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PFI और SDPI ने रची थी रांची में हिंसा की साजिश, फंडिंग भी की थी…

PFI और SDPI ने रची थी रांची में हिंसा की साजिश, फंडिंग भी की थी…

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Jharkhand News : झारखंड में प्रतिबंधित संस्था पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसके राजनीतिक विंग सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया (एसडीपीआई) की सक्रियता लगातार बढ़ने की खबर है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले माह राजधानी रांची में 10 जून के दंगों की साजिश रचने में भी पीएफआई और एसडीपीआई की भूमिका सामने आई है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक  10 जून के घटनाक्रम को अंजाम देने के लिए फंडिंग भी पीएफआई व उसकी राजनीतिक विंग ने की थी।

केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसी ने भेजी है रिपोर्ट

राज्य में पीएफआई की बढ़ती गतिविधियों को लेकर केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसी ने सरकार को रिपोर्ट भी भेजी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, बीते दिनों हुए पंचायत चुनाव में पीएफआई ने संगठन से जुड़े 48 लोगों को पंचायत चुनाव में जीत दिलवाई, साथ ही संदिग्ध गतिविधियों में जेल जाने वाले अपने बड़े नेता को जिला परिषद सदस्य का चुनाव भी जितवाया। गौरतलब है कि झारखंड में 19 फरवरी 2019 से पीएफआई प्रतिबंधित है। इसके बावजूद संताल परगना के कई जिलों में इसकी सक्रियता बढ़ी है।

पहले केरल से आता था फंड

पीएफआई और टेरर फंडिग जैसे मामलों पर रिसर्च कर चुके विनय कुमार सिंह का दावा है कि झारखंड की पीएफआई यूनिट को पहले केरल से फंड आता था। अब झारखंड से यूपी, बंगाल, बिहार व केरल को भी फंड किया जाता है। विनय कुमार सिंह ने दावा किया है कि संताल परगना में खनिज लूट में 25 प्रतिशत राशि पीएफआई तक पहुंच रही है। पाकुड़, दुमका, जामताड़ा, साहिबगंज के उदवा, पतना, बड़हरवा समेत कई इलाकों में पीएफआई को काफी फंडिंग मिली है। यही वजह है कि पीएफआई अब आर्थिक रूप से काफी मजबूत हो चुका है। प्रतिबंध के बावजूद पीएफआई अपने राजनीतिक विंग के तहत यहां काफी सक्रिय हुआ है।

झारखंड में प्रतिबंध हटाने की मांग

झारखंड में प्रतिबंधित पीएफआई के महासचिव अनीस अहमद ने अप्रैल 2022 में मुख्य सचिव को पत्र लिखकर संगठन को प्रतिबंध मुक्त करने की मांग की थी। 22 फरवरी 2018 को राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया था। तब पीएफआई ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। 28 अगस्त 2018 को हाई कोर्ट ने पीएफआई से प्रतिबंध हटा दिया था। दूसरी बार 12 फरवरी 2019 को गृह विभाग ने पीएफआई को प्रतिबंधित करते हुए अधिसूचना जारी की थी।

PFI पर दर्ज कुछ इंपॉर्टेंट मामले

  1. 16 जुलाई 2016 : साहिबगंज के रांगा के पतना चौक पर इस्लामिक धर्म प्रचारक डा. जाकिर नाईक के समर्थन में जुलूस निकाला। पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए।
  1. 03 जनवरी 2016 : पश्चिम बंगाल के मालदा स्थित कालियाचक में थाने में तोड़फोड़ के बाद आग लगाई।
  1. 15 सितंबर 2016 : साहिबगंज जिले के बरहेट थाना क्षेत्र के भोगनाडीह में शहीद सिदो-कान्हू की प्रतिमा से तोड़फोड़। 
  1. 5 जुलाई 2017 : पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष हेंजला शेख के नेतृत्व में 400 खास समुदाय के लोगों ने आक्रोश रैली निकाली। पाकुड़ नगर थाने के सामने बिना पूर्व सूचना के सड़क जाम किया। पुलिस बल से उलझे, पथराव किया। इसमें एसडीपीओ सहित कई चोटिल हुए। इस मामले में पीएफआइ के 43 समर्थक न्यायिक हिरासत में भेजे गए थे।
  1. 02 फरवरी 2018 : पश्चिम बंगाल के कालियाचक, फरक्का, मालदा आदि जिलों में गिरफ्तार आतंकियों का संबंध पीएफआई से मिला।
  1. 06 दिसंबर 2018 : दरभंगा के लहेरिया सराय में पीएफआई की राजनीतिक इकाई सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया ने भारत विरोधी नारे लगाये।

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