Team India (टीम इंडिया) के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी की पत्नी साक्षी भी झारखंड में बिजली आपूर्ति की लचर स्थिति से परेशान हैं। आम जनता तो पूरे प्रदेश में बिजली की आपूर्ति की कमी रोज झेल ही रही है। 25 अप्रैल को साक्षी ने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट कर पूछा कि एक टैक्स पेयर होने के नाते जानना चाहती हूं कि आखिर झारखंड में कई सालों से बिजली की स्थिति ऐसी क्यों है। हमारी राय में अगर प्रदेश में बिजली आपूर्ति किला चढ़ता को लेकर कहीं से कोई सवाल उठता है तो यह लाजिमी है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इसे लेकर जवाब देना चाहिए।
कहां कहां जाती है झारखंड की बिजली
गौरतलब है कि झारखंड में स्थापित पावर प्लांटों से कुल क्षमता प्रतिदिन 4826 मेगावाट बिजली उत्पादित करने की है। फिलहाल रोजाना 4246 मेगावाट बिजली उत्पादित भी हो रही है, लेकिन राज्य को इसमें से मात्र 1246 मेगावाट बिजली ही मिल पा रही है। शेष 3000 मेगावाट बिजली दिल्ली, पंजाब और केरल को चली जाती है। इधर, बढ़ती गर्मी के बीच झारखंड में बिजली की मांग 2600 मेगावाट तक बढ़ गई है, जिसमें से बमुश्किल 2200 से 2300 मेगावाट तक की ही आपूर्ति की जा रही है। ऐसे में लगातार लोड शेडिंग हो रही है।
कहां कितना होता है उत्पादन
झारखंड में डीवीसी के दो और टाटा पावर के दो पावर प्लांट हैं। डीवीसी से उत्पादित 2000 मेगावाट में 600 मेगावाट बिजली ही झारखंड को मिल पाती है। शेष बिजली दिल्ली और पंजाब को जाती है। टाटा पावर के जोजेबेड़ा से उत्पादित बिजली टाटा स्टील को मिलती है। वहीं, टाटा पावर व डीवीसी के संयुक्त उपक्रम मैथन पावर से 1000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है।