Nalanda news, Bihar news : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नये परिसर का उद्घाटन किया। इस मौके पर अपने उद्धाटन भाषण में मोदी ने कहा कि बिहार अपने गौरव को वापस लाने के लिए जिस तरह विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है, नालंदा का यह परिसर उसी की एक प्रेरणा है। नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है। नालंदा एक मूल्य है, मंत्र है, गौरव है, गाथा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि नालंदा इस सत्य का उद्घोष है कि आग की लपटों में पुस्तकें भले जल जायें, लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं। इस मौके पर विदेश मंत्री एस जयशंकर और 17 देशों के राजदूत और बिहार के सीएम नीतीश कुमार, राज्यपाल विश्नाथ राजेन्द्र अर्लेकर, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और संसदीय कार्यमंत्री विजय चौधरी ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
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नालंदा कभी भारत की परम्परा और पहचान का जीवंत केन्द्र हुआ करता था
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि नालंदा कभी भारत की परम्परा और पहचान का जीवंत केन्द्र हुआ करता था। शिक्षा को लेकर यही भारत की सोच रही है। शिक्षा ही हमें गढ़ती है, विचार देती है और उसे आकार देती है। प्राचीन नालंदा में बच्चों का प्रवेश उनकी पहचान, उनकी राष्ट्रीयता को देख कर नहीं होता था। हर देश हर वर्ग के युवा यहां पर अध्ययन करने के लिए आते थे। नालंदा विश्वविद्यालय के इस नये परिसर में हमें उसी प्राचीन व्यवस्था को फिर से आधुनिक रूप में मजबूती देनी है और मुझे यह देख कर खुशी है कि दुनिया के कई देशों से आज यहां कई विद्यार्थी आने लगे हैं। दुनिया के कई देशों से यहां छात्र आने लगे हैं। नालंदा में 20 से ज्यादा देशों के छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। ये वसुधैव कुटुंबकम की भावना का कितना सुंदर प्रतीक है।
भारत में योग की सैकड़ों विधाएं मौजूद
उन्होंने कहा, ‘21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है। आज भारत में योग की सैकड़ों विधाएं मौजूद हैं। हमारे ऋषियों ने कितना गहन शोध इसके लिए किया होगा लेकिन किसी ने योग पर एकाधिकार नहीं बनाया। आज पूरा विश्व योग को अपना रहा है, योग दिवस एक वैश्विक उत्सव बन गया है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय की पहचान ज्ञान के केन्द्र के रूप में रही है। पुराने विश्वविद्यालय में करीब 10 हजार छात्र पढ़ते थे, जबकि दो हजार शिक्षक बच्चों को पढ़ाते थे। उन्होंने कहा कि देश ही नहीं, दुनिया के अनेक जगहों के लोग यहां आकर पढ़ाई करते थे। लेकिन, दुर्भाग्यवश यह विश्वविद्यालय नष्ट हो गया था।
नीतीश ने कहा कि साल 2005 से हम लोगों को काम करने का मौका मिला और तब से हमने बिहार के विकास का काम शुरू किया। वर्ष 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम बिहार आये थे। विधानमंडल में सम्बोधन के दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय को फिर से स्थापित करने की बात कही थी, जिसके बाद सरकार ने विश्वविद्यालय को फिर से स्थापित करने की पहल शुरू की।
नीतीश बोले – 2010 में हमारे अनुरोध पर नालंदा विश्वविद्यालय के लिए बिल पारित किया गया
