– स्वास्थ्य विभाग ने चलाया छापेमारी अभियान
– कई अस्पताल संचालक शटर गिरा हुए फरार
– आगे भी जारी रहेगा छापेमारी अभियान
sugauli news : प्रखंड में अवैध रूप से संचालित क्लीनिकों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है। मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की गठित टीम ने छापेमारी अभियान चलाया। इससे पूरे दिन संचालकों में हड़कंप मचा रहा। हॉस्पिटल रोड, बस स्टैंड चौक सहित आधे दर्जन से अधिक अवैध रूप से संचालित अस्पतालों में छापेमारी की। टीम ने क्लीनिक चलाने वाले लोगों की अनुज्ञप्ति, चिकित्सकों का सर्टिफिकेट व अन्य आवश्यक प्रमाण पत्रों की मांग की। इसमें करीब दो-चार क्लीनिक के पास ही वैध कागजात पाए गए। छापेमारी की जैसे ही सूचना मिली अवैध रूप से संचालित अस्पताल संचालकों में हड़कंप मच गया। ऐसे संचालक अपने अस्पतालों का शटर गिरा कर फरार हो गए। बताते चले कि तीन दिन पहले छपवा चौक स्थित एक क्लीनिक में चिकित्सकों की लापरवाही से एक वृद्ध की मौत हो गई थी।
*समाचार सम्राट की खबर बनी थी सुर्खियां*
वृद्ध की मौत मामले की खबर को समाचार सम्राट ने प्रमुखता से छापी थी। खबर ही नहीं, बल्कि इस बात को भी उजागर किया था कि सुगौली में किस प्रकार अवैध रूप से संचालित क्लीनिकों का कारोबार फल-फूल रहा।
*स्वास्थ्य महकमा की टूटी नींद*
वृद्ध की मौत की घटना के बाद स्वास्थ्य महकमा की नींद टूटी। इसके बाद सीएचसी, सुगौली ने धावा दल का गठन किया। टीम ने छापेमारी की, तो अवैध संचालकों में हड़कंप मच गया।
*सरकारी अस्पताल के पाए गए पुर्जे*
छापेमारी में टीम को सरकारी अस्पताल का पुर्जा और आशा कार्यकर्ताओं को भी एक निजी अस्पताल में पाया गया। डॉ. रिजवी ने बताया कि जन सेवा हेल्थ केयर पर डॉ. श्वेता कुमारी इलाज कर रही थी। यहां डॉ. जफर समसुल के पास क्लीनिक चलाने का कोई भी वैध डॉक्यूमेंट नहीं मिला। शिवांगी हेल्थ केयर को बिना डिग्री के डॉक्टर चला रहे थे। सरस्वती शिशु केंद्र पर डॉ. सौरभ कुमार के पास ना तो डिग्री है और न ही कोई डॉक्यूमेंट है।
*थी योगा की डिग्री, कर रहे थे एलोपैथिक इलाज*
नवजीवन चाइल्ड केयर के चिकित्सक के पास योगा की डिग्री है और एलोपैथिक का इलाज करते हैं। चंदन हेल्थ केयर का सर्वाधिक संदिग्ध हाल पाया गया। यहां एक विद्यार्थी श्वेत कुमार चिकित्सक बनकर इलाज कर रहा था। यहां सरकारी अस्पताल का पुर्जा और आशा वर्कर्स को भी पाया गया। बताते चले की जितने भी अवैध क्लीनिक संचालित होते हैं, वह सभी आशा वर्कर्स के भरोशे ही चलते हैं।
*मरीज एजेंट के रूप में काम करती है आशा*
बताया जाता है कि किसी भी पंचायत से एक मरीज लाने पर जितना मरीज पैसा क्लिनिको के संचालकों को देता है। इस पैसे का आधा पैसा आशा वर्कर्स को मिलता है। वहीं कई आशा वर्कर्स मरीज एजेंट के रूप में कार्य करती हैं। जिसमें दवा से लेकर चिकत्सक की फीस की रकम में आधा हिस्सा वे खुद ही ले लेती है।
*की जाएगी कानूनी कार्रवाई*
डॉ. रिजवी ने बताया कि जांच का प्रतिवेदन जिला को भेजा जा रहा है। अवैध रूप से चल रहे क्लीनिकों के विरुद्ध जांच के बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जांच अभियान आगे भी जारी रहेगा।