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महालया आज, धरती पर उतरेंगी मां दुर्गा, कलश स्थापना कल

महालया आज, धरती पर उतरेंगी मां दुर्गा, कलश स्थापना कल

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▪︎ अल-सुबह से आज गूंजेंगे ‘जागो तुमि जागो’ के बोल

▪︎ नौ दिनों तक प्रज्ज्वलित रहेगी आस्था की ज्योति, भोग लगेंगे

▪︎ कलश स्थापना के साथ कल से शुरू होगा शारदीय नवरात्र

▪︎ मंदिरों व पंडालों में अंतिम चरण में है पूजन अनुष्ठान की तैयारी
Ranchi News: रविवार को महालया है। अल-सुबह मां दुर्गा के मंत्रों की अनुगूंज से पूरा देश गुंजायमान हो जायेगा। इसके बाद सोमवार 22 सितम्बर को कलश स्थापित कर मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का पूजन अनुष्ठान किया जाये। 02 अक्टूबर को विजयादशमी के अवसर पर मां की प्रतिमा के विसर्जन के साथ त्योहार का समापन होगा। नवरात्र का त्योहार मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित होता है। नौ दिन तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की श्रद्धालु भक्ति भाव से पूजा आराधना करेंगे। इससे पहले रविवार की सुबह रेडियो पर महालया सुनने की होड़ रहेगी।

गौरतलब है कि महालया को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस तिथि को महत्त्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती पर आती हैं। देवी के इसी क्रम को महालया कहते हैं। वहीं, इस दिन को बुराई पर अच्छाई के रूप में भी देखा जाता है। इसके अगले दिन शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है और कलश स्थापना की जाती है।

देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की होगी आराधना

शक्ति की उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा में सोमवार 22 सितम्बर को आरम्भ होगा। कलश स्थापना का शुभ समय सुबह 06.09 बजे से 08.06 बजे तक है। इसके अलावा, अगर कोई इस समय पूजा न कर सके, तो अभिजीत मुहूर्त में ; अर्थात 11.49 से 12.38 तक भी कलश की स्थापना की जा सकती है। नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना होगी। शारदीय नवरात्र के पहले दिन माता शैलपुत्री की उपासना की जायेगी। सनातन धर्मावलम्बी निराहार या फलाहार रहते हुए अपने घर, मंदिर व पूजा पंडालों में घट स्थापना के बाद दुर्गा सप्तशती, रामचरितमानस, सुंदरकांड, रामरक्षा स्तोत्र, दुर्गा सहस्त्र नाम, अर्गला, कवच, कील, सिद्ध कुंजिका स्तोत्र आदि का पाठ आरम्भ करेंगे।

मां दुर्गा के नौ रूपों की जानें खासियत

  1. शैलपुत्री : दुर्गा के इस रूप से हमें स्वाभिमानी बनने की प्रेरणा मिलती है।
  2. ब्रह्मचारिणी : मां का यह रूप तपस्या का प्रतीक है।
  3. चन्द्रघण्टा : संदेश मिलता है कि संसार में सदा प्रसन्न होकर जीवन यापन करना चाहिए।
  4. कूष्माण्डा : मां का यह स्वरूप हमें संसार में स्त्री का महत्त्व समझाता है।
  5. स्कंद माता : मां का यह रूप हमें बताता है कि स्त्री हो या पुरुष, हर कोई ज्ञान प्राप्त करने का अधिकारी है।
  6. कात्यायनी : यह रूप घर-परिवार में बेटी की महत्ता को बताता है।
  7. काल रात्रि : मां का यह रूप हमें स्त्री के भीतर विद्यमान अपार शक्ति का भान कराता है।
  8. महागौरी : मां का यह रूप हमें हर परिस्थिति में संयमित रहने की सीख देता है।
  9. सिद्धिदात्री : मां सिद्धिदात्री यानी हर सिद्धि को देनेवाली हैं। स्त्रियों में भी यह गुण विद्यमान होता है।

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