रिम्स में तृतीय वर्ग की नियुक्तियों में अनियमितता उजागर होने के बाद भी राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई न किए जाने पर झारखंड हाईकोर्ट ने सवाल उठाते हुए सरकार को फटकार लगाई है। अदालत में सरकार से कहा कि प्रथम दृष्टतया यह प्रतीत होता है कि रिम्स में तृतीय वर्ग की नियुक्तियों में गड़बड़ी हुई है। सरकार जांच कर बताये कि इन नियुक्तियों को रद्द क्यों नहीं किया जाए। इस मामले को लेकर राज्य सरकार ने अपने स्तर से जांच करायी थी, जिसमें नियुक्तियों में अनियमितता की पुष्टि हुई है। अब सरकार इन नियुक्तियों को रद्द करने के लिए अदालत की ओर क्यों देख रही है। सरकार स्वयं इन नियुक्तियों को क्यों नहीं रद्द कर रही है। इसके पीछे क्या कारण है।
हाईकोर्ट में 2 सप्ताह में सरकार से मांगा जवाब
इस मामले में कोर्ट ने दो सप्ताह में राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। इस मामले की सुनवाई मंगलवार को हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति डॉ एसएन पाठक की अदालत में हुई। बता दें कि प्रार्थी भुवन भास्कर, रोहित महतो, प्रीति कुमारी, सुमित्रा कुमारी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्तियों को चुनौती दी थी। इन लोगों ने रिम्स में हुई तृतीय वर्ग की नियुक्तियों जैसे लेबोरेट्री असिस्टेंट, ऑपरेशन थियेटर असिस्टेंट, वार्ड अटेंडेंट, रेडियोग्राफर आदि की नियुक्ति में गड़बड़ी की बात कही थी। साथ ही साथ नियुक्तियों को रद्द करने का आग्रह कोर्ट से किया है।
2020 में पूरी हुई थी नियुक्ति प्रक्रिया
प्राथियों का कहना था इन पदों पर हुई नियुक्तियां गलत हैं। इसकी शिकायत उन्होंने विभागीय मंत्री से की थी। इसके बाद सरकार के स्तर पर जांच हुई थी, जिसमें अनियमितता की बात सामने आयी थी। गौरतलब है कि राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान रांची (रिम्स) में तृतीय वर्ग के पदों के के लिए वर्ष 2019 में विज्ञापन निकला था। इसके बाद वर्ष 2020 में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की गयी। वर्ष 2020 में अनियिमतता की शिकायत आने पर राज्य सरकार ने इसकी जांच करायी थी, जिसमें अनियिमतता की बात सामने आयी थी।