Jharkhand (झारखंड) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आजकल भाजपा के तीरों का निशाना खूब झेल रहे हैं, मगर विचलित नहीं दिखते। सियासी आरोप-प्रत्यारोप के बीच 3 जून को उन्होंने झारखंड के अस्तित्व और उसकी पहचान की हकीकत से जुड़े मामले को भावनात्मक तरीके से प्रस्तुत कर झारखंड आंदोलनकारियों का दिल जीतने की कोशिश की। उन्होंने झारखंड अलग राज्य आंदोलन के सभी आंदोलनकारियों के चिन्हितीकरण के शुभारंभ कार्यक्रम में कहा कि उनकी पहचान एक आंदोलनकारी के बेटे के रूप में है, न कि राज्य के मुख्यमंत्री के रूप मेंl झारखंड आंदोलनकारी के बेटे के रूप में वह सबको अधिकार और सम्मान दिलाएंगे। आंदोलनकारियों की नए सिरे से पहचान कर सूचीबद्ध किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि नया आवेदन प्रपत्र काफी सरल बनाया गया है, ताकि हर आंदोलनकारी आसानी से अपना दावा आयोग के समक्ष समर्पित कर सके।
वीर सपूतों की धरती है झारखंड
सीएम ने कहा कि झारखंड की धरती ने कई वीर सपूतों को जन्म दिया है, जिन्होंने देश के लिए खुद को न्योछावर कर दिया। झारखंड अलग राज्य के लिए हुआ आंदोलन भी देश की आजादी की लड़ाई से कम नहीं है। एक लंबे संघर्ष के बाद हमें झारखंड राज्य मिला। इसमें अनगिनत लोगों ने अपनी कुर्बानियां दी। कई परिवार शहीद हो गए। यह राज्य उनकी शहादत को कभी भूल नहीं सकता है। ऐसे सभी आंदोलनकारियों को सरकार पूरा मान -सम्मान देगी।
सभी जिलों के आंदोलनकारी थे मौजूद
संत ने कहा कि शुरुआती वर्षों में मात्र दो हज़ार के लगभग ही आंदोलनकारी चिन्हित किए गए थे। यह आंकड़ा काफी कम है, इसीलिए अब नए सिरे से आंदोलनकारियों की पहचान की कोशिश की जाएगीl मौके पर राज्य सभा सांसद शिबू सोरेन, कृषि मंत्री बादल, आंदोलनकारी चिन्हितीकरण आयोग के अध्यक्ष दुर्गा उरांव तथा सदस्य समेत सभी जिलों से आए आंदोलनकारी मौजूद थे।