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भारत के खिलाफ कनाडा के पीएम की हर चाल पड़ जा रही उल्टी, आप भी जानिए…

भारत के खिलाफ कनाडा के पीएम की हर चाल पड़ जा रही उल्टी, आप भी जानिए…

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New Delhi news : कभी-कभार गलत सोच से बनी नीतियां अपने ही गले पड़ जाती हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ भारत को लेकर ऐसा ही हो रहा है। यह पूरी दुनिया जानती है कि जस्टिन ट्रूडो ने अपने देश में अलगाववादी तत्वों को बढ़ावा दिया, ताकि वह भारत को घेर सकें। जस्टिन ट्रूडो ने साथ ही खालिस्तान की मांग करने वालों को राजनीतिक रूप से पनपने और आगे बढ़ने दिया तथा उनके समर्थन से सरकार भी बनाई। लेकिन, अब यह अलगाववादी तत्व उनके लिए भस्मासुर साबित हो रहे हैं। 

अपनी ही कुर्सी पर खतरे को बुलावा 

अलगाववादी ताकतों के दम पर भारत की सरकार को डिस्टर्ब करने की कोशिश से जस्टिन ट्रूडो की खुद की कुर्सी अब खतरे में पड़ती दिखाई दे रही है। ट्रूडो को अपनी ही पार्टी के भीतर से विरोध का सामना करना पड़ रहा है। कई सांसदों ने उनसे साफ कह दिया है कि वह चौथे कार्यकाल की अपेक्षा नहीं करें। ट्रूडो की पार्टी के कुछ सांसदों ने तो प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग कर दी है। 

अपनी ही पार्टी के सांसदों का विरोध 

अंतरराष्ट्रीय जगत से आ रही खबरों के अनुसार, न्यूफ़ाउंडलैंड के लिबरल संसद सदस्य केन मैकडॉनल्ड्स ने कहा, ‘प्रधानमंत्री को लोगों को सुनना शुरू करना होगा।’ मैकडॉनल्ड्स ने कहा कि तमाम सांसद इस बात को लेकर चिंतित हैं कि सरकार की खराब छवि के कारण वह दोबारा चुनाव जीत पाने में सक्षम नहीं होंगे। लिबरल पार्टी के एक और सदस्य तथा रोजगार मंत्री रैंडी बोइसोनाल्ट ने कहा, ‘आप इसे सरकार नहीं महज नौटंकी कह सकते हैं। कनाडा के सांसद अब खुद स्वीकार करने लगे हैं कि ट्रूडो ने काफी गलतियां की हैं। 

चरमपंथियों को गंभीरता से लेना होगा 

भारतीय मूल के एक प्रमुख कनाडाई सांसद ने कहा है कि खालिस्तानी हिंसक चरमपंथ एक कनाडाई समस्या है और देश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को इस मुद्दे को पूरी गंभीरता से लेना चाहिए। प्रतिनिधि सभा में नेपियन से सांसद चंद्र आर्य ने सदन को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। दो सप्ताह पहले जब वह एडमोंटन में एक हिंदू कार्यक्रम में भाग ले रहे थे, तब खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने उनके खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन किया था। यह कनाडा के लिए अच्छा नहीं है।

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