alert: Everyone should listen carefully to this warning, Giriraj Himalaya may soon create a cataclysm, Breaking news, National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news, Bengaluru news : अगर हम प्रकृति से छेड़छाड़ करेंगे तो उसका नतीजा तो हमें भुगतना ही पड़ेगा। इसरो की हाल की रिपोर्ट से ऐसा ही पता चल रहा है। जानते हैं कि हिमालय अनादि काल से भारत का सिरमौर है। हम इसकी रक्षा के प्रति सतर्क नहीं हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की नयी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जल्द ही उत्तर का ‘गिरिराज हिमालय’ देश में प्रलय मचा सकता है।
अब इसरो ने दी चेतावनी
हिमालय पर्वत को इसके बड़े-बड़े ग्लेशियर और बर्फ के विशाल भंडार के कारण ‘तीसरा ध्रुव’ भी कहा जाता है, लेकिन अब इसरो ने चेतावनी दी है कि ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के कारण हिमालय के ग्लेशियर्स तेजी से पिघल रहे हैं। इसरो ने सोमवार को कहा कि दशकों की उपग्रह तस्वीरों का विश्लेषण करने वाले नये शोध से मालूम हुआ है कि भारत के हिमालय क्षेत्र में ये ग्लेशियर्स खतरनाक तौर पर पिघल रहे हैं, जिससे हिमालयी इलाके में बने हिमनदीय झीलों का विस्तार हो रहा है।
ग्लेशियर ही नदियों के जलस्रोत
मालूम हो कि ये ग्लेशियर और ग्लेशियल झीलें उत्तर भारत की सभी प्रमुख नदियों के जलस्रोत हैं। दुनिया भर में हुए शोधों से मालूम हुआ है कि दुनियाभर के ऊंचे पहाड़ों-पर्वतों पर ग्लेशियर अठारहवीं सदी से शुरू हुए उद्योगीकरण के बाद से ही लगातार तेजी से पिघल रहे हैं और वे अपने स्थानों से पीछे की ओर हटते जा रहे हैं। अर्थात जहां ग्लेशियर्स का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है। ग्लेशियर्स के पीछे हटने के कारण वहां झीलों का निर्माण होता है।
क्या कहती है इसरो की रिपोर्ट
इसरो की रिपोर्ट के मुताबिक, सन् 1984 से सन् 2023 तक ग्लेशियर्स के सैटेलाइट डेटा में यह बात सामने आई है कि सन् 2016-17 में नदी घाटियों में 10 हेक्टेयर से बड़ी कुल 2,431 हिमनद झीलें थीं। सन् 1984 के बाद से इस क्षेत्र में आश्चर्यजनक तौर पर 676 झीलें विकसित हुईं हैं। इनमें 130 झीलें भारत के अंदर हैं, जिनमें 65 सिंधु बेसिन में, सात गंगा घाटी में और 58 ब्रह्मपुत्र बेसिन में हैं।इसरो के अध्ययन में कहा गया है कि इन झीलों में आश्चर्यजनक तौर पर फैलाव हो रहा है। तकरीबन 601 झीलों का आकार दोगुना से भी अधिक हो गया है, जबकि दस झीलें 1.5 से 2 गुना बड़ी हुई हैं। इसके अतिरिक्त 65 झीलें डेढ़ गुना बड़ी हुई हैं। अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कई झीलें हिमालय की अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित हैं। इनमें 4,000-5,000 मीटर की ऊंचाई पर करीब 314 झील हैं,जबकि 5,000 मीटर से ऊपर की ऊंचाई पर 296 हिमनदीय झीलें हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जैसे-जैसे ग्लेशियर्स तेजी से पिघल रहे हैं, उससे बनने वाली झीलों का आकार तेजी से बढ़ने लगता है, जो बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय बदलाव का संकेत देती हैं। हिमनदीय झीलों का फैलाव होने और उसमें अत्यधिक मात्रा में पानी बढ़ने से उसके फट जाने का खतरा बरकरार रहता है। जब ऐसी झीलें फटती हैं तो पर्वतीय क्षेत्रों में विनाशकारी बाढ़ आती हैं।