Jharkhand (झारखंड) के CM हेमंत सोरेन के खिलाफ माइनिंग लीज आवंटन और शेल कंपनी से जुड़े उनके करीबियों के मामले पर 17 मई को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान ED की ओर से पेश शील बंद लिफाफे को खोला गया। कोर्ट को ED के वकील तुषार मेहता ने बताया, ‘2010 में 16 FIR हुई थी। इसके बाद ED ने अपनी जांच में पाया कि करोड़ों रुपये पूजा सिंघल के पास हैं। उन्हें मिलने वाली रिश्वत की रकम सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों तक पहुंचती थी। रिश्वत के पैसों को शेल कंपनी के माध्यम से मनी लॉड्रिंग की जाती थी। जांच में कुछ लोगों ने यह स्वीकार किया है कि मनी लॉड्रिंग होती थी। एक व्यक्ति ने मनी लॉड्रिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली कंपनियों की लिस्ट दी है।
मनरेगा से जुड़ी 16 FIR की डिटेल
इसके बाद हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मनरेगा से जुड़ी 16 FIR की डिटेल कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए जाएं। अब अगली सुनवाई 19 मई को होगी। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा, ‘इस मामले को CBI को क्यों दिया जाए, जबकि इस मामले में किसी तरह की FIR दर्ज नहीं है।’ इस पर याचिकाकर्ता के वकील राजीव कुमार ने दलील देते हुए कहा, ‘जनहित से जुड़े मुद्दों पर अदालत जांच का आदेश पारित कर सकती है।’ साथ ही उन्होंने अदालत को जानकारी दी कि यह मामला पूजा सिंघल के मामले से जुड़ा है।
सिब्बल ने रखा सरकार का पक्ष
शेल कंपनी के मामले में सरकार की तरफ से अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा। वहीं, माइनिंग लीज प्रकरण मामले की सुनवाई में CM हेमंत सोरेन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मुकुल रहतोगी ने पक्ष रखा। जबकि, ED की ओर से सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने पक्ष रखा। माइनिंग मामले की सुनवाई के दौरान रांची DC छवि रंजन भी मौजूद रहे।