Jharkhand (झारखंड) की ‘एम्बुलेंस ट्रेन’ धनबाद-एलेप्पी एक्सप्रेस जल्द ही 24 बोगियों के साथ चलेगी। अभी धनबाद-आलप्पुझा एलेप्पी एक्सप्रेस 23 बोगियों के साथ चल रही है। पूर्व मध्य रेलवे मुख्यालय हाजीपुर ने इस ट्रेन में एक बोगी बढ़ाने का प्रस्ताव धनबाद रेल मंडल से मांगा है। रेलवे बोर्ड की हरी झंडी मिलते ही एलेप्पी में एक अतिरिक्त स्लीपर बोगी जोड़ी जाएगी। गौरतलब है कि 11 अप्रैल से एलेप्पी में चार स्लीपर बोगी घटा कर दो थर्ड और एक सेकंड एसी और एक फर्स्ट एसी बोगी जोड़ने की व्यवस्था शुरू की गई है। 11 अप्रैल से पूर्व एलेप्पी 12 स्लीपर बोगियों के साथ चलती थी। अभी आठ स्लीपर बोगी ही इस ट्रेन में जोड़ी जा रही है।
एलेप्पी एक्सप्रेस क्यों है एंबुलेंस ट्रेन
एलेप्पी एक्सप्रेस को एम्बुलेंस ट्रेन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस ट्रेन में 80 प्रतिशत लोग चिकित्सकीय कारणों से सफर करते हैं। इसमें सर्वाधिक संख्या धनबाद से काटपाड़ी यानी सीएमसी वेल्लोर जाने वालों की होती है। चेन्नई के शंकर नेत्रालय व अन्य अस्पताल जाने वाले भी इसी ट्रेन में बुकिंग कराते हैं। धनबाद ही नहीं कोयलांचल और संताल परगना के साथ-साथ झारखंड के 75 प्रतिशत जिलों के लोग इस ट्रेन पर आश्रित हैं। कोरोना काल के बाद वर्ष 2020 में एलेप्पी को धनबाद से 22 बोगियों के साथ चलाया जा रहा है। इससे पहले धनबाद से सिर्फ 14 बोगियों के साथ ट्रेन चलती थी। बाकी बोगियां
टाटा से चलकर राउरकेला पहुंचती थीं और राउरकेला में दोनों ट्रेनों को लिंक करके वेल्लोर भेजा जाता था।
स्लीपर में औसतन 150 वेटिंग
यह अत्यंत महत्वपूर्ण बात है कि एलेप्पी एक्सप्रेस में भीड़ सालों भर रहती है, लेकिन फिलहाल इस ट्रेन की स्लीपर बोगियों में औसतन 150 वेटिंग रह रही है। एक अनुमान के मुताबिक औसतन हर दिन 150 यात्रियों को रिजर्वेशन नहीं मिलने के कारण वे इस ट्रेन में यात्रा नहीं कर पाते हैं। बोगी बढ़ने से 72 यात्रियों की सीट कंफर्म हो सकेगी। जुलाई महीने से इस ट्रेन की बोगियों को एलएचबी कोच से बदलने की भी तैयारी चल रही है।