Latehar news : लातेहार जिले में इस वर्ष अकाल के आसार दिखने लगे हैं. धान रोपनी के समय मानसून के द्वारा दगा दिए जाने के बाद खेत परती ही पड़े हुए हैं. मानसून के दगा देने के बाद किसानों को अब अकाल का डर सता रहा है. पूरी तरह वर्षा पर आधारित लातेहार जिले के किसान मानसून की दगा से निराश हो गए हैं. उन्हें डर है कि अगर एक-दो दिन में बारिश नहीं हुई तो वे पूरी तरह बर्बाद होने के कगार पर आ जाएंगे.
क्या कहते हैं किसान
चंदवा प्रखंड के लोहारसी पंचायत निवासी किसान सालमोहन भगत कहते हैं हमने 12 किलो धान लगाया बिचड़ा तैयार है। और अब सूखने के कगार पर है बारिश नहीं होने की वजह से हम लोग धान की रोपा नहीं कर पा रहे जिससे बिचड़ा दिन प्रतिदिन सुख रहा है। पिछले बार भी सही से खेती नहीं हो पाई थी और इस बार भी लगता है खेती नहीं हो पाएगी। अगर बारिश एक-दो दिन में हो जाती है तो हम लोगों को राहत जरूर मिलेगी। और हम खेती कर पाएंगे।
गारू प्रखंड के किस चरण राम ने कहा इन फसलों को होने लगा है नुकसान
गारू प्रखंड क्षेत्र में किसान मक्का की खेती को अधिक प्राथमिकता देते हैं। यहां किसान 15 जून से ही खेती की तैयारी में जुट जाते हैं। जिन किसानों ने पहली बारिश के बाद खेतों में बीज डाल चुके हैं उन्हें बड़ा नुकसान होने की चिंता सता रही है।गारू प्रखंड के किसान जोहान ब्रिजिया ने बताया कि जून की पहली बारिश के बाद यहां अधिकांश किसान खेतों में बीज डाल चुके है। इसके साथ ही खरपतवार को नष्ट करने कीटनाशक का छिडक़ाव भी कर दिये । लेकिन 10दिनों से बारिश बंद होने से कीटनाशक का प्रभाव सीधे फसल पर पडऩे लगा है। जिससे फसल सूखने की कागार पर पहुंच गई हैं। पानी के अभाव में धान, अरहर, उड़द, मक्का व तिल की फसल को नुकसान हो रही है।
सब्जियों को भी खतरा
बारिश के अभाव में सब्जी की खेती को भी नुकसान पहुंचने का खतरा बना हुआ है। किसानों का कहना है कि सिंचाई की सुविधा होने के बाद भी वर्षा की पानी की आवश्यता होती है। बारिश के पानी सब्जी में लगने वाली बीमारी नष्ट हो जाती है। और कुछ किसान तो मौसम पर ही निर्भर रहते है। वर्तमान में जिस तरह से तेज धूप के साथ उमस भरी गर्मी पड़ रही है, एसे में लाल मकड़ी सब्जी की फसल को प्रभावित करती है। जिसका प्रकोप शुरू भी हो गया है।