Jharkhand (झारखंड) में रांची के मांडर विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी की बड़ी हार हुई। गंगोत्री कुजूर को कांग्रेस की उम्मीदवार शिल्पी नेहा तिर्की, जो बंधु तिर्की की बेटी हैं, ने बड़े वोटों के अंतर से हराया है। 23 हजार से भी ज्यादा वोटों के अंतर से। इस चुनाव में भाजपा के सभी बड़े नेताओं ने अपना जमकर पसीना बहाया था। मुख्य जिम्मेदारी सीनियर नेता बाबूलाल मरांडी पर थी। चुनाव हारने के बाद भाजपा में हार के कारणों पर तो संगठन के भीतर तू-तू मैं-मैं चल ही रही है, इस बीच बाबूलाल मरांडी पर बंधु तिर्की ने ऐसा हमला किया, इस तरीके से जुबान खोली की पूरी भाजपा तिलमिला गई।
बंधु ने बाबूलाल को कहा जमीन दलालों का सरगना, भाजपा का पलटवार
प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की ने बाबूलाल मरांडी को जमीन दलाल का सरगना कह दिया। इसके बाद राजनीति का पारा ऊपर चढ़ गया। भाजपा ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है और कहा है कि बेबुनियाद बातों पर हमला करना कांग्रेस के डीएनए में है। बाबूलाल मरांडी राज्य के पहले मुख्यमंत्री रहे हैं और लोग उन्हें विकास पुरुष के नाम से जानते हैं। भाजपा ने मांडर उपचुनाव जीतने के बाद इसे बंधु तिर्की का अहंकार भी कहा है।
‘इन लोगों ने आदिवासियों के लिए क्या किया’
गौरतलब है कि 27 जून को मीडिया से बात करते हुए बंधु तिर्की ने कहा था कि बाबूलाल जहां से भाषण देते हैं, वहां जमीन दलाल खड़े रहते हैं। मेरे पास इसके कई उदाहरण हैं। यह आदिवासियों का नेता बनते हैं। इन लोगों ने आदिवासियों के लिए क्या किया। कमड़े-नगड़ी जैसे क्षेत्रों में आदिवासी जमीन के कई मामले हैं। कहा कि लैंड म्यूटेशन बिल को वापस कराने में मेरा बड़ा हाथ रहा है। यह मामला सदन में आ रहा था, तब उन्होंने तार्किक रूप से सारी बातों को रखा और फिर बिल वापस हो गया। एसटी-एससी को वरीयता के आधार पर उन्नति का मामला भी उन्होंने सदन में उठाया, तब इस मामले में समिति बनी और इसमें सफलता मिली।
‘भाषा की मर्यादा लांघना उचित नहीं’
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने ट्वीट कर बंधु तिर्की को नसीहत दी कि भाषा की मर्यादा लांघना उचित नहीं है। इसके बाद उन्होंने मीडिया से कहा कि बंधु तिर्की पहले बाबूलाल मरांडी के ही साथ थे, तब उन्हें वह विकास पुरुष नजर आते थे। अब उन्हें जमीन दलालों के सरगना नजर आ रहे हैं। दम है तो इसकी सूची दें। बंधु तिर्की दागो और भागो की नीति अपना रहे हैं। यह महत्वपूर्ण बात है कि अभी तक बाबूलाल मरांडी ने बंधु तिर्की के आरोपों पर जुबान नहीं खोली है। आगे देखना है कि वह स्वयं क्या कहते हैं।