इस अवसर पर  मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव-सह -गृह  विभाग की प्रधान सचिव वंदना डाडेल, विधि विभाग के प्रधान सचिव -सह -विधि परामर्शी  नलिन कुमार और मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे एवं कई अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।

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