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केबीसी में रांची की मधुरिमा के हाथ लगते 25 लाख, लेकिन 13वें प्रश्न ने उलझाया, बिग बी के समक्ष दिखलाई अच्छी हाजिर जवाबी 

केबीसी में रांची की मधुरिमा के हाथ लगते 25 लाख, लेकिन 13वें प्रश्न ने उलझाया, बिग बी के समक्ष दिखलाई अच्छी हाजिर जवाबी 

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Kaun Banega crorepati, Madhurima, Ranchi news, Jharkhand news, entertainment news, national news, Amitabh Bachchan:  रांची की मधुरिमा ने केबीसी की हाॅट सीट पर पहुंच कर अपने शहर और राज्य का मान तो बढ़ाया ही, रुपहले पर्दे के महानायक अमिताभ बच्चन के समक्ष हाजिरजवाबी भी अच्छी दिखलाई। रंग बिरंगी नीली रोशनी में प्रश्नों का बौछार तो मधुरिमा के लिए किसी सपने जैसा था। वर्षों का उसका सपना सच हो रहा था। मधुरिमा ने सवाल-जवाब वाले अत्यन्त लोकप्रिय इस शो में 03  लाख 20 हजार रुपये ही जीते। वह 25 लाख तक पहुंच चुकी थीं, लेकिन 13 वें प्रश्न के गलत उत्तर ने सीधे उन्हें 03  लाख 20 हजार पर पहुंचा दिया। प्रश्न था रघुवंशी पांचाल किस संगीतकार जोड़ी का अंतिम नाम था ? दो लाइफ लाइन बची थी और दोनों काम न आयी। 12 वें प्रश्न तक 12 लाख पचास हजार जीत चुकी थीं, लेकिन 25 लाख के मोह ने नीचे पहुंचा दिया।

महानायक ने पूछा, 3 लाख 20 हजार का क्या कीजिएगा 

जब मधुरिमा ने यह राशि जीती, तो अमिताभ ने सवाल किया, इस रकम का क्या कीजिएगा। मधुरिमा ने सहजता से बताया, घर बनायेंगे। आम आदमी की जिन्दगी तो रोटी, कपड़ा और मकान में ही उलझी होती है। हर आदमी का एक सपना होता है, अपना घर हो। मधुरिमा का भी यही सपना है। कहा, किराये पर हम लोग रहते हैं। मां की सीख को भी साझा किया और कई बातें बतायीं। बताया…”मेरी दो छोटी बहनों की शादी पहले हो गयी। मैं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थी। सो, तैयारी के लिए एकाग्रता जरूरी थी। हमारे समाज में दहेज भी एक बड़ी समस्या है।”

… और अमिताभ की आंखें नम हो गई

जब 10 हजार जीती, तो इस रकम के बारे में अमिताभ ने पूछा। यह प्रसंग बड़ा मार्मिक था कि तब उनके जीवन में 10 हजार कितनी बड़ी राशि थी। उन्होंने बताया कि क्रिकेट खेलते हुए हाथ फ्रैक्चर हो गया था। दवा के लिए पैसे नहीं थे। डाॅक्टर मेजर ऑपरेशन की बात कह रहा था। किसी तरह व्यवस्था हुई। 10 हजार खर्च हुए। तब, इसकी कीमत समझ में आयी। आज भले ही यह बहुत छोटी रकम लगे। इस पूरे प्रसंग को बताया, तो अमिताभ की आंखें भी नम हो गयीं। दर्शक दीर्घा में बैठे पति और ससुर की आंखें भी गीली हो गयीं। ऐसे कई अवसर आये। अमिताभ माहौल को हल्का करते और फिर प्रश्नों की ओर मुड़ जाते। घर-परिवार की बातें भी करते।

विकास के नाम पर बंद हो पेड़ों की कटाई

अमिताभ बच्चन बीच-बीच में माहौल हल्का करने के लिए कुछ अलग तरह के प्रश्न भी करते जा रहे थे। इसी तरह ग्लोबल वार्मिंग के बारे में पूछा। मधुरिमा ने जवाब दिया, सर विकास के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। सांस लेना भी अब दूभर हो रहा है। उत्तराखंड का हाल हम सब ने देखा है। ग्राउंड वाटर के लिए हम जगह नहीं छोड़ रहे हैं। वनभूमि को भी बर्बाद किया जा रहा है। खनन भी है। ऐसे में क्लाइमेंट चेंज तो होगा ही। अगली पीढ़ी को हम क्या सौंप कर जायेंगे, इस पर भी सोचना चाहिए।

2020 से शुरू की तैयारी

मधुरिमा ने बताया कि केबीसी की तैयारी 2020 से शुरू की। नौकरी करते हुए, दो-दो बच्चों को सम्भालते हुए यूट्यूब पर समकालीन प्रश्नों से जूझती थी। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हुए भी सामान्य ज्ञान को मजबूत किया। इसके बाद केबीसी के काफी एपिसोड देखे और प्रश्नों को समझने का प्रयास किया। इस साल हमने कोशिश की। रजिस्ट्रेशन से लेकर चयन तक चार चरणों की प्रक्रियाओं से गुजर कर हाॅट सीट पर बैठने का सौभाग्य मिला। 24 अगस्त को यह एपिसोड शूट हुआ और 18 सितम्बर को प्रसारित हुआ।

वन विभाग में हैं प्रशाखा पदाधकारी

मधुरिमा झारखंड सचिवालय सेवा में वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग में प्रशाखा पदाधिकारी हैं। मधुरिमा बताती हैं कि जब से यह टीवी पर केबीसी आरम्भ हुआ, तब से जाने की इच्छा थी, लेकिन तब न मोबाइल था, न टीवी ही। इस बीच प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में उलझ गयी। इसके बाद रेलवे में नौकरी लग गयी। यहां 2009 से जून 2013 तक काम किया। इसके बाद इसी साल सचिवालय में नौकरी लग गयी। तब से यहीं कार्यरत हूं।

उनको छूना किसी सपने के सच होने जैसा था…

मधुरिमा कहती हैं, अमिताभ बच्चन एक महान कलाकार हैं। उनको सामने से देखना, किसी सपने के सच होने जैसा था। भारतीय फिल्मों का एक महानायक। वह सामने की सीट पर बैठे थे। परन्तु, वह नर्वस नहीं होने देते। सामनेवाले को वह एहसास नहीं होने देते कि उनके सामने सदी का महानायक बैठा है। हल्के-फुल्के अंदाज में वह बात आगे बढ़ाते। मैंने जब उन्हें छुआ, तो उस एहसास को शब्दों में बयां नहीं कर सकती। मेरा रोम-रोम पुलकित हो रहा था। वाणी मूक हो गयी थी। सिर्फ उस पल को बस जी लेना चाहती थी। वह पल, वह तारीख मेरे जीवन के किसी अनमोल उपहार से कम नहीं था। मेरे पति कमलदीप कुमार सिन्हा भी साथ थे। कमलदीप कहते हैं, “यह अविश्वसनीय लग रहा था।”

लोगों ने दी बधाई

झारखंड सचिवालय सेवा के अध्यक्ष ध्रुव प्रसाद, उपाध्यक्ष विनय कुमार बरनवाल एवं अन्य पदाधिकारियों ने सोमवार को उन्हें बुके देकर सम्मानित किया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

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