Hazaribagh news : लंदन में आयोजित भारत-यूरोप हिन्दी महोत्सव में आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे को साहित्य, संस्कृति, शिक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए वातायन अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मान 2023 से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें भारत के पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश चंद्र पोखरियाल ‘निशंक’, ब्रिटेन के सांसद वीरेंद्र शर्मा, भारतीय दूतावास के समन्वय मंत्री दीपक चौधरी ने ब्रिटेन एवं अनेक देशों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में प्रदान किया गया। बीते 13 अक्टूबर से 15 अक्टूबर के बीच आयोजित इस कार्यक्रम में सम्मान पाने के बाद आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने कहा, ‘भारतीय-यूरोपियन हिन्दी सम्मलेन हिन्दी के अंतर्राष्ट्रीय प्रचार प्रसार के लिए एक सरहानीय प्रयास है। मैं वातायन के पूरे समूह एवं चयन समिति के प्रेम और सम्मान के लिए हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। साथ ही, कहना चाहूंगा कि हिन्दी के प्रचार-प्रसार की यात्रा को इसी ऊर्जा से आगे बढ़ाने का प्रयास करता रहूंगा।’
‘समकालीन प्रवासी साहित्य’ का लोकार्पण
इस अवसर पर श्री चौबे के सम्पादन में प्रकाशित पुस्तक ‘समकालीन प्रवासी साहित्य’ का लोकार्पण भी मौजूद अतिथियों ने किया। वहीं, डॉ. जवाहर कर्णावट ने संतोष चौबे की वृहत रचनात्मक उपलब्धियों का विवरण प्रस्तुत किया। बता दें कि इस खास मौके पर सुप्रसिद्ध साहित्यकार अनामिका, उप्साला विश्वविद्यालय के प्रो. हाइंस वरनर वेसलर तथा रेखा सेठी को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन यूके हिन्दी समिति के संस्थापक पद्मेश गुप्त ने किया। इस अवसर पर वातायन की संस्थापक अध्यक्ष दिव्या माथुर, वैश्विक हिन्दी परिवार के अध्यक्ष अनिल जोशी एवं ब्रिटेन के अनेक गण्यमान्य महानुभावों की उपस्थिति रही। वहीं, ‘वातायन अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मान’ के लिए आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे को आईसेक्ट विश्वविद्यालय, हजारीबाग के कुलपति डॉ. पीके नायक, कुलसचिव डॉ. मुनीष गोविंद, डीन एडमिन डॉ. एसआररथ सहित सभी प्रध्यापक-प्राध्यापिकाओं व कर्मियों के साथ साथ ‘विश्व रंग’ टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव, विश्व रंग सचिवालय, वनमाली सृजन पीठ, टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, स्कोप ग्लोबल स्किल्स विश्वविद्यालय, डॉ. सीवी रामन विश्वविद्यालय, बिलासपुर, खंडवा, वैशाली, आईसेक्ट पब्लिकेशन, समस्त वनमाली सृजन केन्द्रों तथा साहित्य, कला संस्कृति की सहयोगी संस्थाओं ने बधाई दी है।
संतोष चौबे का बहुआयामी रचनाक्रम
कवि, कथाकार, उपन्यासकार संपादक और अनुवादक संतोष चौबे उन विरल साहित्यकारों में से हैं, जो अपने अभिनव रचनात्मक प्रकल्पों और नवाचारों के लिए वैश्विक पहचान रखते हैं। उनके छह कथा संग्रह- ‘हल्के रंग की कमीज’, ‘रेस्त्रां में दोपहर’, ‘नौ बिन्दुओं का खेल’, ‘बीच प्रेम में गांधी’, ‘मगर शेक्सपियर को याद रखना’ तथा ‘प्रतिनिधि कहानियां’, तीन उपन्यास- ‘राग केदार’, ‘क्या पता कॉमरेड मोहन’ और ‘जलतरंग’, चार कविता संग्रह- ‘कहीं और सच होंगे सपने’, ‘कोना धरती का’, ‘इस अ-कवि समय में’ तथा ‘घर-बाहर’ प्रकाशित और चर्चित हुए हैं। टेरी इगल्टन, फ्रेडरिक जेमसन, वॉल्टर बेंजामिन, ओडिसस इलाइटिस एवं ई.एफ. शूमाकर के उनके अनुवाद ‘लेखक और प्रतिबद्धता’, ‘मॉस्को डायरी’ तथा ‘भ्रमित आदमी के लिए एक किताब’ के नाम से प्रकाशित है, जो व्यापक रूप से पढ़े व सराहे गये हैं। उन्होंने कथाकार वनमाली पर केन्द्रित दो खंडों में ‘वनमाली समग्र’ का तथा कथा एवं उपन्यास पर केन्द्रित वैचारिक गद्य की तीन पुस्तकों ‘आख्यान का आंतरिक संकट’, ‘उपन्यास की नयी परम्परा’ एवं ‘कहानी: स्वप्न और यथार्थ’ का सम्पादन भी किया है। इसी के साथ उनकी दो आलोचना पुस्तकें ‘कला की संगत’ एवं और ‘अपने समय में’ भी प्रकाशित हुई हैं। वर्तमान में नाटक तथा कलाओं की पुरस्कृत और प्रतिष्ठित अंतर्विधायी पत्रिका ‘रंग संवाद’ के श्री चौबे प्रधान सम्पादक हैं।
‘कथादेश’ को 18 खंडों में सम्पादित किया
बताते चलें कि ‘विश्व रंग’ के अवसर पर उन्होंने देश भर के 600 से अधिक कथाकारों के कथा संचयन ‘कथादेश’ को 18 खंडों में सम्पादित किया है। उन्होंने हिन्दी भाषा और भारतीय संस्कृति के प्रसार के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय ‘विश्वरंग’ की वर्ष 2019 से शुरुआत की, जिसके आज 50 से अधिक सदस्य देश हैं। अंतर्रष्ट्रीय ‘विश्वरंग’ समारोह की त्रैमासिक पत्रिका ‘विश्वरंग संवाद’ के वह प्रधान सम्पादक हैं। उन्हें कविता (कहीं और सच होंगे सपने) के लिए मध्यप्रदेश साहित्य परिषद् का दुष्यंत कुमार पुरस्कार, आलोचना (कला की संगत) के लिए स्पन्दन आलोचना सम्मान, अनुवाद (मास्को डायरी) के लिए मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति का पुरस्कार एवं उपन्यास (जलतरंग) के लिए शैलेश मटियानी तथा अन्तरराष्ट्रीय वैली आॅफ वर्ड्स पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। समग्र साहित्यिक अवदान के लिए उन्हें राष्ट्रीय दुष्यन्त एवं शिवमंगल सिंह सुमन अलंकरण भी प्राप्त हुए हैं।