पिछले दिनों 10 जून को झारखंड की राजधानी रांची में हुई हिंसा मामले में गिरफ्तार चार आरोपितों ने रिमांड के दौरान पूछताछ में कई चौकानें वाले खुलासे किए हैं। पुलिस के अनुसार चारों आरोपितों ने अपने कई साथियों के नाम पुलिस को बताए हैं, जो इस हिंसा में शामिल थे। चारों आरोपितों से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में प्रस्तुत किया। इसके बाद चारों को जेल भेज दिया गया।
आठ लोगों के बारे में पुलिस को मिली जानकारी
रांची के मेन रोड पर बीते 10 जून को हुए हिंसा मामले की जांच की दिशा को आगे बढ़ाने के लिए रांची पुलिस ने बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार होटवार रांची में बंद मोहम्मद माज, मोहम्मद रमजान, अरमान हुसैन व मोहम्मद अमजद को रिमांड पर लिया था। इस दौरान 48 घंटे तक पुलिस ने चारों से पूछताछ की। जांच टीम में शामिल अफसरों ने घटना के दिन के वीडियो फुटेज दिखाकर चारों से यह जानकारी ली कि घटना में कौन-कौन शामिल थे और उनके नाम क्या हैं। वीडियो फुटेज दिखाने के बाद पुलिस को लगभग आठ लोगों के नाम और पता मालूम चला हैं। अब पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए प्रयास कर रही है।
रांची में 10 जून को हुई हिंसा पूर्व नियोजित थी
पुलिस जांच में यह साफ हो चुका है कि 10 जून को हुई हिंसा पूर्व नियोजित थी। इसके लिए 36 से ज्यादा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का निर्माण किया गया था। इसी प्लेटफार्म के सहारे रांची में उपद्रव मचाने की साजिश रची गई थी। राजधानी में अब तक किसी भी मामले में सबसे ज्यादा एफआईआर रांची हिंसा मामले में ही दर्ज किया गया है। बताया गया कि 48 में से 20 एफआईआर अलग- अलग सोशल मीडिया चलाने वालों पर किए गए हैं। सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक और गलत पोस्ट कर के ही राजधानी रांची में हिंसा को हवा दी गई थी।
नूपुर शर्मा के बयान के बाद शुरू की गई थी तैयारी
अब तक की पुलिसिया जांच में यह पता चला है कि राजधानी रांची के डोरंडा, हिंदपीढ़ी, डेली मार्केट, सुखदेवनगर, कोतवाली और लोअर बाजार थाना क्षेत्रों में नूपुर शर्मा के बयान के बाद से ही रांची शहर को हिंसा फलाने की तैयारियां शुरू कर दी गई थी। रांची के बाहर से आकर लोगों ने नूपुर शर्मा के द्वारा दिए गए बयान को सुनाकर युवाओं को धर्म के नाम पर बरगलाया। उन्हें इस बात के लिए तैयार किया गया कि वे 10 जून को रांची में कुछ ऐसा करेंगे, जिससे हर जगह दहशत फैल जाए। इसके लिए इंस्टाग्राम, फेसबुक और व्हाट्सएप पर अलग-अलग ग्रुप बनाए गए। इसके माध्यम से रांची के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं को जोड़ा गया और उन्हें किसी बड़े धार्मिक स्थल पर हमला करने की साजिश का हिस्सा बनाया गया।