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार से हमने अनुरोध किया था लेकिन उस वक्त केन्द्र में जो सरकार थी, वह जल्दी कुछ सुन नहीं रही थी। इसके बाद राज्य सरकार ने इसको लेकर नया कानून बनाया। राज्य सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय के लिए 455 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था। वर्ष 2008 में जब काम शुरू हुआ, तो कलाम साहब उसे देखने के लिए फिर से आये थे। नीतीश ने कहा कि 2010 में हमारे अनुरोध पर नालंदा विश्वविद्यालय के लिए लोकसभा में बिल पारित किया गया। इसके बाद बिहार सरकार ने भूमि समेत अन्य चीजों को केन्द्र सरकार को सौंप दिया था। फिर विश्वविद्यालक का काम धीरे-धीरे होता रहा और साल 2014 से पढ़ाई शुरू हो गयी। केन्द्र में 2014 में एनडीए की सरकार बनी, तो काम में और तेजी आयी। वर्ष 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने विश्वविद्यालय के भवनों का शिलान्यास किया था।
इस मौके पर बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि नालंदा अपनी सांस्कृतिक और शैक्षिक धरोहर-विरासत है। अनेक वर्षों से इस पर ध्यान देने की आवश्यकता थी। इसको फिर एक बार उभार कर लाने की आवश्यकता थी। इसके प्रयास हमारे द्वारा किया जा रहा है।
नालंदा विश्वविद्यालय की कुछ खास बातें
- नया परिसर नालंदा के प्राचीन खंडहरों के पास है, जो नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम 2010 द्वारा स्थापित एक विश्वविद्यालय है। अधिनियम ने 2007 में फिलीपींस में आयोजित दूसरे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में किये गये विश्वविद्यालय की स्थापना के निर्णय को लागू किया।
- पांचवीं शताब्दी में स्थापित नालंदा विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करनेवाला एक प्रसिद्ध शिक्षण केन्द्र था। 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों द्वारा इसे नष्ट करने से पहले यह 800 वर्षों तक फलता-फूलता रहा।
- समकालीन विश्वविद्यालय ने 2014 में 14 छात्रों के प्रारंभिक समूह के साथ एक अस्थायी स्थल पर अपना संचालन शुरू किया और 2017 में निर्माण कार्य शुरू हुआ।
- भारत के अलावा कुल 17 देशों ने नालंदा विश्वविद्यालय को समर्थन देने के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये हैं। इन देशों में ब्रुनेई दारुस्सलाम, कंबोडिया, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, लाओस, मॉरीशस, श्रीलंका, थाईलैंड, चीन, म्यांमार और वियतनाम शामिल हैंं।
- विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों को 137 छात्रवृत्तियां प्रदान करता है। इनमें छह स्कूल शामिल हैं… बौद्ध अध्ययन स्कूल, दर्शन और तुलनात्मक धर्म, ऐतिहासिक अध्ययन, पारिस्थितिकी और पर्यावरण अध्ययन और सतत विकास और प्रबंधन।
- शैक्षणिक वर्ष 2022-24, 2023-25 के लिए स्नातकोत्तर कार्यक्रमों और 2023-27 के लिए पीएचडी कार्यक्रम में नामांकित अंतरराष्ट्रीय छात्र अर्जेंटीना, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, घाना, इंडोनेशिया, केन्या, लाओस, लाइबेरिया, म्यांमार, मोजाम्बिक, नेपाल, नाइजीरिया, कांगो गणराज्य, दक्षिण सूडान, श्रीलंका, सर्बिया, सिएरा लियोन, थाईलैंड, तुर्की, युगांडा, यूएसए, वियतनाम और जिम्बाब्वे सहित विभिन्न देशों से आते हैं।
- परिसर में 40 कक्षाओं वाले दो शैक्षणिक ब्लॉक हैं, जिनकी संयुक्त बैठने की क्षमता लगभग 1,900 है। परिसर में दो सभागार भी हैं, जिनमें से प्रत्येक में 300 सीटें हैं। छात्रावास में 550 छात्र रह सकते हैं।
- परिसर में विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिनमें एक अंतरराष्ट्रीय केन्द्र, 2,000 लोगों की क्षमता वाला एक एम्फीथिएटर, एक फैकल्टी क्लब और एक खेल परिसर शामिल हैं।
- परिसर एक ‘नेट जीरो’ ग्रीन कैम्पस है, जिसे सौर ऊर्जा प्रतिष्ठानों, घरेलू और पेयजल उपचार सुविधाओं, अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग के लिए एक जल पुनर्चक्रण संयंत्र, 100 एकड़ जल निकायों और कई अन्य पर्यावरण के अनुकूल सुविधाओं के साथ आत्मनिर्भर होने के लिए डिजाइन किया गया है।
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