Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

Jharkhand: मछली उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है मत्स्य निदेशालय

Jharkhand: मछली उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है मत्स्य निदेशालय

Share this:

स्कैंपी मत्स्यपालन सम्वर्द्धन पर जागरूकता के लिए घाघरा जलाशय में बैठक आयोजित 

Jharkhand news, Jharkhand update, Ranchi news, Ranchi update, Ranchi latest news, Jharkhand latest news, Hazaribagh news : झारखंड के जलाशयों में स्कैंपी मत्स्य पालन वृद्धि के माध्यम से आदिवासी समुदायों की आजीविका में सुधार के उद्देश्य से मत्स्य निदेशालय द्वारा एक प्रमुख परियोजना हजारीबाग स्थित घघरा जलाशय में कार्यान्वयन की गयी है।

इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन के लिए आयोजित बैठक में  जलाशय में कार्यरत एकमात्र समिति के 66 सदस्यों की उपस्थिति में परियोजना गतिविधियों को  निष्पादित किया गया। मत्स्य निदेशालय के अधिकारियों के मुताबिक आईसीएआर -सीआईएफआरआई, बैरकपुर, कोलकाता, निदेशक डॉ.बीके दास के कुशल मार्गदर्शन में जिला मत्स्य पदाधिकारी, हजारीबाग और परियोजना के प्रधान अन्वेषक  डॉ. एके दास ने मछुआरों से इस  काम के लिए आगे आने का आह्वान किया और स्कैंपी बीजों के अस्तित्व एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक उपाय करने में पूरे दिल से शामिल होकर परियोजना के परिणाम का लाभ उठाने की अपील की। इस सम्बन्ध में उन्होंने समिति के सदस्यों के साथ विस्तार से चर्चा की।  

शिकारी या खाउ मछली से महझिंगा के बीज को बचाने के लिए ‘ठिकाने कैसे बनायें’ का भी प्रशिक्षण दिया

स्कैंपी संचयन जलाशय में सोमवार (18 सितम्बर) को स्टॉक किया गया। डॉ. दास ने मत्स्य पालक समिति के सदस्यों को शिकारी या खाउ मछली से महझिंगा के बीज को बचाने के लिए ‘ठिकाने कैसे बनायें’ का भी प्रशिक्षण दिया। हजारीबाग के जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार ने सदस्यों से इस परियोजना का भरपूर लाभ उठाने का आग्रह किया। हज़ारीबाग की पूर्व मत्स्य प्रसार पदाधिकारी (एफईओ) रजनी गुप्ता ने मत्स्यपालकों को यह महसूस कराया कि इन परियोजनाओं के तहत गतिविधियों को इस जलाशय में मछली पकड़नेवाले मछुआरों के आर्थिक उत्थान के लिए चिह्नित किया गया है।

महिला मत्स्य पालकों ने भी रखें विचार

समिति की कुछ महिला मत्स्य पालक और सदस्यों ने परियोजना को सफल बनाने में सभी सम्भावित समर्थन देने के लिए एकजुटता दिखाते हुए अपने विचार साझा किये।  

बैठक का समापन भोजन और प्रबंधन प्रोटोकॉल का पालन करते हुए नियमित आधार पर भंडारित बीजों को चारा और पोषक खनिज प्रदान करने में सक्रिय रूप से शामिल करने की पुष्टि के साथ हुआ। उक्त जानकारी मुख्य अनुदेशक प्रशांत कुमार दीपक ने दी।

