Jharkhand (झारखंड) की राजधानी रांची के मेन रोड में 10 जून को भड़की हिंसा में यूपी के सहारनपुर कलेक्शन की बात अब सामने आ रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बताया जा रहा है कि एक हफ्ते पहले ही सहारनपुर से एक दर्जन लोग रांची आए थे। इन्होंने पैगंबर पर नूपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी को लेकर मुस्लिम युवकों से चर्चा की थी। इन लोगों ने कथित तौर पर युवाओं को हिंसक प्रदर्शन के लिए उकसाया और विरोध प्रदर्शन का रोडमैप बनाने का काम सौंपा था।
पीएफआई का हो सकता है हाथ
हिंसा के पीछे पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के हाथ होने की आशंका है। पूर्व की रघुवर सरकार ने 2019 में पीएफआई को प्रतिबंधित कर दिया था। इससे नाराज पीएफआई एक बार फिर यहां संगठन को मजबूत बनाने में जुटा है। कोरोना काल की वजह से बड़ा कोई प्रदर्शन नहीं हुआ था। इसलिए, पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी के बाद देश के कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन की बिसात बिछाई गई। पुलिस सूत्रों के अनुसार इस बिंदु पर भी जांच चल रही है। मेन राेड में हुई हिंसा में ज्यादातर किशोर व युवा ही आगे-आगे थे, जाे पत्थरबाजी और नारेबाजी कर रहे थे। पीएफआई का फोकस भी इसी एज ग्रुप के लड़के होते हैं।
आरएएफ और आला अधिकारियों की टीम कर रही फ्लैग मार्च
उधर, लगातार दूसरे दिन भी रैपिड एक्शन फोर्स, जिला पुलिस बल के अलावा आला अधिकारियों की टीम मेन रोड में 12 जून को फ्लैग मार्च करती रही। शुक्रवार को जुमे की नजाम के बाद उपद्रवियों ने जिस तरह से रांची में अशांति फैलाने की कोशिश की उसी के मद्देनजर प्रशासन हर जगह नजर रख रहा है। फिलहाल हालात नियंत्रण में हैं। हालांकि शुक्रवार देर शाम से बंद की गई इंटरनेट सेवा रविवार की सुबह शुरू कर दी गई है। एहतियात के तौर पर बहुत जरूरी काम होने पर ही मेन रोड में लोगों को जाने दिया जा रहा है।