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रहिए सावधान : रांची में शांति भंग करने की फिर चल रही साजिश,खुफिया विभाग की रिपोर्ट के बाद बढ़ाई गई गश्ती और…

रहिए सावधान : रांची में शांति भंग करने की फिर चल रही साजिश,खुफिया विभाग की रिपोर्ट के बाद बढ़ाई गई गश्ती और…

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Jharkhand  (झारखंड) की राजधानी रांची में 10 जून को हुई हिंसा के बाद पुलिस कार्रवाई जारी है। घटना में शामिल संदिग्धों की गिरफ्तारी हो रही है। सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। इस बीच रांची का अमन फिर से बिगाड़ने की साजिश शुरू हो गई है। इस संबंध में खुफिया रिपोर्ट मिलते ही पुलिस और प्रशासन सक्रिय हो गए। 15 जून की शाम से देर रात तक संवेदनशील इलाकों में गश्ती बढ़ा दी गई। 

17 जून को कुछ करने की रची जा रही साजिश

कई चिह्नित इलाकों में बैरिकेडिंग कर दी गई है तो कई को सील कर दिया गया है। छह थाना क्षेत्रों में पहले से ही 144 लागू है। खुफिया विभाग के अनुसार कुछ लोग रांची में शुक्रवार (17 जून) या उससे पहले एक और जुलूस निकालने की तैयारी मे हैं। जुलूस में सिर्फ महिलाएं शामिल रह सकती हैं। जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शन की आशंका है। खुफिया विभाग ने इससे जुड़ी रिपोर्ट रांची के डीसी छवि रंजन को दे दी है।

हिंदपीढ़ी के सभी एंट्री प्वाइंट पर बैरिकेडिंग

इसके बाद डीसी ने एडीएम (विधि व्यवस्था) और एसएसपी को संभावित स्थिति से निपटने की तैयारी करने को कहा है। साथ ही संवेदनशील स्थानों पर सीसीटीवी कैमरा लगाने और वीडियोग्राफी कराने का निर्देश दिया है। जुलूस के संभावित मार्गों पर बैरिकेडिंग और ड्राप गेट लगाने और वाटर कैनन की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया है। डीसी के निर्देश के बाद हिंदपीढ़ी के सभी इंट्री प्वाइंट पर बैरिकेडिंग कर दी गयी है।

डोरंडा का झंडा चौक सील

मेन रोड से सटे इलाके में भी बैरिकेडिंग की गयी है। कई जगह अस्थायी पिकेट बनाया गया है। डोरंडा के झंडा चौक को सील कर दिया गया है। जानकारी के अनुसार खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 जून की घटना के बाद 13 और 14 जून को निजामनगर में पुलिस जब संदिग्धों को हिरासत में लेने पहुंची तो कई घरों से धार्मिक नारे लगने लगे। नारेबाजी की आवाज कई और मोहल्लों तक पहुंच रही थी। इसके बाद लोग दहशत में आ गए। पूरे इलाके में तनाव फैल गया।

मंत्री आलमगीर आलम ने कहा, उपद्रवियों का पोस्टर लगाना गलत

झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने रांची की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इस मामले में उपद्रवियों का पोस्टर लगाना गलत है। 15 जून को दुमका में पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि इससे मैं सहमत नहीं हूं। बिना किसी परिणाम तक पहुंचे पोस्टर लगाना जल्दबाजी है। उन्होंने कहा कि पोस्टर तो 10 साल से फरार लोगों के लगाए जाते हैं। इस मामले का तो अभी अनुसंधान ही शुरू हुआ है।

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