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सरकारी सिस्टम से हारी आठ माह की गर्भवती पहाड़िया ने तोड़ा दम

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Jharkhand news: आदिवासी क्षेत्रों में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की कीमत अक्सर गरीबों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है। ऐसी ही एक घटना में दुमका जिले के गोपीकांदर प्रखंड के कुंडा पहाड़ी गांव में सोमवार को  विलुप्तप्राय पहाड़िया जनजाति की 19 वर्षीय गर्भवती महिला प्रिसिंका महारानी की इलाज के अभाव में जान चली गई । वह आठ महीने की गर्भवती थी, जिसे लेकर लाचार पिता दर-दर भटकता रहा। कहीं एएनएम ने लौटाया तो कहीं डॉक्टर नहीं मिले। ऑटो चालक ने भी बीच राह उतारा।

एम्बुलेंस के लिए एक घंटे तक फोन करता रहा लाचार पिता, पर…, फिर ऑटो लिया, वह भी…  

गर्भवती प्रिंसिका को शनिवार शाम में प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो पिता मंगला देहरी उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए लगातार एक घंटे तक एंबुलेंस को फोन करते रहे, लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची। फिर किराये पर आटो का इंतजाम कर बेटी को लेकर अस्पताल निकले, लेकिन दुर्गापुर गांव के आगे जाने से वाहन चालक ने इन्कार कर दिया। ऐसे में उन्हें रात दुर्गापुर में ही बितानी पड़ी। सुबह होने पर उन्होंने रविवार को गोपीकांदर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन एंबुलेंस नहीं मिली। फिर उन्होंने एक दूसरा आटो बुक किया और किसी तरह बेटी को लेकर गोपीकांदर सीएचसी पहुंचे। इस तरह घर से निकलने के दूसरे दिन प्रिंसिका अस्पताल तो पहुंच गई, लेकिन इलाज शुरू नहीं हो सका। आगे पढ़िए…

प्रसव पीड़ा के 24 घंटे बाद मयस्सर हुआ इलाज, अगली सुबह दम तोड़ा

गोपीकांदर सीएचसी पहुंचने पर वहां मौजूद एएनएम ने इलाज की व्यवस्था नहीं होने का हवाला देकर उसे बड़े अस्पताल ले जाने को कहा। इस बार भी आटो चालक आगे जाने को तैयार नहीं हुआ। मामले की जानकारी भाजपा नेता सत्य शिक्षानंद मुर्मू को हुई तो उन्होंने दुमका से एंबुलेंस मंगवाई। इसके बाद रविवार शाम में उसे फूलो झानो मेडिकल कालेज अस्पताल, दुमका में भर्ती कराया गया।प्रिसिंका के पिता के मुताबिक, यहां भी नर्स ने निजी अस्पताल ले जाने या फिर धनबाद ले जाने की सलाह दी। इस बीच प्रिसिंका की हालुत नाजुक होती गई। जिंदगी से जंग लड़ रही बेटी को पिता दूसरे अस्पताल ले जाने को तैयार हुए, लेकिन नर्स ने कहा स्लाइन पूरी तरह से चढ़ने के बाद ही जाने की अनुमति दी जाएगी। सुबह जब प्रिंसिका को अस्पताल से बाहर निकाला गया तो वह दुनिया छोड़ चुकी थी।

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