Garhwa news, Jharkhand news : पहले अन्याय और अत्याचार की अनदेखी, फिर समाज से बहिष्कार वास्तव में सामाजिक रूप से यह चिंताजनक है। मामला गढ़वा जिले के रंका थाना क्षेत्र अंतर्गत एक गांव का है। जिस 35 साल की आदिवासी महिला की शिकायत पर व्यवहार न्यायालय ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था, वह रंका थाना में अबतक विचाराधीन है। पीड़िता एवं उसके परिजन भयभीत हैं। समाज ने उन्हें बहिष्कृत कर रखा है। मुस्लिम बहुल इस क्षेत्र में हिंदू समाज के लोग भी भयवश संबंधित परिवार को किसी पर्व-त्योहार या अन्य अवसरों पर उन्हें शामिल नहीं करते।
इस तरह बनाया हवस का शिकार
जानकारी के अनुसार, पीड़िता का कहना है कि गढ़वा व्यवहार न्यायालय से परिवाद दायर करने के बाद वह रंका स्थित अपने घर आ गई थी। तभी आरोपी दुधवल के मुखिया इजहार अंसारी ने रात में उसके मोबाइल पर काल किया, जिसे उसने रिसीव नहीं किया। उसने बताया कि इजहार अंसारी एवं उसके लोग उस पर नजर रख रहे हैं। परिवार के लोगों को पहले से ही धमकियां मिल रही हैं। पीड़िता के अनुसार लगातार 20 वर्षों तक इजहार अंसारी ने उसे अपने चंगुल में फंसाए रखा था। वर्ष 2003 में इजहार जब नक्सली दस्ते में था, तब 14 वर्ष की आयु में उसने पहली बार उसे अपनी हवस का शिकार बनाया।
पति को जान से मारने की धमकी
पीड़िता के अनुसार, घटना के कुछ समय बाद पिता ने उसकी छत्तीसगढ़ में शादी करी दी। लेकिन, इजहार अंसारी ने उसके पति को रंका आने पर जान से मार देने की धमकी देकर कर शादी तोड़ लेने का दबाव बनाया। पीड़िता के पति ने फिर उसे फिर अपने साथ ले जाने से इनकार कर दिया। इस बीच पीड़िता आंगनबाड़ी सेविका बन गई। इसके बाद भी इजहार डरा-धमकाकर उससे दुष्कर्म करता रहा। यह सिलसिला 2023 तक चलता रहा।
अपनी ही बिरादरी के लड़के से की शादी
पीड़िता के अनुसार, नवंबर 2023 में रंका थाना क्षेत्र के एक गांव में अपनी ही बिरादरी के युवक से शादी कर ली। लेकिन, परिस्थितिवश उसने इसकी जानकारी इजहार अंसारी को नहीं दी थी। इससे वह इतना नाराज हो गया कि पीड़िता के पूरे परिवार को हिंदू समाज के लोगों पर दबाव बनाकर समाज से बहिष्कृत करा दिया। दूसरी ओर पीड़िता पर तलाक लेकर इस्लाम अपनाने का दबाव बनाया जाने लगा। तंग आकर पीड़िता ने पुलिस अधिकारियों से गुहार लगाई। लेकिन सुनवाई नहीं होने पर न्यायालय में मामला दर्ज कराया। उसके बाद कोर्ट में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।