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शिक्षकों की प्रोन्नति में टेट की अनिवार्यता पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

शिक्षकों की प्रोन्नति में टेट की अनिवार्यता पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

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Ranchi news : झारखंड उच्च न्यायालय में बुधवार को प्रारंभिक शिक्षकों की प्रोन्नति से संबंधित दो रीट याचिकाओं की सुनवाई न्यायाधीश दीपक रोशन के कोर्ट में हुई। पहली याचिका ग्रेड 4 से ग्रेड 7 में प्रोन्नति हेतु सभी शिक्षकों के लिए टेट की अनिवार्यता सुनिश्चित करने को लेकर था। इसमें याचिकाकर्ताओं का कहना है कि NCTE द्वारा जारी  आवश्यक अहर्ता संबंधित अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि अधिसूचना से पूर्व कार्यरत शिक्षकों को अपने पद पर बने रहने के लिए तो TET की आवश्यकता नहीं है। परंतु एक पद से दूसरे पद में प्रोन्नति हेतु TET की आवश्यकता है। कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए इससे संबंधित प्रोन्नति प्रक्रिया पर अंतिम आदेश तक रोक लगा दिया है।

दुमका, पश्चिम सिंहभूम और हजारीबाग के शिक्षकों ने दायर  की थी दूसरी याचिका 

दूसरी याचिका दुमका, पश्चिम सिंहभूम और हजारीबाग के शिक्षकों द्वारा दायर कर  गयी थी। इसमें विभागीय मार्गदर्शन पत्र 866 में सुझाए मार्गदर्शन के आधार पर ग्रेड 7 देने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। इससे सीधी नियुक्ति से नियुक्त एवं साढ़े आठ वर्ष से अधिक समय से वास्तविक रूप से कार्यरत ग्रेड – 4 शिक्षकों को वर्तमान प्रभावी 1993 प्रोन्नति नियमावली के आधार पर प्रोन्नति हेतु विचार नहीं करते हुए उन्हें वरीयता सूची में स्थान नहीं दिया जा रहा है। इसके विरुद्ध यह याचिका दायर की गई थी। माननीय अदालत ने इसपर फैसला देते हुए अंतिम आदेश आने तक ग्रेड 7 की प्रोन्नति पर रोक लगा दी है 

झारखंड प्रगतिशील शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष आनंद किशोर साहू कोर्ट के आदेश का स्वागत किया 

उक्त मुद्दे पर बात करते हुए झारखंड प्रगतिशील शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष आनंद किशोर साहू कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि ग्रेड 4 की प्रोन्नति पद प्रोन्नति है।‌ इसमें निश्चित रूप से सभी  के लिए टेट अनिवार्य योग्यता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संघ का मानना है कि किसी भी कैडर में प्रोन्नति हेतु निर्धारित मानक सभी शिक्षकों के लिए एक समान होने चाहिए।

प्रोन्नति मिलनी चाहिए परंतु समानता के साथ : बलजीत 

ग्रेड 7 प्रोन्नति पर रोक संबंधी फैसले पर बात करते हुए प्रदेश महासचिव बलजीत कुमार सिंह ने कहा कि इसी प्रकार की रोक एक अन्य याचिका में भी लगी हुई है। मूलत: यह रोक मार्गदर्शन पत्र 866 के क्रियान्वयन और उसके जरिए हो रहे भेदभावपूर्ण व्यवहार पर है। उन्होंने कहा कि प्रोन्नति मिलनी चाहिए परंतु यह समानता का व्यवहार के साथ और नियम सम्मत होना चाहिए।

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