Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

जन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध : हेमन्त सोरेन

जन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध : हेमन्त सोरेन

Share this:

अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन में राज्यपाल को प्रदत विशेष दायित्व के निर्वहन हेतु मैं प्रतिबद्ध हूं: संतोष गंगवार

Ranchi News: विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान, रांची में दो दिवसीय झारखंड आदिवासी महोत्सव – 2024 का शुक्रवार 09 अगस्त को भव्य शुभारम्भ हुआ। उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार एवं बतौर विशिष्ट अतिथि राज्य समन्वय समिति के अध्यक्ष-सह-राज्यसभा सांसद  शिबू सोरेन उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन एवं मुख्य अतिथि राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने राज्यवासियों को विश्व आदिवासी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दीं।

राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने झारखंडी अंदाज में कहा, ‘रउरे मनके जोहार!’ उन्होंने कहा, ‘अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन में संविधान द्वारा राज्यपाल को विशेष दायित्व सौंपे गये हैं। इन दायित्वों के निर्वहन हेतु मैं प्रतिबद्ध हूं।’

झारखण्ड की धरती वीरों की भूमि रही है’

राज्यपाल ने कहा, आज का दिन हमारे आदिवासी समाज की संस्कृति, परम्पराओं, और उनके अद्वितीय योगदान का उत्सव मनाने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा, धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा केवल झारखण्ड के ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं। मैं माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का आभार प्रकट करता हूं, जिन्होंने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को पूरे देश में  ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया। राज्यपाल ने कहा, ‘झारखण्ड की धरती वीरों की भूमि रही है। यहां की माटी में जन्में बीर बुधु भगत, सिद्धो-कान्हु, चांद-भैरव, फूलो-झान्हो, और जतरा उरांव जैसे महान सपूतों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनके प्रति अपनी श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूं।

आदिवासी समाज में दहेज-प्रथा नहीं हैं, जो एक अनुकरणीय उदाहरण है

उन्होंने कहा कि आज हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आदिवासी समाज को कल्याणकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिले और वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें।’

संतोष गंगवार ने कहा, ‘हम सभी को आदिवासी समुदाय की संस्कृति पर गर्व होना चाहिए और इसे संरक्षित रखने का संकल्प लेना चाहिए। आदिवासी समाज में दहेज-प्रथा जैसी कुरीतियां नहीं हैं, जो एक अनुकरणीय उदाहरण है। लेकिन, विडम्बना है कि जनजातीय समाज में डायन-प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियां आज भी मौजूद हैं, जिन्हें जागरूक होकर हम सबको दूर करना होगा। सरकार द्वारा कई छात्रवृत्ति योजनाएं संचालित हैं और हमारे छात्रों को समय पर छात्रवृत्ति का लाभ मिले, यह सुनिश्चित हो। 

उन्होंने कहा, ‘इतिहास इस बात का गवाह है कि हमारे आदिवासी समुदाय के कई लोगों ने विषम परिस्थितियों में भी शिक्षा ग्रहण की है। माननीया राष्ट्रपति महोदया और झारखण्ड राज्य की पूर्व राज्यपाल, आदरणीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी ने भी विषम परिस्थितियों में उच्च शिक्षा प्राप्त कीं और वह अपने गांव की पहली महिला बनीं, जिन्होंने कॉलेज में प्रवेश लिया। 

झारखंड में शीघ्र पेसा कानून लागू करने जरूरत 

राज्यपाल ने कहा, ‘जनजातीय समुदाय के पारम्परिक शासन व्यवस्था को राज्य में लागू किया जाना आवश्यक है। वर्तमान में देश में झारखण्ड एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां पेसा कानून लागू नहीं है। मैं मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि वह शीघ्र इस कानून को लागू करायें। आज डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान के द्वारा आज 12 पुस्तकों का लोकार्पण करना महत्त्वपूर्ण पहल है। इस महोत्सव में पट्टा अधिनियम के तहत 11 जिलों में कुल 244 सीएफआर का वितरण किया जा रहा है। सभी लाभुकों को बधाई देता हूं। 

