…and see how now the tigers have started making their homes on the mountains…, Breaking news, National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : भारत में बाघों का नेचुरल आशियाना मैदानी क्षेत्र है। अब वातावरण में परिवर्तन और लगातार मानव दबाव की वजह से वे पारंपरिक शिकार के मैदान से दूर होकर पहाड़ों पर अपना आशियाना बनाने लगे हैं ऐसा विशेषज्ञों का मानना है। इसका प्रमाण है कि अब ज्ञअब ज्यादातर बाघों की तस्वीरें अधिक ऊंचाई वाले पहाड़ों में मिल जाती हैं।
इस तरह दबाव में हैं बाघ
भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के शोधकर्ताओं ने कहा कि वे नेपाल, भूटान और तिब्बत के बीच स्थित भारत के सिक्किम के पहाड़ों में बाघों की कई तस्वीरें देखकर आश्चर्यचकित थे। जिनमें 3,966 मीटर (13,011 फीट) की ऊंचाई पर ली गई एक तस्वीर भी शामिल है। WII के टाइगर सेल के अध्यक्ष संरक्षण जीवविज्ञानी क़मर क़ुरैशी ने कहा कि बाघ आमतौर पर कम ऊंचाई वाली जंगल वाले क्षेत्रों को पसंद करेंगे। उन्होंने आगे बाघों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ बढ़ती मानव आबादी को लेकर कहा कि बाघों द्वारा पहाड़ों पर चढ़ना साबित करता है कि वे दबाव में हैं। कुरैशी ने यह भी सुझाव दिया कि पहले की तुलना में अधिक बाघों की सूचना मिलने का एक कारण आंशिक रूप से बढ़ती तकनीक है – जिसमें कैमरा ट्रैप और सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले कैमरा फोन वाले अधिक लोग शामिल हैं।
बाघों के अधिक ऊंचाई पर जाने का कारण
सिक्किम के वन विभाग के पारिस्थितिकी विज्ञानी और मुख्य वार्डन संदीप तांबे ने कहा कि बड़े स्तनधारियों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने के लिए अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कैमरा ट्रैप स्थापित किए गए थे। वहीं, WII की शोधकर्ता पूजा पंत ने कहा कि प्रमुख संभावित कारणों में से एक जलवायु परिवर्तन और बढ़ते मानवजनित दबाव का प्रभाव हो सकता है।
पहले भी ठंडे ऊंचे पहाड़ों में दिखे हैं बाघ
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) के अनुसार, पड़ोसी देश नेपाल में बाघों को रिकॉर्ड 4,000 मीटर की ऊंचाई पर देखा गया है। जब तक पर्याप्त शिकार है, बाघों से आमतौर पर निचले गर्म जंगलों में रहने की उम्मीद की जाती है। लेकिन अब इन्हें ऊंचाई वाले स्थानों पर अधिक नियमित रूप से देखा जा रहा है।
तापमान बढ़ने से बाघों का प्रवास
भारत में WWF के निदेशक अनामित्र अनुराग डांडा ने कहा कि 2019 में सिक्किम में WWF टीम द्वारा एक बाघ को 3,602 मीटर की ऊंचाई पर देखा गया था, जबकि राज्य में एक अन्य बाघ को पिछले साल 3,640 मीटर की ऊंचाई पर देखा गया था। भूविज्ञानी और कोलकाता के प्रमुख बाघ विशेषज्ञ प्रणबेश सान्याल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण बाघों का प्रवास हो रहा है। बीते दो दशक में अधिक ऊंचाई वाले स्थान पर तापमान 2,000 मीटर से नीचे की ऊंचाई की तुलना में तेजी से बढ़ा है।