Jharkhand (झारखंड) में 31 मार्च को 231 लघु खनिजों का खनन पट्टा खत्म हो जाएगा। इसके बाद या तो लघु खनिज का खनन बंद हो जाएगा या इसे अवैध रूप से चलाया जाएगा। हेमंत सरकार की लापरवाही के कारण राज्य को करोड़ों नहीं अरबों रुपये के रिवेन्यू लॉस की संभावना है। जानकारों का कहना है कि यह स्थिति राज्य सरकार की 2 वर्षों की लापरवाही के कारण ही उत्पन्न हुई है।
राज्य के विकास और राजस्व पर असर
गौरतलब है कि नीलामी नहीं होने से बोल्डर,चिप्स,मिट्टी, चूना पत्थर, बालू, चीनी मिट्टी और मोरम सहित 4 दर्जन से अधिक लघु खनिजों का खनन स्टॉप हो जाएगा। इसका सबसे खराब असर राज्य के विकास और राजस्व पर ही पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने वृहद खनिज के लिए बनी एमएमडीआर एक्ट की तरह लघु खनिजों के लिए भी नियम बनाने और खनन पट्टा के माध्यम से इसकी भी नीलामी करने का ऑर्डर दिया था। इसके आलोक में राज्य में झारखंड लघु खनिज समनुदान नियमावली 2015 बनी। उसके बाद 2017, 2019, 2020 में इस नियमावली में संशोधन भी किया गया। इसी नियमावली के तहत राज्य में लघु खनिज का पट्टा नीलामी माध्यम से देना है, मगर राज्य सरकार ने वर्ष 2020 में एक आदेश के तहत लघु खनिज के दिए गए पट्टों को 2 वर्ष के लिए मार्च 2022 तक अवधि विस्तार दे दिया था। इसके बाद 2 साल तक सरकार का हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने का नतीजा है कि अब इन खदानों से लघु खनिजों का खनन कार्य 31 मार्च के बाद नहीं हो पाएगा या यदि होगा भी तो अवैध होगा।
45 पट्टों का टेंडर पूरा
जानकारी के अनुसार, अब तक सरकार की ओर से नए सिरे से खनन पट्टा देने की नीलामी प्रक्रिया पूरी नहीं की गई है। राज्य सरकार का कहना है कि 42 पट्टों का टेंडर पूरा हो गया है। 150 के टेंडर जल्द प्रकाशित होंगे।