धनबाद नगर निगम चुनाव को लेकर लगातार आ रही खबरों के बाद शहर में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। पूर्व पार्षद, पूर्व मेयर सहित कई नये चेहरों की गोलबंदी शुरू हो गई है। कोई अपने आका के दरबार में हाजिरी लगाने लगा है तो कोई अलग-अलग जाति-समूहों को साधने में जुट गया है। झारखंड नगरपालिका निर्वाचन व चुनाव याचिका संशोधन नियमावली 2022 को राज्यपाल से मंजूरी मिलने के साथ यह संभावना भी पुख्ता हो गई है कि चुनाव दलीय आधार पर नहीं होगा। कोई भी दल अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगा। ऐसे में मेयर पद का चुनाव दिलचस्प होगा। निर्दलीयों के झुंड में पार्टी समर्थित कई चेहरे एक दूसरे से भिड़ेंगे। डिप्टी मेयर का चुनाव सीधे तौर पर नहीं होने के कारण पार्षदों के बीच पूर्व की भांति खरीद फरोख्त बढ़ेगी।
पूर्व मेयर के लिए नहीं होगी जीत की राह आसान
धनबाद शहर को सुंदर पार्क, सड़क और श्मशान देने वाले पूर्व मेयर के लिए इस बार जीत की राह आसान नहीं होने वाली। उन्हीं की पार्टी के विधायक ढुल्लू महतो अपनी पत्नी सावित्री देवी को चुनाव में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। ढुल्लू हाल ही पंचायत चुनाव में गेम चेंजर साबित हुए हैं। वह जिप अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी भाजपा समर्थक उम्मीदवारों को दिलाने में कामयाब रहे। वहीं धनबाद विधायक राज सिन्हा और पूर्व मेयर के बीच के संबंध से सभी वाकिफ हैं। पूर्व मेयर की पार्टी के पूर्व पार्षद कुमार अंकेश राज भी अलग राग अलाप रहे हैं। वह पिछले एक साल से जनता के बीच काफी सक्रिय हैं।
मैहर की दौड़ में दर्जन भर लोग शामिल
मेयर की दौड़ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सह पूर्व मंत्री मन्नान मल्लिक, कांग्रेस के वरीय लीडर मुख्तार खान, जेएमएम के अमितेश सहाय, भजपा के भृगुनाथ भगत, नितिन भट्ट, रूपेश कुमार सिन्हा, पूर्व बियाडा अध्यक्ष विजय झा, सिंह मेंशन की बहू रागिनी सिंह, टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो के पुत्र दिनेश महतो आदि कई अन्य शामिल हैं। आये दिन उनके नाम की चर्चा समर्थक करते रहते हैं। उपर्युक्त उम्मीदवार यदि मैदान में उतरते हैं तो यह कयास लगाना मुश्किल हो जाएगा कि कौन जीतेगा।
13 नगर निकायों का चुनाव है 2020 से पेंडिंग
धनबाद सहित राज्य के 13 नगर निकायों का चुनाव 2020 से पेंडिंग है। 18 जून 2020 को धनबाद नगर निगम का कार्यकाल समाप्त हो गया। इससे पूर्व 2019 में ही राज्य में सत्ता परिवर्तन हो गया। राज्य में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी। इसके कुछ माह बाद ही कोरोना संक्रमण बढ़ गया. 2021 तक स्थिति अनुकूल नहीं रहीं, जिस कारण चुनाव टलता रहा। इस बीच झामुमो सरकार पर स्थानीय दल आरोप भी लगाते रहे कि यह सरकार शहरी निकाय चुनाव इसलिये नहीं कराना चाहती कि राज्य के शहरी क्षेत्र में उसका जनाधार नहीं है। लेकिन पंचायत चुनाव के बाद सरकार से मिल रहे संकेत के बाद शहरी निकाय चुनाव की उम्मीद बढ़ गई है।
बरसात बाद हो सकता है धनबाद नगर निगम का चुनाव
राज्य चुनाव आयोग ने अभी नगर निकाय चुनाव की घोषणा नहीं की है। परिसीमन और वार्ड आरक्षण रिपोर्ट तैयार होने के बाद ही वस्तु स्थिति स्पष्ट हो सकती है। चुनाव पर अंतिम फैसला राज्य सरकार को लेना है। लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि बरसात खत्म होने के बाद नगर निकाय चुनाव की घोषणा हो सकती है।