▪︎कर्मठता एवं सहनशीलता से बच्चे बनाते हैं अपनी पहचान, जो विद्या मंदिर की देन है : अजीत कुमार
▪︎विश्व भर में राजकमल के बच्चों की विशिष्ट पहचान
▪︎ बच्चों को शिक्षा और संस्कार देना हमारा लक्ष्य : अजय कुमार तिवारी
Dhanbad News: राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर अशोक नगर धनसार धनबाद द्वारा आयोजित दो दिवसीय वार्षिक उत्सव सम्पन्न हो गया। बुधवार को भैयाओं ने अपने प्रदर्शन से लोगों को मंत्रमुग्ध किया। बताते चलें कि राजकमल के वार्षिकोत्सव का आज दूसरा दिन था।
आज के मुख्य अतिथि विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर थे। इस अवसर पर उद्गार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि 1978 में विद्या मंदिर का शुभारम्भ हुआ, तब से आज तक देश भर में चलनेवाले विद्या मंदिर शिक्षा के क्षेत्र में नए प्रयोग करते आ रहे हैं। विद्या मंदिरों में पढ़नेवाले बच्चों की देश ही नहीं, विदेश में भी विशिष्ट पहचान होती है। यहां के बच्चों को कर्मठता एवं सहनशीलता का पाठ पढ़ाया जाता है। वह संस्कार और अनुशासन की कभी अनदेखी नहीं करते।
आज के मुख्य वक्ता अजय कुमार तिवारी, प्रदेश सचिव विद्या विकास समिति झारखंड रांची ने अपने उद्बोधन में कहा कि 21 से 27 दिसम्बर तक का दिसम्बर माह काफी शुभ है। इस कारण कि गुरु गोविंद सिंह जी का पूरा परिवार धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए अपने को बलिदान दे दिया। हम अपने भैया बहनों को उत्तम शिक्षा प्रदान करते हुए संस्कार से भी उन्हें आवेष्ठित करते हैं। सनातन के प्रति श्रद्धा करते हुए परिवार को साथ लेकर चलने का बच्चों में भाव भरते हैं। आज भारतीय परिवार संयुक्त न रह कर एकल होता जा रहा है। इसको लेकर विद्या भारती चिन्तित है और वह कई और स्तरों से टूटते परिवार को बचाने के लिए सराहनीय प्रयास कर रहा है। हम अभिभावकों से आग्रह करते हैं कि परिवार में एक साथ पूजन और एक साथ भोजन अवश्य हो।
इसी क्रम में विद्यालय के अध्यक्ष विनोद कुमार तुलस्यान ने कहा कि हमारा विद्यालय बच्चों के विकास के लिए हमेशा चिन्तन और मनन करता है। हमारे विद्यालय से पढ़ चुके पूर्व छात्रों की एक लंबी फेहरिस्त है, जो देश और विदेश के विभिन्न भागों में बड़े से बड़े पदों पर आसीन हैं।
उपाध्यक्ष रवीन्द्र कुमार पटनिया एवं सचिव संजीव अग्रवाल ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया। सचिव संजीव अग्रवाल ने कहा कि बच्चों की समुचित शिक्षा- दीक्षा इस विद्यालय की प्राथमिकता है। बावजूद इसके खेलकूद, गीत- संगीत, अभिनय एवं नये-नये प्रयोग के लिए भी उन्हें प्रेरित किया जाता है, ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके।
विद्यालय के प्राचार्य सुमंत कुमार मिश्रा ने मंचासीन अधिकारियों का परिचय कराया एवं कार्यक्रम की भूमिका दी। इस क्रम में उन्होंने कहा कि राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर एक विशेष विद्यालय इसलिए माना जाता है, क्योंकि यह विद्यालय बच्चे-बच्चियों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देता है। यहां उन्हें रचनात्मकता सीखने का अवसर प्रदान किया जाता है। विद्यालय के बच्चों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो इसलिए विद्यालय को चार सदनों में बाँटकर प्रतियोगिताएं होती हैं। इस कारण विभिन्न अवसरों पर भाग लेनेवाले भैया बहनों की क्षमता उत्तरोत्तर बढ़ती जाती है। विद्यालय की प्रबंधकारिणी समिति सदैव इस बात की चिंता करती है कि विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को, किसी भी तरह की कमी ना रह जाये। उन्हें अपना जीवन संवारने का अवसर प्रदान किया जाये।
