‘अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान’ के शुभारम्भ कार्यक्रम में सम्मिलित हुए मुख्यमंत्री
Ranchi news, Jharkhand news, Jharkhand latest Hindi news, latest news, Ranchi Hindi latest news : मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा है कि झारखंड देश के अन्य राज्यों से बिलकुल अलग है। झारखंड की संस्कृति, सभ्यता और शिष्टाचार की अलग पहचान है। यहां के आदिवासी समुदाय के लोग काफी सहनशील और सरल है। राज्य में वन अधिकार अधिनियम, 2006 के अंतर्गत जो कार्य बहुत पहले होना चाहिए था, कहीं न कहीं उस कार्य की शुरुआत आज हमारी सरकार ‘अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान’ के रूप में कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम के लागू हुए लगभग 17 से 18 वर्ष होने जा रहे हैं, परन्तु झारखंड में इस अधिनियम की गम्भीरता को दृष्टिगत नहीं रखा गया, बल्कि पूरी तरह नजरअंदाज किया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि कई चुनौतियों के बाद आज हमारी सरकार वन अधिकार अधिनियम को एक मुहिम के तौर पर शुरू कर रही है। इस मुहिम के तहत राज्य के वन क्षेत्रों में निवास करनेवाले आदिवासी एवं मूलवासी समुदायों के बीच बड़ी संख्या में वनपट्टा का वितरण करने का लक्ष्य रखा गया है। उक्त बातें मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने सोमवार को झारखंड मंत्रालय स्थित सभागार में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा आयोजित वन अधिकार अधिनियम, 2006 के अंतर्गत ‘अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान’ के शुभारम्भ कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहीं।
राज्य में 80% लोग खेती-बाड़ी पर निर्भर, हमारी सरकार दे रही उन्हें हक और अधिकार
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि झारखंड में 30% वन क्षेत्र हैं। जंगल-झाड़ मिला कर देखें, तो यह 50% के करीब है। यहां के 80% लोग खेती-बाड़ी पर ही निर्भर हैं। मात्र 20% लोग जो बाजार और शहरों में है, बाकी सभी लोग खेती कार्य से ही जीवनयापन करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि दूसरे राज्यों को देखें जहां आदिवासियों की बहुलता कम है लेकिन वहां पर अधिकार के तहत वन पट्टों का वितरण के निमित्त बेहतर कार्य हुआ है। मुझे लगता है कि कोई भी कार्य आप सभी अधिकारी ने अगर आज ठान लिया, तो वह पूर्ण नहीं होगा, ऐसा हो ही नहीं सकता है। झारखंड अलग हुए इतने वर्ष बाद भी वन अधिकार अधिनियम के प्रावधानों की गम्भीरता पर हम लोगों ने ध्यान नहीं दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर हम आज इस मुहिम पर ध्यान नहीं दिये होते, तो कुछ वर्षों बाद फॉरेस्ट राइट एक्ट के विषय में चर्चा करने की आवश्यकता नहीं पड़ती, क्योंकि इतने गम्भीर विषय को पूर्ण रूपेण ठंढे बस्ते पर डालने का प्रयास किया गया था। अब हमारी सरकार का ‘अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान’ के तहत वनपट्टा वितरण पर विशेष फोकस है।
कार्यशैली में बदलाव लाकर लोगों के बीच उदाहरण पेश करें अधिकारी
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि इस राज्य के भौगोलिक और इस राज्य के अंदर चल रहे विकास की गतिविधियां आनेवाले दिनों में एक-दूसरे से परस्पर टकराव की स्थिति उत्पन्न करेंगी। वर्तमान में जो खेती योग्य जमीन है, उसमें भी कोयला निकाला जा रहा है। आज नहीं, तो कल वह खनिज सम्पदा समाप्त होगी। खनन कम्पनियां खनिज सम्पदा निकाल कर ऐसी स्थिति में छोड़ेंगी, जिसकी व्याख्या करना मुश्किल है। जो किसान विस्थापित हो रहा है, उसका अस्तित्व रहेगा कि नहीं। जहां आज धान की खेती हो रही है, क्या खनन कार्य के बाद उस जमीन पर फिर से वैसी ही खेती हो पायेगी? हमें इस और भी ध्यान देने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने जिला अधिकारियों से कहा कि जिलों में आपकी भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। आप सभी की कार्यशैली राज्य के विकास को बेहतर दिशा देने का काम करती है। आप अपनी कार्यशैली में बदलाव लाकर लोगों के बीच उदाहरण पेश करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान’ का समय-समय पर गहन रिव्यू भी किया जायेगा। इसलिए इस विषय पर विशेष रूप से ध्यान देते हुए कार्य करना है।