हर्ष, उल्लास और उत्साह के साथ मना रहे हैं विश्व आदिवासी दिवस 

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आज राज्यभर में हर्ष, उल्लास और उत्साह के साथ आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है। इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये आदिवासी अपनी सभ्यता और संस्कृति की चमक बिखेर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी महोत्सव आदिवासी जीवन दर्शन और कला-संस्कृति को अलग पहचान देने का एक बड़ा माध्यम बनता जा रहा है। 

जनजातीय सभ्यता दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता है 

मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय सभ्यता  दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता है। आदि  काल से ही आदिवासियों की सभ्यता-संस्कृति और परम्परा काफी समृद्ध रही है।  दुनिया में अलग-अलग हिस्सों में आदिवासी समुदाय वास करते हैं, लेकिन  उनकी सभ्यता-संस्कृति में  कहीं न कहीं एकरूपता देखने को मिलती रहती है। जनजातीय कला-संस्कृति और परम्परा को सुरक्षित करने के साथ समृद्ध करने की जरूरत है, ताकि आनेवाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणास्रोत हमेशा बना रहे।  

अपनी सभ्यता-संस्कृति और जल-जंगल-जमीन के लिए झारखंड के आदिवासी हमेशा संघर्ष करते रहे

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘झारखंड के आदिवासियों को विरासत में संघर्ष मिला है। यहां के आदिवासियों ने अपनी सभ्यता-संस्कृति और मान-सम्मान के साथ कभी समझौता नहीं किया।  जल-जंगल-जमीन की रक्षा की खातिर लम्बा संघर्ष किया। हमें  गर्व है अपने उन वीरों पर, जिन्होंने अन्याय, शोषण एवं देश-राज्य के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।’

वीरों और शहीदों की धरती रही है झारखंड 

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड सदियों से वीरों और शहीदों की धरती रही है। चाहे आजादी के पहले की बात हो या आजादी के बाद अथवा झारखंड अलग राज्य के लिए चली लम्बी लड़ाई। भगवान बिरसा मुंडा, सिदो कान्हू, भैरव-चांद, फूलो झानो,  नीलाम्बर पीताम्बर, तिलका मांझी, शेख भिखारी, बुधु भगत, टाना भगत, निर्मल महतो और विनोद बिहारी महतो जैसे अनेक  वीर हुए हैं, जिन्होंने अन्याय-शोषण, आदिवासी-मूलवासी के हक-अधिकार, और जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए अपनी कुर्बानी दे दी। अपने इन वीर शहीदों को नमन है।

12 पुस्तकों का विमोचन,  257 लोगों को मिला सामुदायिक वन पट्टा 

इस महोत्सव में राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, अध्यक्ष राज समन्वय समिति-सह-राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और मंच पर मौजूद अन्य गण्यमान्यों ने डॉ. राम दयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान द्वारा प्रकाशित 12 पुस्तकों का विमोचन किया। इस अवसर पर 257 लोगों के बीच 73 हजार 583 एकड़  सामुदायिक वन पट्टा का वितरण किया गया। महोत्सव की शुरुआत में गण्यमान्यों ने शहीद बेदी पर पुष्प अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। वहीं, राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने आदिवासी प्रदर्शनी शिविर और आदिवासी चित्रकार शिविर का उद्घाटन और अवलोकन किया।

गणमान्यजनों की थी गरिमामयी उपस्थिति 

इस महोत्सव में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री दीपक बिरुवा, राज्यसभा सांसद महुआ माजी, विधायक कल्पना सोरेन, विधायक राजेश कच्छप,  मुख्य सचिव एल. खियांग्ते, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता, राज्यपाल के प्रधान सचिव नीतिन मदन कुलकर्णी,  अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के सचिव  कृपानंद झा एवं आदिवासी कल्याण आयुक्त अजय नाथ झा सहित कई वरीय अधिकारी एवं गण्यमान्य मौजूद रहे। 

Share this: