अग्निवीर भर्ती योजना को लेकर देशभर में मचे बवाल के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ तीनों सेनाओं ने समीक्षा बैठक की। इसमें एक एक बिंदु पर गंभीरता पूर्वक विचार विमर्श किया गया। इसके बाद रविवार को तीनों सेनाओं ने क्या घोषणा की कि अग्निपथ योजना किसी भी रूप में वापस नहीं ली जाएगी। तीनों सेनाओं की ओर से साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अग्निवीरों की भर्ती योजना के बारे में आन्दोलनकारियों को समझाने की हर बिंदु पर कोशिश की गई। बताया गया कि भारतीय सेना को इस समय युवाओं की जरूरत है। यह सुधार लंबे समय से लंबित था। आज बड़ी संख्या में जवान अपने जीवन के तीसरे दशक में हैं, इसलिए सेना में औसत आयु 26 साल करने के लिए यह योजना लाई गई है।
आरक्षण के संबंध में घोषणाएं पूर्व नियोजित थीं
अग्निपथ योजना को लेकर संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत सैन्य मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने की। उन्होंने कहा कि योजना का एलान होने के बाद विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के लिए घोषित की गईं आरक्षण के संबंध में घोषणाएं पूर्व नियोजित थीं। यह घोषणाएं अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद देशभर में हुई आगजनी, हिंसा और तोड़फोड़ की प्रतिक्रिया में नहीं की गई हैं।
भारतीय सेना की नींव है अनुशासन
अनिल पुरी ने कहा कि हमारी सेना की नींव में अनुशासन है, इसलिए आगजनी, तोड़फोड़ के लिए कोई जगह नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति एक प्रमाण पत्र देगा कि वे विरोध या बर्बरता का हिस्सा नहीं थे। पुलिस वेरिफिकेशन 100% है, उसके बिना कोई भी शामिल नहीं हो सकता। कुछ लोग कोचिंग संस्थान के विद्यार्थियों को भड़का और उकसा रहे हैं, लेकिन उन्हें हिंसा और प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लेना चाहिए।
भारतीय सेना को इस समय युवाओं की जरूरत
लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने कहा कि भारतीय सेना को इस वक्त युवाओं की आवश्यकता है। यह सुधार 1989 से लंबित था। इस योजना के तहत हम सेना में मौजूदा सैनिकों के अनुभव के साथ युवाओं को लाना चाहते हैं। आज सेना में जवानों की औसत आयु लगभग 32 वर्ष है, लेकिन आने वाले 6-7 वर्षों में यह और कम होकर 26 वर्ष हो जाएगी। देश के युवाओं की क्षमता का इस्तेमाल करने के लिए उन्हें भविष्य का सैनिक बनाने की आवश्यकता है। इस साल 40 हजार से शुरू होने वाली भर्ती से निकट भविष्य में सेनाओं में ‘अग्निवीरों’ की संख्या 1.25 लाख हो जाएगी। बुनियादी क्षमता का निर्माण करने के लिए हमने योजना का विश्लेषण करने के लिए 46 हजार से शुरुआत की है। अगले 4-5 वर्षों में प्रतिवर्ष 50 से 60 हजार और बाद में बढ़कर 90 हजार से 1 लाख हो जाएगी।
सेवा शर्तो में अग्नि वीरों के साथ कोई भेदभाव नहीं
सैन्य मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि हम इस सुधार के साथ सेना में युवावस्था और अनुभव को एक साथ लाना चाहते हैं। भारतीय सेना में अनुशासनहीनता की कोई जगह नहीं है, इसलिए अग्निवीरों को भी कुशल प्रशिक्षण के साथ-साथ मानसिक, शारीरिक और अनुशासन में रहने की भी ट्रेनिंग दी जाएगी। अग्निवीरों को मिलने वाले भत्तों के बारे में कहा कि ‘अग्निवीर’ को सियाचिन और अन्य क्षेत्रों जैसे क्षेत्रों में वही भत्ता मिलेगा जो वर्तमान में सेवारत नियमित सैनिकों को मिलता है। सेवा शर्तों में उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होगा। देश की सेवा में अपना जीवन कुर्बान करने वाले ‘अग्निवीर’ को एक करोड़ रुपये का मुआवजा मिलेगा।
भर्ती के लिए पहली रैली अगस्त के दूसरे सप्ताह में
लेफ्टिनेंट जनरल बंशी पुनप्पा ने कहा कि सेना में अग्निवीरों की भर्ती के लिए एक जुलाई को अधिसूचना जारी हो जाएगी। इसके बाद लोग रजिस्ट्रेशन शुरू कर सकते हैं। भर्ती के लिए पहली रैली अगस्त के दूसरे सप्ताह से शुरू होगी जिसमें फिजिकल टेस्ट और मेडिकल होगा। उसके बाद एंट्रेंस एग्जाम होगा फिर उन्हें कॉलम में मेरिट के हिसाब से भेजेंगे। अगस्त से लेकर नवंबर तक 2 बैच में रैलियां होंगी। पहले लॉट में 25 हजार अग्निवीर दिसंबर के पहले सप्ताह में आएंगे। अग्निवीरों का दूसरा जत्था फरवरी में आएगा।