Panic in the village due to fear of elephant : जंगल-पहाड़ों से आच्छादित झारखंड में ऐसे दर्जनों इलाके हैं, जहां के हजारों ग्रामीण हाथियों के आतंक से दहशतजदा हैं। अक्सरहां ये हाथी जंगल से निकलकर गांव का रुख कर लेते हैं और मचाते हैं तबाही। सैकड़ों एकड़ में लगीं फसलों को जहां नुकसान पहुंचाते है, वहीं हर साल सैकड़ों घरों को ध्वस्त कर डालते हैं। दर्जनों की हर साल जान भी लेते हैं। 2010 से अबतक की बात करें तो हाथियों ने लगभग 1400 जिंदगियां लील ली है। बहरहाल एक 12 साल के हाथी ने इन दिनों कहर बरपा रखा है। उसने पिछले 15 दिनों में 16 लोगों की जान ले ली।
सिर्फ दो दिनों में आठ लोगों की पटक- पटककर मार डाला
यह 12 साल का हाथी कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि पिछले दो दिनों में इस हाथी ने आठ लोगों को पटक-पटककर मार डाला। सोमवार की सुबह इसने जहां लोहरदगा जिले के भंडरिया प्रखंड में चार लोगों की जान ले ली, वहीं रातों-रात वह जंगल के रास्ते रांची के इटकी पहुंच गया और वहां भी चार की जिंदगी लील ली, जबकि दो को अधमरा कर दिया। और तो और वह इतना ढीठ निकला कि शवों के पास ही डेरा डाले रहा कि अगर किसी की सांस भी चल रही हो तो उसे अस्पताल तक मयस्सर न हो सके।
भगाने में जुटी तीन जिलों की टीम, फिर भी छूट रहे पसीने
बहरहाल, हाथी को भगाने में रांची, खूंटी और बंगाल के बांकुड़ा की टीम लगी है, परंतु हाथी को भगाने में इनके पसीने छूट रहे हैं। उससे न सिर्फ ग्रामीण, बल्कि अधिकारी और हाथी भगाने वाली टीम तक दहशतजदा है। सबसे पहले उसे भगाने लोहरदगा पहुंची इस टीम को हाथी के डर से जहां घंटों गांव के ही एक छत पर शरण लेनी पड़ी, वहीं रांची पहुंची इन टीमों को भी उसे भगाने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। हालांकि, उसे घने जंगलों में भगा दिया गया है, लेकिन डर है कि वह सनकी हाथी कहीं फिर किसी आबादी में घुसकर हमला न बोल दे।