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77th.Independence Day : लाल किले से PM मोदी ने 10वीं बार फहराया तिरंगा, जानिए क्या-क्या कहा… 

77th.Independence Day : लाल किले से PM मोदी ने 10वीं बार फहराया तिरंगा, जानिए क्या-क्या कहा… 

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 National News Update, New Delhi, 77th. Independence Day, PM Modi Hoisted Tiranga 10th. Time : साल 2023 में हम अपनी आजादी का 77वां स्वतंत्रता दिवस मंगलवार को मना रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर 10वीं बार तिरंगा फहराया। इस दौरान 21 तोपों की सलामी दी गई।

पूरा देश मणिपुर के साथ खड़ा है 

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले देश के लोगों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी। आजादी के लिए कुर्बानी देने वाले पुरखों को याद किया। इस दौरान उन्होंने मणिपुर हिंसा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सप्ताह विशेषकर मणिपुर में जो हिंसा का दौर चला कई लोगों का अपना जीवन खोना पड़ा। मां-बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ हुआ। लेकिन कुछ दिनों से लगातार शांति की खबरें आ रही हैं। उन्होंने कहा देश मणिपुर के लोगों के साथ है। देश मणिपुर के लोगों को पिछले कुछ दिनों से जो शांति बनाए रखी है, उस शांति के पर्व को आगे बढ़ाएं। शांति से ही इसका रास्ता निकलेगा। राज्य और केंद्र सरकार मिलकर इन समस्याओं के समाधान के लिए भरपूर प्रयास कर रही हैं।

त्याग और तपस्या को नमन

पीएम ने कहा, इतना बड़ा देश, 140 करोड़ मेरे भाई-बहन, मेरे परिवारजन आज आजादी का पर्व मना रहे हैं। मैं देश के कोटि-कोटि जनों को, देश और दुनिया में भारत को प्यार करने वाले, भारत का सम्मान करने वाले कोटि-कोटि जनों को इस महान पर्व की अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। देश की आजादी की जंग में जिस-जिस ने बलिदान दिया है, त्याग किया है, तपस्या की है, मैं उन्हें आदरपूर्वक नमन, उनका अभिनंदन करता हूं।

1000 साल की गुलामी का जिक्र 

वीरों ने इस कालखंड में कोई भूभाग ऐसा नहीं था…कोई समय ऐसा नहीं था जब उन्होंने देश की आजादी के लौ को जलता न रखा हो। मां भारती बेड़ियों से मुक्त होने के लिए उठ खड़ी हुई थी। जंजीरों को झकझोर रही थी। देश की नारी शक्ति से लेकर कोई हिंदुस्तानी ऐसा नहीं था जो आजादी के सपने को लेकर जीता न हो। त्याग और तपस्या का वो व्यापक रूप एक नए विश्वास जगाने वाला वो पल आखिरकार 1947 में देश में आजाद हुआ। 1000 साल की गुलामी में संजोये हुए सपने देश ने संवरते हुए देखा। मैं देख रहा हूं फिर एकबार देश के सामने एक मौका आया है। ये अमृतकाल का पहला वर्ष है, या तो हम जवानी में जी रहे हैं, या हम इस कालखंड में जी रहे हैं। सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय के लिए काम करेंगे।

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