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धनबाद में ‘काला हीरा’ की तस्करी बेखौफ, महीने में करोड़ों का काला धंधा…

धनबाद में ‘काला हीरा’ की तस्करी बेखौफ, महीने में करोड़ों का काला धंधा…

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Coal is black diamond, Dhanbad is top in its Smuggling In Jharkhand. झारखंड का धनबाद जिला ‘काला हीरा’ यानी कोयले का भंडार रखता है। यहां कोयले का भंडार है तो इसकी तस्करी में भी यह जिला अब्बल माना जाता है। कहा जाता है कि धनबाद जिले की चारों दिशाओं में कोयले की बेखौफ तस्करी हो रही है। जानकार कहते है कि ‘काला हीरा’ के ‘काला कारोबार’ ने इस बार कोयलांचल में तस्करी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। वर्तमान में अनुमानतः जिले के विभिन्न हिस्साें से प्रतिमाह करीब 600 करोड़ रुपये के कोयले के अवैध कारोबार की बात कही जाती है। तस्करों द्वारा बीसीसीएल ईसीएल की विभिन्न कोलियरियों से हर दिन करीब एक हजार हाइवा कोयला टपाया जा रहा है। कोयले का अवैध कारोबार जिले के झरिया, निरसा व बाघमारा कोयलांचल से लेकर महुदा तक धड़ल्ले से संचालित हो रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने 20 may को निरसा इलाके का निरीक्षण किया था। एनजीटी को अनुमान है कि सिर्फ निरसा इलाके से ही रोज 10 हजार टन कोयले का अवैध कारोबार हो रहा है।

बीसीसीएल में रोजाना लगभग 85,000 टन कोयले का उत्पादन

वर्तमान में बीसीसीएल हर दिन औसतन 85-90 हजार टन कोयले का उत्पादन कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक कंपनी के उत्पादन का करीब 15-20 फीसदी कोयला चोरी हो जा रहा है। खास कर झरिया, निरसा व बाघमारा कोयलांचल में अवस्थित बीसीसीएल-ईसीएल की विभिन्न कोलियरियों में तो मानो, कोयला लूट की पूरी छूट मिल चुकी है। झरिया के एनटी-एसटी, ऐना, बस्ताकोला, कुइयां, भौंरा, पाथरडीह, टासरा व बाघमारा क्षेत्र के गजलीटांड़, मुराईडीह, सोनारडीह, चैतुडीह, तेतुलमारी, एकेडब्ल्यूएम, शताब्दी परियोजना क्षेत्रों समेत आस-पास के सभी इलाकों में बड़े पैमाने पर कोयले का अवैध कारोबार चल रहा है। यह कारोबार न सिर्फ रात में, बल्कि दिन के उजाले में भी धड़ल्ले से संचालित हो रहा है।

पहले कभी नहीं देखने को मिली ऐसी कोयला चोरी

खास बात यह कि सिर्फ झरिया व बाघमारा कोयलांचल में अवस्थित बीसीसीएल की खदानों से हर दिन औसतन 650 से 700 हाइवा कोयला लोड होकर निकलता है, जबकि निरसा से भी करीब 300 हाइवा कोयला प्रतिदिन टपाया जा रहा है। इन हाइवा पर लोड कोकिंग कोल बरवाअड्डा, गोविंदपुर, बलियापुर सहित अन्य स्थानीय हाडकोक भट्ठों में खपाया जा रहा है, जबकि नन कोकिंग कोयले की खपत पश्चिम बंगाल, बिहार व यूपी की मंडियों में हो रही है। जाननेवालों का कहना है कि ऐसी कोयला चोरी पहले कभी नहीं देखने को मिली। जानकारों के मुताबिक धनबाद से प्रतिदिन 20 करोड़ और महीने में 600 करोड़ से अधिक के अवैध कोयले का कारोबार हो रहा है।

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