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झारखंड राज्य में शहद उत्पादन की भारी सम्भावना : अर्जुन मुंडा 

झारखंड राज्य में शहद उत्पादन की भारी सम्भावना : अर्जुन मुंडा 

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देश का पांचवां एवं पूर्वी क्षेत्र का पहला अत्याधुनिक वृहद शहद परीक्षण प्रयोगशाला, एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केन्द्र, बांस संवर्द्धन परियोजना व अन्य परियोजनाओं का हुआ विधिवत शिलान्यास 

There is huge potential for honey production in Jharkhand state: Arjun Munda, Ranchi news, Jharkhand news, Ranchi update, Jharkhand update : भारत के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने गुरुवार को देश का पांचवां एवं पूर्वी क्षेत्र का पहला अत्याधुनिक वृहद शहद परीक्षण प्रयोगशाला, एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केन्द्र, बांस संवर्द्धन परियोजना तथा अन्य परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इसके साथ ही पूर्वी भारत में मीठी क्रांति के आगाज की शुरुआत भी हुई। देश में एनडीडीबी आनन्द, आईएआरआई, दिल्ली, आईआईएचआर, बेंगलुरु एवं आईबीडीसी, हरियाणा में इस प्रकार की प्रयोगशालाएं हैं। यहां इस प्रयोगशाला के बनने से पूर्वी क्षेत्र को ‘हनी हब’ के रूप में विकसित किया जा सकता है। शहद उत्पादक हजारों किसानों को घरेलू बाजार में विस्तार के साथ ही निर्यात के अवसर भी प्राप्त होंगे, जिससे उनका जीवन स्तर ऊंचा उठेगा। इस अवसर पर श्री मुंडा ने कहा कि इस क्षेत्र से कभी मधु का निर्यात नहीं हुआ, जबकि मधु उत्पादन के लिए बड़ा क्षेत्र है। झारखंड राज्य में शहद उत्पादन की भारी सम्भावना है। लगभग 30% भूमि जंगल से ढकी हुई है, जिसमें प्रचुर मात्रा में फसलें, फल, सब्जियां और जंगली पेड़ हैं, जो शहद उत्पादन के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण संसाधन हैं। हमारे देश में शहद का उत्पादन बढ़ रहा है और इसका निर्यात भी बढ़ रहा है।  झारखंड में शहद उत्पादन की अपार सम्भावनाएं हैं, जिनका उपयोग किसानों की आय बढ़ाने के लिए किया जाना चाहिए। शहद परीक्षण प्रयोगशालाएं उत्पादित शहद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद करेंगी। मधुमक्खी बॉक्स निर्माण इकाइयां शहद के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करेंगी। व्यापार, ब्रांडिंग और विपणन इकाइयां घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शहद की बिक्री को बढ़ावा देने में मदद करेंगी। साथ ही, मधुमक्खी पालकों और किसानों को भी लाभान्वित करेंगी।

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1940 से 1960 के बीच जो खाद्यान्न की कमी हुई, उसके बाद देश में हरित क्रांति आयी और  देश में उत्पादन बढ़ा। उत्पादन तो बढ़ा, लेकिन मिट्टी का क्षरण भी हुआ। 2013 के बाद हम कई मामलों सतर्क हुए हैं। आज भी तेलहन और दलहन आयात करते हैं। यह मनुष्य को प्रकृति के साथ सम्बन्ध बनाते हुए मिट्टी को कम नुकसान पहुंचा कर आगे बढ़ना है। इस क्षेत्र में बम्बू मिशन की भी शुरुआत की जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में देश में कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों तथा किसानों को प्राथमिकता केन्द्र सरकार सदैव प्राथमिकता देती रही है। इसी क्रम में झारखंड एवं आसपास के राज्यों- बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा आदि की अनूठी शहद किस्मों को अंतरराष्ट्रीय पहचान देने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने अत्याधुनिक वृहद शहद परीक्षण प्रयोगशाला तथा अन्य परियोजनाओं की स्वीकृति प्रदान की है।इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसान तथा मधुमक्खीपालक शामिल हुए। राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन तथा कृषि विज्ञान केंद्र- खूंटी, रांची, गुमला, सिमडेगा, सराईकेला, पश्चिमी सिंहभूम सहित विभिन्न संस्थान इसमें सहभागी रहे। इस अवसर पर रांची के माननीय सांसद संजय सेठ, पद्मश्री अशोक भगत, बीएयू के कुलपति डॉ. एस सी दूबे, आईएआरबी के निदेशक डॉ. सुजय रक्षित सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं गण्यमान्य लोग उपस्थित रहे।

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