Ahmedabad Blast Case 2008: गुजरात में 2008 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में विपुल पटेल को मृत समझकर परिजनों ने 5 लाख का मुआवजा ले लिया था। 2011 में उसके जीवित लौट आने के बाद परिवार ने मुआवजा की रकम सरकार को लौटा दी। लेकिन, जिला प्रशासन के रिकार्ड में विपुल को अभी भी मृत ही मान रखा है। जब तक अंतिम संस्कार किए गए युवक की शिनाख्त नहीं हो जाती विपुल के जिंदा होने का सबूत मिलना मुश्किल है।
55 दिनों तक पड़ा रहा लावारिस शव
अहमदाबाद कलक्टर कार्यालय ने बताया कि 2008 के बम धमाकों के 55 दिन बाद तक एक युवक का शव लावारिस था। कुछ दिन बाद ही अहमदाबाद के एक परिवार ने उसे विपुल पटेल बताकर उसका शव ले गए तथा अंतिम संस्कार कर दिया। 2008 में अलग अलग जगह हुए 21 बम धमाकों में 59 लोगों की मौत हुई थी तथा ढाई सौ सेअधिक जख्मी हुए थे। 55 दिनों तक एक युवक के शव की शिनाख्त नहीं हो पाई थी। अचानक एक दिन एक परिवार ने उसके विपुल पटेल होने का दावा किया जिसके चलते शव उनको सौंपकर बतौर मुआवजा 5 लाख रुपये इस परिवार को दिए गए।
साल 2011 में घर लौटा विपुल
2011 में विपुल पटेल एक दिन अचानक घट लौटा तो परिवार की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। भाई अतुल पटेल बताते हैं कि परिवार ने जिला प्रशासन को सरकार से मिली मुआवजा राशि लौटा दी तथा विपुल के जीवित होने की सूचना दी। अब यह परिवार विपुल के जीवित होने का सबूत चाहता है, लेकिन जिला प्रशासन के दस्तावेजों में उसे अभी भी मृत माना हुआ है।