अंग्रेजी हुकूमत पर बाबू कुंवर सिंह की बड़ी जीत की याद में बिहार के जगदीशपुर में शनिवार को आयोजित विजयोत्सव में सबसे ज्यादा राष्ट्रीय ध्वज फहराने का विश्व रिकॉर्ड बना। यहां एक साथ 77 हजार 793 लोगों ने तिरंगा लहराया। इस मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि कुंवर सिंह के प्रति इतिहासकारों ने अन्याय किया था। उनकी वीरता के अनुरूप जगह नहीं दी गई, लेकिन आज फक्र के साथ कह सकता हूं कि उनका नाम मिटने वाला नहीं है। लाखों की संख्या में एकत्र लोगों के भाव को देखकर कहा जा सकता है कि बाबू कुंवर सिंह को भुलाया नहीं जा सकता है। 23 अप्रैल वही ऐतिहासिक तिथि है, जब 1858 में कुंवर सिंह ने 80 वर्ष की उम्र में भी बहादुरी से लड़ते हुए अंग्रेजों की बड़ी सेना को पराजित किया था। उन्होंने 163 साल पहले इस धरती को आजादी का मतलब बताया था।
कुंवर सिंह ने आरा से अयोध्या तक लड़ी लड़ाई
शाह ने कहा कि इतिहासकारों ने 1857 की क्रांति को विफल क्रांति कहकर अपमानित किया था। किंतु वीर सावरकर ने पहली बार इसे आजादी की पहली लड़ाई बताकर सम्मान दिया। उस संग्राम में कुंवर सिंह अकेले ऐसे पराक्रमी पुरुष थे, जिन्होंने आरा से अयोध्या तक अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी और उन्हें हराया भी। 1857 में कुंवर सिंह ने सिर्फ बिहार ही नहीं, यूपी के रीवा, बांदा, आजमगढ़, बलिया, बनारस, गाजीपुर और अयोध्या तक अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी। वादा किया कि केंद्र सरकार आरा में उनकी स्मृति में भव्य स्मारक बनाएगी।
ऐसा कार्यक्रम पहले कभी नहीं देखा
उन्होंने कहा कि मैंने ऐसा कार्यक्रम पहले कभी नहीं देखा। निशब्द हूं। लाखों लोग चिलचिलाती धूप में तिरंगा लेकर कुंवर सिंह को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। चारों तरफ तिरंगे दिखाई पड़ रहे हैं। पीएम ने आजादी के 75वें साल में अमृत महोत्सव मनाने का निर्णय लिया। इसमें तीन पहलू थे। सबसे बड़ा पहलू था आजादी के लिए जिन्होंने बलिदान दिया है, उन्हें याद करें। भारत को दुनिया में बड़ी ताकत बनाना है। हर क्षेत्र में नंबर वन होना है। कुंवर सिंह के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।