वार्षिकोत्सव के दूसरे दिन, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉक्टर अजीत कुमार प्रॉक्टर बी.बी.एम.के.यू, मुख्य वक्ता प्रदेश सचिव अजय कुमार तिवारी, विद्या विकास समिति झारखंड रांची, विद्यालय के संरक्षक शंकर दयाल बुधिया, अध्यक्ष विनोद कुमार तुलस्यान, उपाध्यक्ष रविंद्र कुमार पटनिया, सचिव संजीव अग्रवाल, सहसचिव दीपक रुईया, विद्या विकास समिति प्रांतीय समिति के धनबाद निरीक्षक विवेक नयन, समिति के अन्य अधिकारी एवं सदस्य गण, जिनमें मदन लाल अग्रवाला के सुपुत्र मनमोहन अग्रवाला, मुरलीधर पोद्दार, संजय मोर, शरद दुधानी, शैलेश दुधानी, केशव हड़ोदिया के अलावा विभिन्न विद्यालय से आये हुए प्राचार्य एवं समिति के सदस्य गण, प्राचार्य सुमंत कुमार मिश्रा, उप प्राचार्य मनोज कुमार के अलावा विद्यालय के शिक्षक शिक्षकेत्तर कर्मचारी उपस्थित थे। यह भी बताना आवश्यक है कि आज के कार्यक्रम में लगभग 4000 की संख्या में लोग उपस्थित थे।
कार्यक्रम में भाग लेनेवाले भैया बहनों में
काव्या, नैना, वैष्णवी, आतीफा, देवांशी, श्रेयांशी, प्रियांशी, दीपशिखा, संजना,साक्षी, मीनाक्षी, पीहू, प्राची, श्रद्धा, रिमझिम, अनु, वैष्णवी, कृत्या, आयुषी, कृति, वर्षा, सीमा, आस्था, प्रिंसी, श्वेता विवान, दिव्यांशु, अर्पण, वैभवी, शिवांश, अथर्व, आराध्या, तृषा, शिवन्या, प्रियांशु, भवीत, आर्य, अंश, युवराज, दिव्या, काव्य, अयांश, रचित , आदर्श, लोकनाथ, अनन्यराज, पीहू, निवान ईशान, क्षितिज, अध्ययन, अनमोल, आयुष, आदित्य, अमृत, हर्षित, विक्रम, अनमोल, अंश, मयूर, किशोर, साहिल, अखंड प्रताप, हिमांशु, अक्षर, अनिकेत, हरित, अभिजय, मुहाना, अंश, रचना, पियूष, असद, नव्या, आर्यांश, सौरव, आरव, रुद्र प्रताप, यश, विवेक, शुभम, ईशान, आलोक कुमार, जयदीप, गुरकीरत सिंह, श्रेयांशु गोराई, पृथ्वी, आर्य, धीरज गुप्ता, आदर्श, शौर्य जीत, भगत, हंसराज, गजेंद्र, ज्ञानेंदु, आदर्श,यशस्वी, प्रणव, मयंक, विनायक, साईं मानस, रोशन, सुयश, आराध्या, पूर्वी, वैष्णवी, अनन्या, श्रुति, बुशरा, श्रेया, राधा, आरुषि, अनन्या, आराध्या, शिखा, अदिति, इशिता, सान्वी, पीहू, सृष्टि, एड्रिजा, अर्पिता, अंशिका, आराध्या, अशी, सुधि, अमीषा, सान्वी, आरोही, हिमांशी, कुमकुम, परिधि, सुहाना, शिवानी, स्वाति, अनामिका, निष्ठा, वैष्णवी, मोनालिसा, इशिका, आरोही, आकृति, रूमा, अनन्या,रितिका, खुशी, संजना, स्वामी, प्याली, अंजलि, श्रेया, सृष्टि, परमजोत, प्रज्ञा, प्रिया, साक्षी, मुस्कान, प्रकृति, अविका, बिट्टू, पीहू, मिनी, अदिति, मानसी, शताक्षी, मानवी, पूर्वी, चाहत, सिमरन, दिव्यांशी, अंजलि, आराध्या, आरती, अनन्या, सृष्टि, आयुष, प्रिंस, सोनाक्षी, तृप्ति, पीहू, श्रुति आशीर्वाद, अनुसार, शिवांशी, सौम्या, तान्या, नंदिनी, अमृता, गरिमा, परिधि, आदर्श, श्रेयस, सुभोजित, सुजीत, आयुष, कुणाल, सायन, मानव, रूद्रजीत, आदर्श, दीपेश, शौर्य, यशराज, दर्शील, कुंवर, आशीष, एस. के काव्या, कनक, धन्वी, दीपाली, साक्षी, आराध्या, प्रियामणि, शिवानी, ज्योति, समृद्धि, आरती, रितिका, एंजेल, सुहाना, अंशिका, कनिका, आरोही, लवली के नाम शामिल हैं।
मंच संचालन में अनीशा लोहानी, सोनाली, सिमरन, निभा, सृष्टि, प्राची, आस्था, श्रेया, अंशु देव, रक्षित, प्रिंस, प्रत्यूष, हर्ष, श्रेयान, मानस, मोहम्मद फाहाद खान, देव कुमार, अंशआर्य एवं आराध्या के नाम शामिल हैं।