achievement: IIT Kharagpur got the title of fourth best higher education institute of the country, Kolkata news, Kharagpur news, West Bengal news, education news, IIT Kharagpur : खड़गपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ने पिछले साल की तुलना में 49 पायदान की छलांग लगा कर भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों में चौथा स्थान हासिल किया है। इसके साथ ही संस्थान ने वैश्विक स्तर पर 222वां स्थान हासिल किया है। नवीनतम क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 के अनुसार, आईआईटी खड़गपुर अब आईआईटी में तीसरा सर्वश्रेष्ठ और देश का चौथा सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थान है। आईआईटी बॉम्बे और आईआईटी दिल्ली दुनिया के शीर्ष 150 उच्च शिक्षण संस्थानों में शामिल हैं, जबकि मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) ने 13वीं बार वैश्विक स्तर पर शीर्ष स्थान बरकरार रखा है।
आईआईटी दिल्ली ने 47 अंकों का सुधार किया
आईआईटी बॉम्बे पिछले साल के 149वें स्थान से 31 पायदान ऊपर चढ़ कर 118वें स्थान पर पहुंच गया, जबकि आईआईटी दिल्ली ने 47 अंकों का सुधार करते हुए वैश्विक स्तर पर 150वां स्थान हासिल किया।
क्वाक्वेरेली साइमंड्स द्वारा वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 में दुनिया भर के 1,503 विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया और कुल पांच हजार 663 संस्थानों का मूल्यांकन किया गया। रैंकिंग का उद्देश्य अगले शैक्षणिक वर्ष के लिए विश्वविद्यालय के प्रदर्शन को प्रोजेक्ट करना है, इसलिए उन्हें अगले वर्ष के लिए नामित किया गया है।
क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 के बयान में कहा गया है कि आईआईटी खड़गपुर ने अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान नेटवर्क, स्थिरता और प्रति संकाय उद्धरण जैसे मापदंडों में अच्छा प्रदर्शन किया है।
राष्ट्र के संकल्प को बरकरार रखा आईआईटी खड़गपुर ने
इस संबंध में आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रो. वीके तिवारी ने कहा, ‘संस्थान ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, उन्नत विनिर्माण प्रणाली और परिवहन, 5जी नेटवर्क, सुरक्षा इंजीनियरिंग और विश्लेषण, गुणवत्ता और विश्वसनीयता, सस्ती स्वास्थ्य सेवा, सटीक कृषि, खाद्य पोषण और स्मार्ट बुनियादी ढांचे के साथ वैश्वीकरण के मानकों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के राष्ट्र के संकल्प को बरकरार रखा है ताकि आत्मनिर्भर भारत में योगदान दिया जा सके।’उन्होंने कहा, ‘हमें डिजिटल अर्थव्यवस्था और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में अवसरों का लाभ उठाना होगा, मानव-मशीन तालमेल बना कर तकनीकी विस्तार को बढ़ावा देना होगा।’