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अनोखी पहल : हाइपरटेंशन, आत्महत्या की प्रवृति के खिलाफ खुशी मिशन का एलान-ए-जंग

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सकारात्मकता से भरी खुशियों का संदेश लेकर दौड़ रहा हैं खुशी रथ

Jharkhand news : झारखंड के गांव-शहरों में तनाव, हाइपरटेंशन, आत्महत्या की प्रवृति, अंधविश्वास, रुढ़िवाद के खिलाफ खुशियों के संदेश गूंज रहे हैं । इसका बीड़ा उठाया है Motivational Speaker मुकेश सिंह ने। नियमित रूप से इनका खुशी रथ दौड़ रहा है। लगातार सुदूर गांवों में भी खुशी चौपाल आयोजित हो रहे हैं। निराशा से भरी जिन्दगी में बदलाव के लिए खुशी मिशन का यह जंग वास्तव में अनूठा है। सकारात्मकता और खुशियों को फैलाने का यह अभियान एक मिशाल है। मुकेश ने कहा कि आप यकीन मानें, सकारात्मकता खुशी को जन्म देती है और खुशी हमें हर झंझावत से बाहर निकालती है।

खुशी चौपाल में बताए जा रहे सकारात्मकता की ताकत, तनाव से लड़ने की ओषधि है खुशी

आज Motivational सेमिनार के नाम पर लाखों की फीस ली जा रही है वहीँ निःस्वार्थ भाव से आम लोगों तक पहुंच कर खुश रहने को प्रेरित किया जा रहा है। आज गांव में खुशी चौपाल में बताए जा रहे हैं सकारात्मकता की ताकत, तनाव-डिप्रेशन से लड़ने की एकमात्र ओषधि है “खुशी”। खुशी मिशन के संस्थापक और संचालक मुकेश सिंह ने बताया कि निराशा पर विजय सिर्फ और सिर्फ खुशी से पाई जा सकती है। खुशी का जन्म सकारात्मकता के गर्भ से होती है। सकारात्मकता के साथ कोई भी लड़ाई लड़ी और जीती जा सकती है। सकारात्मकता और खुशियों को फैलाने का हमारा यह अभियान सम्भवतः एक पहला प्रयास है।
मुकेश सिंह बताते हैं कि यह खुशी मिशन उनके 15 सालों की छटपटाहट का नतीजा है। चौहान बताते हैं कि 15 सालों से मैं समाज का सर्वे कर रहा था। हमने पाया कि तनाव, टेंशन, आत्महत्या की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। यह तनाव महामारी का रुप लेते जा रहा है। समाज में इसकी प्रवृति बढ़ती चली आ रही है। आत्महत्या का आंकड़ा हर वर्ष बढ़ता जा रहा है। कारण यही तनाव…।

अख़बार की नौकरी छोड़ खुशियां बांटने का राह चुना

मुकेश सिंह ने बताया कि मैं स्कूल-कॉलेजों में 2014 से खुशी क्लास आयोजित कर बच्चों को तनावमुक्त रहकर मंजिल पाने, संपूर्ण व्यक्तित्व विकास का पाठ पढ़ाता था। धीरे-धीरे मुझे लगा, खुशी क्लास की जरूरत तो हर घर, हर परिवार को है। हर आंगन में खुशी क्लास लगनी चाहिए। खुशी रथ लेकर शहर, कस्बा, गांव-गांव तक जाने की योजना बनाया। मुकेश सिंह लंबे समय तक पत्रकारिता से जुड़े रहे। इसके अनुभव की वजह से समाज की इस जटिल समस्या को समझने का मौका मिला। एक छटपटाहट और बेचैनी थी, उसके विरुद्ध आंदोलन खड़ा करने का । परंतु चाह कर भी अख़बार की नौकरी के कारण वक्त नहीं निकाल पा रहा था। लेकिन खुशी मिशन चलाने की इच्छा होते जा रही थी। ऐसे में लाइफ केयर हॉस्पिटल, बूटी मोड़ रांची के निदेशक डॉ रजनीश कुमार पूरे दिल से मेरे साथ आ खड़े हुए। आज मैं खुशी मिशन चला पा रहा हूँ तो उनके साथ की वजह से । उनके हिम्मत से मैं पत्रकारिता से त्यागपत्र देकर खुद को संपूर्ण रुप से खुशी मिशन के हवाले कर दिया। अभी तक लातेहार, लोहरदगा, रामगढ़ जिले के 129 गांवों में खुशी चौपाल आयोजित हो चुकी है। झारखंड के 24 जिले तक पहुंचने का लक्ष्य है।

सकारात्मकता ने मेरी जिंदगी बदल दी

मुकेश बताते हैं कि 20 वर्ष पूर्व कईं कारणों से मैं डिप्रेशन में चला गया था। दवाई खाने लगा। हमेशा आंखे बोझिल रहती। ऐसा लगता मानो मेरी सांसे कभी भी रुक जाएगी। इलाज के सिलसिले में ही एक बार रिम्स गया था। दूसरे तल्ले पर सीढ़ियों से जा रहा था। देखा कि एक निःशक्त वैशाखी के सहारे ऊपर चढ़ रहा है। अचानक वह लड़खड़ा कर गिर पड़ा। मैं उसे उठाने के लिए हाथ बढ़ाया। वह मेरा हाथ नहीं थामा। आत्मविश्वास के साथ बोला- यह मेरी समस्या है, निपट लूंगा। फिर वह खुद उठा और ऊपरी मंजिल पर चला गया। मैं वहीं जड़वत उसे देखता रह गया। सोचने लगा, जिसे प्रकृति ने इतनी खामियां दी, उसमे इतना आत्मविश्वास। और मैं पूर्ण स्वस्थ, सभी अंग-प्रत्यंग सही। फिर भी डिप्रेशन में ? यह तो प्रकृति का अपमान है। उसी वक्त संकल्प के साथ सभी दवाइयां छोड़ दी। नए अंदाज में खुशी के साथ सभी काम शुरू कर दिया। जो पसंद था, उसपर फोकस किया। नतीजन 3 माह में सभी समस्याओं से उबर गया।

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