सभी अधिकारी अपने कार्यालय परिसरों एवं आवासीय परिसरों को हरा-भरा रखें
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि आदिवासी समाज कभी भी पेड़ों को नुकसान नहीं पहुंचता, क्योंकि उसे पता है, यही उसका जीवन है। मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों से आग्रह किया कि वे अपने कार्यालय परिसरों तथा आवासीय परिसरों पर वृक्षारोपण कर हरा-भरा करें। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि वनपट्टा देने के अभियान को सैचुरेट नहीं करेंगे, तो कुछ माफिया किस्म के लोग फिर जंगलों में घुस कर पेड़ की धड़ल्ले से कटाई करेंगे। अगर हम सभी लोग एक मजबूत कार्ययोजना बनाते हुए अभियान के उद्देश्य को पूरा कर लेते हैं, तो आनेवाले समय में जंगलों में जो लोग बसे हैं, जिन्हें अभी अतिक्रमणकारी के रूप में देखा जाता है, वे इनक्रोचर नजर नहीं आयेंगे। नहीं तो यह परस्पर चलता रहेगा।
10 साल बाद ‘अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान’ का बेहतर परिणाम देखने को मिल सकेगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम शहर में अतिक्रमण के दंश से जूझ रहे हैं। शहर में इसे रोकना सम्भव नहीं है, लेकिन गांव में हम आज भी इस काम को रोक सकते हैं, लोगों को उनका हक और अधिकार देकर। मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां तक जागरूकता की बात है, तो यहां के आदिवासियों और वनवासियों में इसकी कमी नहीं है। कमी है, तो सिस्टम के अंदर कार्य करनेवाले लोगों की इच्छा शक्ति में। कार्यशैली में काम को लटकाने का तो हम लोगों के पास भरपूर उपाय है, लेकिन उसका रास्ता हम कैसे निकालें, इस पर पसीने छूटने लगते हैं। पता नहीं, ऐसा क्यों होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सभी सरकार की चुनौती को मिशन मान कर आगे बढ़ें। हमारी सरकार इस अभियान से एक ऐसी व्यवस्था खड़ी करना चाहती है, कि आनेवाले समय में इसका असर दिखाई दे। आज अगर हम इस अभियान के तहत प्रतिबद्धता के साथ कार्य करेंगे, तो 10 साल के बाद इसका जो परिणाम होगा, वह बेहतर नजर आयेगा, जिस पर आपको भी गर्व होगा।
वन विभाग जंगलों को बचाने पर फोकस करे
मुख्यमंत्री ने कहा कि अंग्रेजों द्वारा आदिवासियों को माइग्रेट कर विभिन्न जगह ले जाया गया, ताकि उनके लिए वे खेती का कार्य, पेड़ लगाने का कार्य कर सकें। आदिवासियों में जंगलों को बचाने की क्षमता है। वन विभाग कार्यशैली में बदलाव लाकर वनों को बचाने के प्रति विशेष कार्य करें। व्यवस्था में आपको जो जिम्मेवारी मिली है, उसका पालन करें। आप सभी अधिकारी कार्यों के प्रति ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ अपनी भूमिका का निर्वहन करें।
नगाड़ा वादन कर अभियान का हुआ शुभारम्भ
इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन एवं मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने नगाड़ा वादन कर ‘अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान’ का विधिवत शुभारम्भ किया। मौके पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन एवं मंचासीन अतिथियों द्वारा इस अभियान की सफलता के लिए अभियान का लोगो/ टी शर्ट, मोबाइल एप एवं वेबसाइट, अभियान संसाधन तथा प्रचार सामग्री का उद्घाटन किया गया। अभियान के उद्देश्य को लेकर राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह एवं विभागीय सचिव राजीव अरुण एक्का ने विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन आदिवासी कल्याण आयुक्त अजय नाथ झा ने किया।
मौके पर ये थे उपस्थित
इस अवसर पर राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव श्रीमती वंदना दादेल, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, राजस्व विभाग के सचिव अमिताभ कौशल, प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजय श्रीवास्तव, आदिवासी कल्याण आयुक्त अजय नाथ झा, सभी जिलों के उपायुक्त, वन अधिकारी सहित अन्य गण्यमान्य लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।