Jharkhand news : मानव तस्करी के लिए बदनाम झारखंड में बाल श्रम भी बड़ी समस्या है। खाने, खेलने और पढ़ने की उम्र में बच्चे ईंट ढो रहे हैं, होटलों में वर्तन मांज रहे हैं, झाड़ू-पोछा लगा रहे हैं। इसकी जड़ में कहीं न कहीं गरीबी भी है तो बहुत हदतक अभिवावकों की लापरवाही भी। लापरवाही इसलिए भी क्योंकि आज जब सरकार रहने को घर, खाने को अनाज, अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए रोजगार, बच्चों को स्कूल, पोशाक और छात्रवृत्ति तक मुहैया करा रही है तो वे उनका बचपन क्यों छीन रहे। बहरहाल, कुछ ऐसे ही 12 बच्चों को गढ़वा रोड आरपीएफ ने रेस्क्यू कराया है। आगे की कहानी हम बताते हैं…
बच्चे भी गया के और तस्कर भी
डालटनगंज रेलवे पुलिस ने बच्चों और तस्कर को गत सोमवार को स्टेशन से रेस्क्यू किया। सभी बच्चे बिहार के गया जिले के सलैया गांव के रहने वाले हैं। पूछताछ में पता चला कि बच्चों को कूलर कारखाना में काम कराने के लिए अवैध तरीके से नोएडा ले जाया जा रहा है। सलैया का ही निवासी आरोपित मंसूर आलम बच्चों को ले जा रहा था। उसे हिरासत में ले लिया गया।
10 से 14 वर्ष के बच्चे, प्रति माह 7000 मजदूरी देने पर बनी थी सहमति
सभी बच्चे स्कूली छात्र हैं, जिनकी उम्र 10 से 14 वर्ष के बीच है। सभी बच्चों को झारखंड स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस से नई दिल्ली के आनंद विहार स्टेशन होते हुए नोएडा ले जाया जा रहा था कि रेलवे पुलिस ने शक के आधार पर उनका रेस्क्यू किया। पूछताछ में आरोपित ने बताया कि सभी बच्चों को वह काम कराने ले जा रहा था। इनके अभिभावकों से प्रति माह प्रति बच्चे सात हजार रुपये मजदूरी देने पर सहमति बनी थी।