Ranchi News : झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य में लैंड सर्वे का काम वर्षों से लम्बित रहने पर ने कड़ी नाराजगी जतायी है। सुनवाई के दौरान सोमवार को कोर्ट ने मौखिक राज्य सरकार से पूछा कि झारखंड में लैंड सर्वे पूरा करने में क्यों देरी हो रही है। कोर्ट ने राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए पूछा है कि झारखंड में लैंड सर्वे का काम कब तक पूरा होगा? झारखंड के कौन-कौन जिलों में लैंड सर्वे का काम पूरा हो चुका है और किन-किन जिलों में लैंड सर्वे का काम पूरा होने में और कितना समय लगेगा इसकी भी जानकारी कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगी है।
40 वर्ष से अधिक का समय बीता, लेकिन राज्य सरकार लैंड सर्वे का काम पूरा नहीं कर सकी
इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि वर्ष 1980 से झारखंड में लैंड सर्वे का काम चल रहा है, 40 वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन राज्य सरकार लैंड सर्वे का काम अब तक पूरा नहीं कर सकी है। लैंड सर्वे पूरा नहीं होने से जमीन माफिया एक्टिव हो चुके हैं, वे जमीन के दस्तावेज में हेराफेरी कर जमीन का नेचर बदल कर इसकी खरीद-बिक्री कर रहे हैं, जिससे राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। झारखंड में लैंड सर्वे पूरा करने को लेकर दाखिल गोकुल चंद की जनहित याचिका की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट में हुई। पूर्व की सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य में लैंड सर्वे की प्रक्रिया वर्ष 1980 से शुरू हुआ है। सिर्फ धनबाद में लैंड सर्वे का काम पूरा हो पाया है।
सबसे पहले 1932 में हुआ था लैंड सर्वे
सरकार ने बताया है कि लातेहार में भी लैंड सर्वे का काम पूरा हो गया, लेकिन उसे अभी प्रकाशित नहीं किया गया है। लैंड सर्वे का काम वर्ष 1980 से सरकार की ओर से चलाया जा रहा है, जो कब तक पूरा होगा यह पता नहीं है। इसलिए एक समय सीमा निर्धारित की जानी चाहिए, जिसमें राज्य के सभी जिलों में लैंड सर्वे का काम पूरा हो सके। कोर्ट को बताया गया कि सबसे पहले 1932 में लैंड का सर्वे हुआ था। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि राज्य के सभी जिले में जल्द से जल्द लैंड सर्वे कराया जाये, ताकि लैंड का मैनिपुलेशन ना हो। झारखंड में लैंड सर्वे होने से लैंड का रिकॉर्ड बनेगा। भू-माफियाओं द्वारा सरकारी और वन भूमि की जमीन की गलत ढंग से खरीद-बिक्री पर रोक लगेगी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से यह भी आग्रह किया था कि राज्य में भू-माफियाओं द्वारा गलत ढंग से जो जमीन की खरीद-बिक्री की गयी है, उसके डीड को रद्द किया जाये। लैंड का सीमांकन किया जाये और इसे प्रकाशित किया जाये।