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एआई का इस्तेमाल करना जरूरी,झारखंड सरकार को इस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत, प्रदूषण, शिक्षा समेत कई क्षेत्रों में बेहतर परिणाम मिलेंगे : कुंदन के लाल

एआई का इस्तेमाल करना जरूरी,झारखंड सरकार को इस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत, प्रदूषण, शिक्षा समेत कई क्षेत्रों में बेहतर परिणाम मिलेंगे : कुंदन के लाल

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Ranchi latest Hindi news : विटी रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष कुंदन के लाल ने कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (कृत्रिम बुद्धिमता) एक तकनीकी है, जो विश्व के कई देश इस्तेमाल कर रहे हैं। आप इसे नकार नहीं सकते। अब यह सरकार पर है कि वह इसका इस्तेमाल किस प्रकार करती है। तकनीकी आ चुकी है। अब आप आंखें बंद कर लें तो आपकी मर्जी। आंखें खुली रखेंगे तो यह तकनीकी आपको दिखेगी, आप महसूस करेंगे कि इसकी क्षमता क्या है। फिर आपको उसके अनुसार चलना पड़ेगा। एआई का इस्तेमाल न करना कहीं से भी बुद्धिमता भरा फैसला नहीं कहा जा सकता।

हजारीबाग के रहने वाले हैं कुंदन के लाल

मूलतः हजारीबाग के रहने वाले कुंदन के लाल यहां मोरहाबादी में चल रहे पर्यावरण मेले में शामिल होने के लिए आए थे। एक विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि एआई (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट) को अभिशाप के रूप में देखने की कोई जरूरत नहीं है। इसे वरदान के रूप में देखने की कोशिश करनी चाहिए। एआई से आप उन हर क्षेत्रों में असाधारण सफलता प्राप्त कर सकते हैं, जो अब तक आपके लिए अबूझ है या जिसे आप नामुमकिन समझते हैं। एआई तमाम समस्याओं का समाधान है और इसे भारत जितनी जल्दी एडाप्ट करेगा, उसके लिए उतना ही बेहतर होगा।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार को एआई के संबंध में उन्होंने एक प्रपोजल दिया है। अभी उस पर कोई चर्चा नहीं हुई है। झारखंड जैसे राज्य में पानी, ऊर्जा सरीखे कई मसले हैं जिन पर एआई के माध्यम से काफी काम किया जा सकता है। कई क्षेत्र ऐसे हैं, जिन पर ध्यान दिया जाए तो झारखंड काफी आगे निकल जाएगा। जरूरत है कि उस प्रपोजल पर ध्यान दिया जाए। हमने उन्हें एक ऑटोनोमस इंस्टीट्यूट बनाने का भी सुझाव दिया है ताकि जब काम हो तो प्रापर वे में हो।

सरकार को एआई में जितना इन्वेंस्टमेंट करना चाहिए था, उतना नहीं हुआ

यह पूछे जाने पर कि देश में एआई पर इन्वेस्टमेंट की क्या स्थिति है, उन्होंने निराशा जाहिर करते हुए कहा कि सरकार को एआई में जितना इन्वेंस्टमेंट करना चाहिए था, उतना नहीं हुआ। हम लोग अभी यूरोपीयन कंट्री से काफी पीछे हैं। यहां तक कि चीन भी एशिया का ही एक देश है लेकिन उसने एआई की ताकत को बहुत पहले समझ लिया था और उसने ठीक-ठाक धनराशि इसके ऊपर खर्च कर की है। अमेरिका ने तो भारत के कुल बजट से ज्यादा इस फील्ड में निवेश कर रखा है। अब आप ही सोचें, जितना हमारा कुल बजट है, उससे ज्यादा अमेरिका ने सिर्फ एआई में निवेश कर रखा है। हम तो बेहद पीछे रह गए हैं।

एआई का इस्तेमाल कर हम पर्यावरण, प्रदूषण आदि पर बढ़िया काम कर सकते हैं

एक सवाल के जवाब में लाल ने बताया कि एआई का इस्तेमाल कर हम पर्यावरण, प्रदूषण आदि पर बढ़िया काम कर सकते हैं। खेती में इसका शानदार इस्तेमाल हो सकता है। हम लोगों ने देखा कि एआई के माध्यम से अमेरिका में किसान किस कदर खेती कर रहे हैं। सारा कुछ बिल्कुल सटीक होता है। यही वजह है कि हमारी तुलना में अमेरिका में बेहद कम किसान खेती करके हमसे भी कई बार ज्यादा पैदावार करते हैं। तकनीकी की ताकत को अगर हम आज नहीं समझेंगे तो फिर कभी नहीं समझ पाएंगे। यह बिल्कुल सही समय है, जब हम एआई में निवेश कर सकते हैं।
लाल ने कहा कि एआई के लिए आरएंडडी (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) बेहद जरूरी है। भारत में इस पर काम हो रहा है लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। लोग कहां से कहां पहुंच गए और हम अभी भी निचले पायदान पर खड़े हैं। हम लोग बेहद पीछे हैं।

बेरोजगारों से भरे देश में तो और भी स्थिति खराब होगी

यह पूछे जाने पर कि एआई के इस्तेमाल से भारत जैसे बेरोजगारों से भरे देश में तो और भी स्थिति खराब होगी, लाल ने कहाः हां, इसमें दर्द तो होगा पर आपको फैसला इसी में करना होगा। आपने एक पक्ष देखा कि बेरोजगारी बढ़ जाएगी। आप दूसरे पक्ष को देखें कि हमारी जो नई जेनरेशन तैयार हो रही है, वो अलग-अलग प्रोडक्ट तैयार करके हजारों-लाखों लोगों को नौकरी भी तो देगी। तय आपको करना है कि आधा गिलास पानी है या आधा गिलास खाली है। वैसे भी, तकनीकी जिस तरीके से आगे बढ़ रही है, भारत में जिस तरीके से मल्टीनेशनल कंपनियां काम कर रही हैं, उस हिसाब से एक दौर वो भी आएगा, जब वे एआई पर ज्यादा भरोसा करेंगी। फिर वो मैनपॉवर का इस्तेमाल क्यों करेंगी, यह भी सोचने वाली बात है। यह एक ऐसा दौर है, जिसमें आप अगर अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर नहीं चलेंगे तो बहुत पीछे रह जाएंगे।

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