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दिवंगत एके राय की पार्टी मासस इतिहास के पन्नों में सिमटी, भाकपा माले में हुआ विलय

दिवंगत एके राय की पार्टी मासस इतिहास के पन्नों में सिमटी, भाकपा माले में हुआ विलय

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Ranchi news: प्रसिद्ध वामपंथी नेता दिवंगत कामरेड एके राय की पार्टी मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) का भाकपा(माले) में विलय हो गया। इसके साथ ही करीब पांच दशक से अधिक समय तक कोयलांचल की राजनीति में दबदबा रखने वाली मासस इतिहास बन गई। मासस का विलय अपने स्थापना काल के 52 वर्षों बाद हुआ है। मासस के गठन के एक वर्ष बाद ही 1973 में एके राय, शिबू सोरेन, बिनोद बिहारी महतो आदि नेताओं ने मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा का भी गठन किया था।

 पूरे देश की राजनीति काबड़ा घटनाक्रम है यह 

माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि दो दलों का यह मिलन न सिर्फ झारखंड, बल्कि पूरे देश की राजनीति का एक बड़ा घटनाक्रम है। वाम दलों की एकता से आइएनडीआए मजबूत होगा। यह बिल्कुल उसी तरह होगा, जैसे इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटों की संख्या बढ़ने से आइएनडीआइए मजबूत हुआ है। उन्होंने कहा कि मासस कोई राजनीतिक पार्टी नहीं थी। मासस एक समन्वय समिति थी। एके राय ने समिति को बड़ी राजनीतिक पार्टी बनाने का जो सपना देखा था, वह आज पूरा हो रहा है। 

विलय का प्रस्ताव लेकर पहुंचे थे आनंद और अरूप 

दीपंकर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि विलय का प्रस्ताव माले ने नहीं दिया था। मासस के अध्यक्ष आनंद महतो और कार्यकारी अध्यक्ष अरुप चटर्जी विलय का प्रस्ताव लेकर माले के पास आए थे। दीपंकर ने तमाम वाम दलों से एक प्लेटफार्म पर आने की अपील की। कहा कि समय की मांग है कि आज हम आनएनडीआइए में हैं। वाम दल और आइएनडीआइए साथ-साथ चलेगा। हर हाल में हमें भाजपा को रोकना है। ओडिशा और छत्तीसगढ़ जीत लेने से भाजपा का मनोबल बढ़ा है। वह झारखंड जीतने का सपना देख रही है। ऐसा हम होने नहीं देंगे।

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