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Jharkhand: धनबाद की इन छह बहनों को सलाम, जिसने किया बड़ा काम, कमाया नाम…

Jharkhand: धनबाद की इन छह बहनों को सलाम, जिसने किया बड़ा काम, कमाया नाम…

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Dhanbad news Dhanbad update, Dhanbad six sisters : जरा सोचिए एक ही घर की छह बहने और सब के सब किसी विद्यालय, महाविद्यालय अथवा तकनीकी कालेजों में प्राचार्य। सुनने में भले ही आश्चर्य लगे, परंतु है सच। अपनी प्रतिभा और योग्यता के बल पर इन बहनों में नारी सशक्तिकरण का अनूठा मिसाल पेश किया है, जो लड़कियों को आगे बढ़ने और समाज में अपना स्थान बनाए रखने की सीख देता है। आपको बता दें सभी बहनें धनबाद के धोवाटांड़ की हैं, जिन्होंने झारखंड को गौरवांवित किया है।

बड़ी सेवानिवृत्त, अन्य बहने जला रहीं शिक्षा की ज्योत

इन बहनों में से सबसे बड़ी ज्योत्सना सिंह कस्तूरबा स्कूल नौबतपुर में प्राचार्य थीं। अब सेवानिवृत्त हैं। दूसरी बहन डॉक्टर किरण सिंह चार कॉलेजों केबी महिला कॉलेज हजारीबाग, एसएसएलएनटी महिला कॉलेज धनबाद, आरएसपी झरिया व आरएस मोर कॉलेज गोविंदपुर में प्राचार्य रही हैं। वह डीन भी रहीं हैं। तीसरे नंबर पर आशा सिंह स्वयं का दो स्कूल चलाती हैं। वह स्कूल की प्रिंसिपल डायरेक्टर हैं। चौथे नंबर की बहन रीता सिंह चक्रधरपुर में स्कूल में प्राचार्य हैं। पांचवें नंबर की बहन डॉक्टर सरिता सिंह रामगढ़ महिला कॉलेज की प्राचार्य हैं। सबसे छोटी बहन डॉक्टर कविता सिंह पीके राय कॉलेज की प्राचार्य बनी हैं। डा. कविता कोयलांचल विश्वविद्यालय में पीजी विभागाध्यक्ष भी हैं।

बेटियों का आत्मनिर्भर होना जरूरी है

डॉक्टर कविता सिंह के पिता स्व. रामधनी सिंह वर्ष 1967 में धनबाद के विधायक रह चुके हैं। मां स्व. कलावती देवी भारत छोड़ो आंदोलन व जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में काफी सक्रिय थीं। चाचा रामखेलावन सिंह धनबाद नगरपालिका के अध्यक्ष रह चुके हैं। उनका परिवार 100 वर्ष पहले धनबाद आया था। डॉक्टर कविता सिंह के अनुसार घर में शुरू से ही पढ़ाई का माहौल था। माता-पिता का मानना था कि बेटियों का आत्मनिर्भर होना जरूरी है। बेटियों को आजादी व सम्मान की शुरुआत घर से मिलनी चाहिए। उसके बाद समाज भी उसे शाबाशी देता है। यही कारण है कि हम सभी बहनों को पढ़ने की आजादी मिली। सभी आज अपने-अपने क्षेत्र में बेहतर मुकाम पर हैं।

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