घाघरा जलाशय में स्कंपी (झींगा) बीजों का संचयन 

हजारीबाग का एक छोटा जलाशय है, जिसका जल विस्तार 100 हेक्टेयर है। इस पर 40 आदिवासी मछुआरे परिवारों की आजीविका निर्भर करती है।  मत्स्य पालन विभाग, झारखंड  सरकार द्वारा प्रायोजित और आईसीएआर- सी. आईएफआरआई,  बैरकपुर, कोलकाता द्वारा क्रियान्वित झारखंड के जलाशयों में स्कैंपी मत्स्य पालन वृद्धि के माध्यम से आदिवासी समुदायों की आजीविका में सुधार पर एक प्रमुख परियोजना के तहत इस जलाशय में 2.0 लाख स्कैंपी/ झींगा के बीज का भंडारण किया गया है।  संस्थान के निदेशक डॉ. बीके दास द्वारा विधिवत मार्गदर्शन दिया गया।  इस जलाशय में केवल एक मत्स्यजीवी पालन सहकारी समिति (एफसीएस) कार्यरत है, जिसमें अबतक अच्छी वर्षा के द्वारा जलसंचयन हो रही है और लम्बे समय तक शुष्क अवधि के बाद जल स्तर में वृद्धि हुई है, जिससे स्कम्पी के अस्तित्व और विकास के लिए पर्याप्त गुंजाइश है, विशाल जलसंसाधन मीठे पानी का झींगो के लिए, जो ऐसे क्षेत्रों में नया है।  वहां रहनेवाले जनजातीय समुदायों की सामाजिक- आर्थिक स्थिति के उत्थान के लिए भंडारण किया जा रहा है।  स्टॉकिंग से पहले, एफसीएस सदस्यों को इस जलीय प्रणाली में अपने सुचारु विकास और अस्तित्व के लिए शिकारी दबाव से बचने के लिए बांस की छड़ियों और कांटेदार पेड़ के ठूंठों से बने कुछ ठिकानों को सैकम्पी के लिए आश्रय के रूप में रखने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। 

स्कैम्पी बीजों का भंडारण

छिपने की जगहों पर बीज संचयन करके स्कैम्पी बीजों का भंडारण किया गया था।  स्टॉकिंग कार्यक्रम का उद्घाटन प्रदीप कुमार, डीएफओ, मत्स्य विभाग, हजारीबाग ने विभागीय अधिकारियों सीमा टोप्पो, रांची का प्रतिनिधित्व करनेवाली और विभाग, झारखंड से परियोजना नोडल अधिकारी डॉ.एके दास की उपस्थिति में जलाशय में स्कैम्पी (झींगा) के बीजो छोड़ कर किया। आई.सी.ए.आर- सी.आई.एफ.आर.आई के प्रधान वैज्ञानिक और परियोजना प्रधान अन्वेषक डाॅ. एके दास, संस्थान के निदेशक डॉ. बीके दास द्वारा विधिवत विस्तारित तकनीकी मार्गदर्शन के तहत परियोजना क्रियान्वयन संगठन। मछली पैकेटों की संख्या से मछली के बीजों का बेहतर ढंग से नमूना लिया गया है और एफसीएस सदस्यों द्वारा गिना गया है, ताकि इस जलाशय में लाये गये जीवित स्कैंपी बीजों की सटीक संख्या पता चल सके। 

चारा और खनिज पोषक तत्व का वितरण 

एफसीएस को चारा और खनिज पोषक तत्व भी वितरित किये गये हैं, जिससे वे बीजों की अच्छी वृद्धि और अस्तित्व सुनिश्चित करने के लिए स्टॉक किये गये बीजों को ठीक से खिला सकें। प्रदीप कुमार, डी,एफ,ओ, हजारीबाग ने इस जलाशय में स्कैंपी के भंडारण कार्यक्रम की पूरी प्रक्रियाओं पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की है, जिससे आनेवाले दिनों में इस पारिस्थितिकी तंत्र के मछुआरों को आर्थिक और पोषण दोनों रूप से लाभ होगा। यह परियोजना भारत में अपनी तरह की पहली परियोजना है,जो तीन जलाशयों में कार्यरत है, जिनमें से एक क्रमशः गुमला, सिमडेगा और हज़ारीबाग़ जिले को चयनित किया गया है।

Share this: