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Waqf Bill: ‘ इस कानून में संशोधन वक्त और वक्फ दोनों की जरूरत’, नकवी बोले-  ‘छूओ मत’ की राजनीति से बाहर आना होगा 

Waqf Bill: ‘ इस कानून में संशोधन वक्त और वक्फ दोनों की जरूरत’, नकवी बोले-  ‘छूओ मत’ की राजनीति से बाहर आना होगा 

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आज सब की नजर वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर गठित जेपीसी की बैठक पर 

Breaking news, National top news, national news, national update, national news, New Delhi top news, New Delhi news : वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर छिड़ी बहस के बीच भाजपा के मुस्लिम नेता और पूर्व केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने काफी मजबूती के साथ अपनी बातों को रखा है। उन्होंनेे कहा कि यह विधेयक समय की मांग है। वक्फ (संशोधन) विधेयक को अभी हाल ही में संपन्न संसद सत्र के दौरान मोदी सरकार द्वारा पेश किया गया है, जिसे लेकर उठे सवालों के बीच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया गया है। श्री नकवी का यह बयान उस समय आया है जब जेपीसी की पहली बैठक आज गुरुवार को होनी है।  

 आज की इस महत्वपूर्ण बैठक के उपर सभी की नजर टिकी हुई है। य़ह बैठक भाजपा के लिए भी महत्वपूर्ण है और पार्टी के रणनीतिकार चाहते हैं कि इस विधेयक को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में ही पारित कर दिया जाए। हालांकि, बहुत सारे बहुत सारे बिंदुओं पर उपजे विवाद के कारण बहुत कुछ जेपीसी की रिपोर्ट पर भी निर्भर करता है। इस विधेयक को लेकर भाजपा को न केवल विपक्षी दलों के साथ सहमति बनानी है, बल्कि चंद्रबाबू नायडू, नीतीश और चिराग पासवान जैसे अपने सहयोगियों को भी इसके समर्थन करने के लिए तैयार करना होगा। नकवी इस बदलाव को लेकर आगे  कहते हैं कि इस पूरी व्यवस्था (वक्फ बोर्ड की) को ‘छूओ मत’ की राजनीति से बाहर आना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार वक्फ व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए यह विधेयक लेकर आई है।

कांग्रेस और वाजपेयी सरकार के दौरान भी हुए हैं संशोधन

इस विषय में विपक्षी दलों के साथ कुछ सहयोगी दलों द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में नकवी ने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि जब वक्फ कानूनों में संशोधन किया जा रहा है, पहले भी संशोधन किए गए थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान संशोधन किए गए थे। सरकार द्वारा पेश किए गए विधेयक पर विस्तार से चर्चा, विचार-विमर्श और विश्लेषण होना चाहिए, इसीलिए इसे जेपीसी के पास भेजा गया है। जेपीसी एक संवैधानिक संस्था है और इसकी बैठकों में इस विधेयक पर खुले मन से चर्चा होनी चाहिए। किसी भी राजनीतिक दल के पास जो भी तर्क होंगे, वे जेपीसी की बैठकों में सामने आएंगे।

संशोधन किसी पर हमला नहीं बल्कि समय की मांग’ 

उन्होंने इसे सांप्रदायिक रंग देने के ‘प्रयासों’ का विरोध किया है। उनका कहना है कि इसे लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं और भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है, इसलिए सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए गहन चर्चा के लिए इसे जेपीसी के पास भेजा गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह संशोधन समय की मांग है और इसे यह नहीं माना जाना चाहिए कि किसी पर हमला किया जा रहा है या यह विधेयक किसी के खिलाफ है।

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