Jharkhand news : कभी अपनी खूबसूरत प्राकृतिक छटा, उम्दा और बेहतरीन जलवायु तथा वन संपदा के लिए दुनिया भर में जाना जाने वाला झारखंड आज क्रिटिकल जोन में पहुंच गया है। यहां के 14 जिलों की मिट्टी 68 से 70% तक बीमार हो चुकी है। सीधे शब्दों में कहें तो यह भूमि खेती के लिए अनुपयुक्त हो चुकी है। ऐसा होना झारखंड के लिए बड़ा आपदा है। डिपार्टमेंट आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में तेजी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। इसके दुष्प्रभाव के कारण राज्य के 24 में से 14 जिलों की 68% मिट्टी डिग्रेड हो चुकी है।
खाने के लिए दाने-दाने को होना होगा मोहताज
इन 14 जिलों में 12 जिलों की स्थिति तो और खराब हो गई है। इन जिलों की मिट्टी 70% तक बीमार हो गई है। यानी इस मिट्टी पर खेती किसानी मुश्किल हो जाएगा। राज्य के रामगढ़, धनबाद, बोकारो, गिरिडीह और लोहरदगा जिले की मिट्टी की हालत तो और खराब है। अगर समय रहते इस और सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो कृषि पर निर्भर रहने वाले यहां के लोग अन्न के दाने-दाने को मोहताज हो जाएंगे।
ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन राष्ट्रीय औसत से ज्यादा
झारखंड में कोयला, लोहा समेत दूसरे भारी उद्योगों के कारण ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन राष्ट्रीय औसत से अधिक है। झारखंड के 12 से 14 जिले ऐसे हैं जहां कोयला खनन के कारण प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर लोगों को तो रोजगार जरूर मिला है, लेकिन इन खदानों की वजह से झारखंड के मिट्टी पर सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ा है।
कोयला खनन व अन्य उद्योगों के कारण हुआ यह हाल
कोयला खनन और अन्य उद्योगों की वजह से यहां की मिट्टी की यह दुर्दशा हुई है। जलवायु परिवर्तन के मामले में झारखंड देश का सबसे प्रभावित राज्य बन चुुका है। इस साल भी जुलाई -अगस्त के में औसत से 50 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। डिपार्टमेंट आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी के अनुसार झारखंड में मिट्टी का स्वास्थ्य 68 फीसद तक डिग्रेड कर चुका है। राज्य के 24 में से 14 जिलों की मिट्टी उर्वरता के मामले में बीमार यानि क्रिटिकल अवस्था में है। इनमें से 12 जिले ऐसे हैं, जहां की मिट्टी 70 प्रतिशत से अधिक खराब हो चुकी है। इनमें रामगढ़, धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, लोहरदगा जैसे जिले शामिल हैं।